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Inspiration Story: महज 30 से की KhaDigi की शुरूआत, आज लाखों कमा रहीं उमंग श्रीधर

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 15 Mar, 2022 05:28 PM
Inspiration Story: महज 30 से की KhaDigi की शुरूआत, आज लाखों कमा रहीं उमंग श्रीधर

हर सफलता की कहानी किसी न किसी तरह से लोगों को प्रेरित करती है लेकिन कुछ कहानियां ऐसी होती हैं जो न केवल उनकी उपलब्धि की सीमा के कारण बल्कि उनके जीवन से भी अलग होती हैं। कहते हैं ना कि सपने उन्ही के पूरे होते हैं जो उनपर विश्वास करके रिस्क लेने से भी नहीं डरते। इसकी जीती-जाती मिसाल है उमंग खादीजी ब्रांड की फाउंडर उमंग श्रीधर, जिन्हें पिछले साल ही प्रतिष्ठित बिजनेस मैगज़ीन Forbes की अंडर-30 अचीवर्स की लिस्ट में शामिल किया गया। चलिए आपको बताते हैं उमंग श्रीधर की इंस्पायरिंग लाइफस्टोरी...

मां से मिली प्रेरणा

उमंग श्रीधर भोपाल, दमोह ज़िले के एक छोटे से गांव किशनगंज की रहने वाली हैं। उनकी मां एक जनपद अध्यक्ष रह चुकी हैं, जिन्हें देखकर ही उनके मन में कोई बड़ा काम करने की तमन्ना पनपी। मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव में जन्मीं उमंग श्रीधर ने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। मगर, एक कॉर्पोरेट करियर चुनने के बजाए उन्होंने अपने गांव के स्थानीय बुनकरों और कारीगरों के लिए कुछ करने का फैसला किया।

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ऐसे की कंपनी की शुरूआत

2013 में, KhaDigi का जन्म हुआ। एक दस्तकारी कपड़े की कंपनी जो B2B आधार पर काम करती है और अपने उत्पाद को सीधे डिजाइनरों और खुदरा विक्रेताओं को बेचती है। यह नाम खादी और कपड़े को प्रिंट करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली डिजिटल तकनीक से आया है।

उमंग ने कंपनी खादीजी (KhadiJi) का नाम 'खादी' और 'जी'  शब्द जोड़ कॉन्सेप्ट से लिया। उन्होंने यह नाम इसलिए चुना क्योंकि वह चरखे को डिजिटल फाॅर्म में पेश करती हैं। यही नहीं, खादी और हैंडलूम फैब्रिक के जरिए वह मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के बुनकरों को रोजगार भी दे रही हैं। उनकी संस्था KhadiJi Bhopal का सालाना टर्नओवर 60 लाख है।

कारीगरों की जरूरतों का रखा ध्यान

एक इंटरव्यू में उमंग श्रीधर ने कहा, "मैंने देखा था कि स्थानीय बुनकरों, कारीगरों, डाईरों, स्पिनरों के लिए काम करने की स्थिति और मजदूरी बहुत खराब थी। स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, मैंने कपड़ा डिजाइनिंग का अध्ययन करने के लिए निफ्ट में दाखिला लिया। मैंने कारीगरों की जरूरतों और समस्याओं के बारे में शोध करने में दो और साल बिताए । फिर बड़ी कपड़ा कंपनियों को कपड़ा बनाने और बेचने के लिए एक बी-2 बी-मॉडल विकसित किया। मॉडल को स्थानीय कारीगरों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है, न कि केवल फायदे के लिए।"

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फोर्ब लिस्ट में बनाई जगह

उन्होंने ना सिर्फ Forbes की अंडर-30 अचीवर्स लिस्ट में अपनी जगह बनाई बल्कि उनका नाम देश के टॉप-50 सोशल Entrepreneurs लिस्ट में भी शामिल हैं। मात्र 30 हजार रुपए से अपना सफर शुरू करने वाली उंमग आज लाखों रुपए कमा लेती हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज और आदित्य बिड़ला ग्रुप जैसे बड़े बिजनेसमैन भी आज उनके क्लाइंट्स हैं।

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महिलाओं को दे रही रोजगार

उनकी कंपनी डिजाइनर्स, होलसेलर्स, रिटेलर्स और विभिन्न इंडस्ट्रीज को भी खादी सप्लाई करती हैं, जो बांस और सोयाबीन से निकले वेस्ट मटेरियल से बनते हैं। अब उनका सपना अपने इको फ्रेंडली ऑर्गेनिक कॉटन फैब्रिक को लंदन और यूरोप में फैलाना हैं। लॉकडाउन की शुरूआत से अब तक उनकी संस्था करीब 2 लाख मास्क मुफ्त बांट चुकी है। इसी के साथ उन्होंने करीब 50 महिलाओं को रोजगार भी दिया।

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वाकई, उमंग श्रीधर का सफर हर किसी को प्रेरणा देने वाला है।

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