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संतान सुख देने वाली है मां स्‍कंदमाता, ये है देवी दुर्गा के पांचवे रुप की कथा

  • Edited By palak,
  • Updated: 29 Sep, 2022 04:20 PM
संतान सुख देने वाली है मां स्‍कंदमाता, ये है देवी दुर्गा के पांचवे रुप की कथा

नवरात्रि के पावन दिनों की शुरुआत हो चुकी है। नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरुपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पांचवे दिन मां दुर्गा के पांचवे रुप देवी स्कंदमाता की पूजा की जाती है। देवी स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं। मां के दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा में स्कंद गोद में हैं और दाहिनी तरफ वाली भुजा में मां के कमल का पुष्प विराजमान है। स्कंदमाता की ऊपरी भुजा वरमुद्रा में और नीचे की भुजा में कमल हैं। मां का वाहन शेर होता है। तो चलिए जानते हैं देवी के पांचवे रुप से जुड़ी पावन कथा...

मां स्कंदमाता की कथा 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक तारकसुर नाम का राक्षस था। उस राक्षस ने ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए बहुत ही कठोर तपस्या की थी। राक्षस की कठोर तपस्या देख ब्रह्मा जी प्रसन्न हो गए थे। प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने तारकासुर को दर्शन दिए और उसके कठोर तप को देकर ब्रह्मा जी ने उससे मनचाहा वरदान मांगने को कहा। तारकासुर ने ब्रह्मा जी से अमर होने का वरदान मांगा। वरदान मांगने पर ब्रह्मा जी बोले कि तुम्हारा जन्म हुआ है तुम्हें मरना होगा। फिर तारकासुर ने ब्रह्मा जी से कहा कि हे प्रभु आप कुछ ऐसा करें कि शिवजी के पुत्र के हाथों मेरा वध हो। उसने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि वो सोचता था कि कभी भी शिवजी का विवाह नहीं होगा तो उनका पुत्र कैसे होगा और कभी मेरी मृत्यु भी नहीं होगी। ब्रह्मा जी ने तारकासुर को वरदान दे दिया। वरदान मिलने पर वह लोगों पर अत्याचार करने लगा। तारकासुर के अत्याचार से तंग होकर सभी लोग शिवजी के पास पहुंचे। उन्होंने शिव जी से तारकासुर से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। इसके बाद शिवजी ने मां पार्वती से विवाह किया और फिर कार्तिकेय पैदा हुए। कार्तिकेय ने बड़े होकर राक्षस तारकासुर का वध किया। कार्तिकेय भगवान को स्कंद भी कहते हैं। इसलिए स्कंदक की माता होने के कारण देवी का नाम स्कंदमाता पड़ा। 

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कैसे करें मां की पूजा 

सुबह उठकर स्नान करें। इसके बाद साफ कपड़े पहनकर पूजा के स्थान पर मां स्कंदमाता की मूर्ति स्थापित करें। मूर्ति स्थापित करके पूजा शुरु करें। सबसे पहले देवी मां की प्रतिमा गंगाजल से शुद्ध करें। इसके बाद मां के सामने फूल अर्पित करें। मिठाई और 5 अलग-अलग तरह के भोग मां को लगाएं। इसके अलावा मां को 6 इलायची का भोग भी जरुर लगाएं। कलश में पानी डालकर उसमें कुछ सिक्के डाल दें। सिक्के डालने के बाद पूजा का संकल्प लें। मां को रोली बांधे और कुमकुम का तिलक लगाएं। इसके बाद मां की आरती उतारें और मंत्र का जाप करें। 

मां स्कंदमाता की पूजन विधि और भोग

प्रात: काल उठकर स्नान आदि के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें. पूजा के स्थान पर स्कंदमाता की मूर्ति स्थापित कर पूजन आरंभ करें. सर्वप्रथम मां की प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध करें और मां के सम्मुख पुष्प अर्पित करें. मिष्ठान और 5 प्रकार के फलों का भोग लगाएं. साथ ही 6 इलायची भी भोग में अर्पित करें. कलश में पानी भरकर उसमें कुछ सिक्के डाल दें और इसके बाद पूजा का संकल्प लें. मां को रोली-कुमकुम का तिलक लगाएं और पूजा के बाद मां की आरती उतारें और मंत्र जाप करें। 

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देवी को लगाएं ये भोग 

मां को आप केले का भोग लगा सकते हैं। केले को प्रसाद के रुप में आप देवी मां को अर्पित कर सकते हैं। इसके अलावा 6 इलायची भी आप मां को चढ़ा सकते हैं। 

स्कंदमाता का मंत्र 

मां को प्रसन्न करने के लिए आप या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रुपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्यतस्यै नमस्तस्यै नमो नम:। इसके अलावा आप सिंहासनगता नित्य पद्मानिभ्यां करद्वया शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी। 

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