देश में स्वच्छता को लेकर सरकार हर कदम उठा रही है। इसके लिए वह जगह जगह पर शौचालय भी बना रही है लेकिन यह स्वच्छता अभियान सिर्फ सरकार के कदम उठाने से पूरा नहीं होगा बल्कि इसके लिए आम लोगों को भी इस में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेना होगा। इसी अभियान का हिस्सा बनी है 15 साल की लड़की जो खुद से पैसे जमा कर ग्रामीण क्षेत्रों में 10 शौचालय बनवा चुकी हैं।
हम बात कर रहे हैं मोन्द्रिता चटर्जी की जो झारखंड के जमशेदपुर में रहने वाली है। 15 साल की मोन्द्रिता के कम उम्र में इस जज्बे को हम सलाम करते हैं। वह न सिर्फ आस पास के लोगों के लिए बल्कि देश के सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है। मोन्द्रिता अभी तक 10 शौचालय बनवा चुकी हैं और उनका एक ही लक्ष्य है कि समाज में शौचालय के व्यवहार को हर तबके में बढ़ावा मिले।
इस एक खबर ने मोन्द्रिता पर डाला गहरा प्रभाव
मोन्द्रिता को एक बार जब खबरों के जरिए यह पता चला कि उनके स्कूल में शौचालय न होने के कारण लड़कियां स्कूल छोड़ रही हैं तो मोन्द्रिता पर इस बात का इस खबर का गहरा प्रभाव पड़ा। तब वह चौथी कक्षा में पड़ती थी। दरअसल मोन्द्रिता के पिता को खबरों को पढ़ने सुनने का बहुत शौंक हैं और उन्हीं के द्वारा मोन्द्रिता को पता चला कि स्कूलों में शौचालय न होने के कारण लड़कियां पढ़ने नहीं आ रही हैं। अब स्कूल में ही नही हर जगह शौचालय का होना बहुत जरूरी होता है। चाहे वह गांव हो या शहर। लेकिन देखा जाए तो आज भी कईं ऐसे गांव है जहां शौचालय नहीं है जिससे लोगों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। इसी खबर के बाद मोन्द्रिता ने ठान लिया कि वह इस दिशा की ओर जरूर कुछ करेंगी।
बचत के पैसों से शौचालय बनाने का लिया फैसला किया
मोन्द्रिता की मानें तो उसके पास हमेशा अपनी गुल्लक हुआ करती थी। वह इन पैसों को त्योहारों पर खर्च कर देती थी लेकिन जब उसने शौचालय बनाने का सोचा तो मोन्द्रिता अपने माता पिता और रिश्तेदारों से ओर पैसे इकट्ठा करने लगी। धीरे धीरे एक एक रूपए जोड़कर एक दिन मोन्द्रिता ने 2 सालों में 24 हजार रूपए जोड़ लिए।
लड़कियों को करती हैं प्रेरित
मोन्द्रिता की मानें तो जब उनके पास 24 हजार रूपए जमा हुए तो उसने अपने माता पिता से इस काम को करने की इच्छा जाहिर की। इसके बाद उन्हें जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति (JNSC) के जरिए केन्द्रहीह गाँव के बारे में पता चला। इस गांव में कम से कम 300 से ज्यादा लोग रहते थे लेकिन इतने लोगों के बावजूद गांव में एक भी शौचालय नहीं था। जिसके बाद मोन्द्रिता ने यहां शौचालय बनाने का फैसला किया।
150वीं गाँधी जयंती के मौके पर 10वें शौचालय का निर्माण किया
इतना ही नहीं मोन्द्रिता ने 150वीं गाँधी जयंती के मौके पर 10वें शौचालय का निर्माण भी किया ।
खास है शौचालय
मोन्द्रिता ने मानविकास स्कूल में भी शौचालय को बनवाया था। इस शौचालय की खास बात यह है कि इसे मॉर्डन तकनीक से नहीं बल्कि इसे 7000 बेकार प्लास्टिक की बोतलों से बनाया गया है। तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि कैसे बोतलों में मिट्टी भरी हुई है। इसका कारण है कि ताकि इसपर गर्मी का भी कोई असर न हो।
मुख्यमंत्री रघुवर दास भी इसे देखने आए
इस शौचालय को देखने के लिए झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास भी इसे देखने आए। इस को बनाने में तकरीबन 1.8 लाख रुपए खर्च हुए हैं।
माता-पिता रह गए थे अचंभित
मोन्द्रिता के माता पिता बेटी के इस कदम से अनजान थे। मोन्द्रिता के पिता का मानें तो उन्हें इस बात की जानकारी ही नहीं थी कि उनकी बेटी ऐसे काम के लिए पैसे जोड़ रही है।
भविष्य में यह करना चाहती हैं मोन्द्रिता
वहीं मोन्द्रिता का भविष्य में एक ही इरादा है कि वह पर्यावरण के हित में सारे काम करे और शौचालय भी बनवाए। मोन्द्रिता की मानें तो वह भविष्य में इसी दिशा में करना चाहती हैं क्योंकि आज लड़कियों के लिए शौचालय जितनी जरूरी है, उतनी ही जरूरी है माहवारी के दौरान स्वच्छता का ध्यान रखना।
काउंसिलिंग भी करती हैं मोन्द्रिता
मोन्द्रिता शौचालय बनाने के साथ-साथ अपने माता पिता के साथ गांवों का दौरा भी करती है। इतना ही नहीं वह इसके लिए काउंसिलिंग भी करती हैं और बताती है कि इसका इस्तेमाल क्यों जरूरी है और हम इसे कैसे साफ रख सकते हैं।
‘शौचालय चटर्जी’ कहते थे लोग
मोन्द्रिता के पिता की मानें तो बेटी की इस मुहिम पर लोग उन्हें ‘शौचालय चटर्जी' कहकर पुकारते थे लेकिन मोन्द्रिता को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था।
बड़े -बड़े मंत्री कर चुके हैं काम की तारीफ
मोन्द्रिता के इस काम की झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू से लेकर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी उनकी तारीफ कर चुके हैं। इतना ही नहीं मोन्द्रिता को 2018 में एसोचैम लीडरशिप अवॉर्ड मिलने के साथ साथ पूर्वी सिंहभूम जिला में स्वच्छता अभियान के लिए ब्रांड एम्बेसडर भी चुना गया है।