राजस्थान का रॉयल कल्चर और शाही घराने पूरी दुनिया में मशहूर है। आज भी लोग यहाँ पर बसने वाले राजघरानों के बारे में जानना चाहते हैं। भले ही कुछ अब शाही रियासतें नहीं रहीं लेकिन उन्हीं परिवार से ताल्लुक रखने वाले शाही लोग आज भी राज घराने की परंपराओं को निभा रहे हैं। वहीं रानियों की खूबसूरती और लाइफस्टाइल आज भी फेमस हैं। जयपुर की राजमाता गायत्री देवी भी दुनियाभर की खूबसूरत रानियों में शामिल थी। कुछ दिन पहले राजस्थान के शाही घराने से संबंध रखने वाली दिया कुमारी काफी सुर्खियों में थी। उन्हें लेकर राजस्थान डिप्टी सीएम बनाने की घोषणा भी कर दी गई है और दिया कुमारी, गायत्री देवी की ही पोती हैं। वह राजमाता गायत्री देवी के सौतेले बेटे की बेटी हैं, यानी वह दिया की सौतेली दादी लगती है हालांकि दिया का पालन-पोषण, गायत्री देवी की देखरेख में ही हुआ। दिया अपनी दादी की तरह बहुत खूबसूरत है।
महारानी गायत्री देवी अपने जमाने की खूबसूरत रानियों में तो शामिल थी साथ ही अपने फैशन और लाइफस्टाइल के लिए भी फेमस थी। शिफॉन की बेल- बॉटम और फ्रेंच शिफॉन की साड़ी को अलग अंदाज में पहनने का फैशन ट्रेंड वही लेकर आई थी। उनके फैशन को उस वक्त हाई सोसाइटी में काफी फॉलो किया गया था लेकिन आज हम उनके lifestyle और fashion के नही बल्कि पर्सनल ज़िंदगी के बारे में बताते है। चलिए, कुछ उन्हीं किस्सों के बारे में आपको बताते हैं।
'कूच राजबोंगशी' हिन्दू परिवार में हुआ जन्म, बचपन का नाम था आयशा
लंदन में पैदा हुई कूच बिहार की राजकुमारी गायत्री देवी का जन्म एक 'कूच राजबोंगशी' हिन्दू परिवार में हुआ। गायत्री देवी के बचपन का नाम आयशा था। शांतिनिकेतन में अपनी शुरुआती शिक्षा लेने के बाद वह ग्लेन डोवेर प्रिपरेटरी स्कूल लंदन, विश्व-भारती यूनिवर्सिटी, लॉसेन और स्विट्जरलैंड पढ़ने गई थी। पढ़ाई के साथ, राजकुमारी गायत्री घुड़सवारी और पोलो की बेहतरीन खिलाड़ी थीं। उनके पिता राजकुमार जितेंद्र नारायण, बंगाल में कूचबिहार के युवराज के छोटे भाई थे। हालांकि कूच बिहार के राजा की मौत के बाद जितेंद्र राजा बन गए थे। वहीं गायत्री देवी की माता राजकुमारी इंदिरा राजे थीं, जो कूच बिहार की रानी और बड़ौदा के महाराज सयाजीराव की बेटी थीं। जब गायत्री के पिता यानि जितेंद्र नारायण का निधन हुआ तो माता इंदिरा राजे ने ही बच्चों और राजघराने को संभाला था।
महज 12 साल की उम्र में उन्हें जयपुर के राजा मानसिंह बहादुर से प्यार हो गया। मानसिंह बहादुर पहले से शादीशुदा थे। उनकी दो शादियां हो चुकीं थीं । उन्होंने सवाई मान सिंह की तीसरी पत्नी बनना स्वीकार किया। 21 साल के महाराजा मानसिंह कोलकाता के वुडलैंड्स 1931 का पोलो मैच खेलने गए थे और यहीं पर उनकी मुलाकात गायत्री देवी से हुई थी। उस समय गायत्री देवी की उम्र केवल 12 साल थी। गायत्री देवी को देखते ही उन्हें उनसे प्यार हो गया था। दोनों ने तकरीबन 6 सालों तक चोरी-छिपे एक-दूसरे को डेट किया था। जब धीरे-धीरे लोगों ने उनके बीच पनप रहे प्यार पर ध्यान देना शुरू किया तो, उन्होंने गायत्री देवी की मां को सचेत किया कि गायत्री के लिए महाराजा की तीसरी पत्नी बनना बहुत मुश्किल होने वाला है लेकिन गायत्री ने उनकी तीसरी पत्नी बनना ही स्वीकार किया और परिवार और बच्चों की जिम्मेदारी संभाली भी।
जयपुर में खोले कई सारे गर्ल्स पब्लिक स्कूल, पर्दा और घूंघट प्रथा को खत्म किया
शादी के बाद गायत्री देवी को बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। शादी के बाद जब वह पहली बार ससुराल पहुँची तो उन्हें घुघंट निकालने को कहा गया था लेकिन उन्होंने ये साफ कर दिया था कि वह सारी उम्र घूँघट नही निकालेगी और अपने पति से वादा किया था कि यदि वे लड़कियों के लिए स्कूल खोलती हैं, तो सबसे पहले वे पर्दे वाले सिस्टम को हटाएंगी। इसके बाद महारानी गायत्री देवीने अपना स्कूल खोला, जहां लड़कियों को बताया गया कि घूंघट करना या पर्दा करना सही नहीं है। राजमाता ने जयपुर में महारानी गायत्री देवी गर्ल्स पब्लिक स्कूलों जैसे कई स्कूलों की स्थापना की।
राजमाता के पोते देवराज सिंह ने यूके से की MBA की पढ़ाई
आखिरकार, 1970 में इंग्लैंड में पोलो खेलने के दौरान एक दुर्घटनावश महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय की मृत्यु हो गई। गायत्री देवी के अपने इकलौते बेटे जगत सिंह थे जिन्होंने थाईलैंड के राजघराने की राजकुमारी प्रियानंदना रांगसित से शादी की थी। राजकुमार जगत सिंह को इसरदा के राजा की उपाधि मिली थी। शादी के महज 9 साल बाद दोनों का तलाक हो गया था। इस शादी से उन्हें दो बच्चे थे। बेटे देवराज सिंह और बेटी लालित्य कुमारी। जो गायत्री देवी की पैतृक संपत्ति पर मालिकाना हक की कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। गायत्री देवी के पोते प्रिंस देवराज सिंह ने यूके से MBA किया है। लेकिन गायत्री देवी ने अपने पति के बच्चों यानि अपने सौतले बच्चों को भी वहीं प्यार दिया। उन्होंने मां के तौर पर कभी फर्क नहीं किया। मान सिंह चार बेटों और एक बेटी के पिता थे, जो उनकी तीन पत्नियों से पैदा हुए थे।
राजा सवाई मान सिंह को 3 शादियां से हुए चार बेटे और 1 बेटी
सवाई मान सिंह की पहली पत्नी मरुधर कंवर के दो बच्चे थे- 1. बेटे भवानी सिंह जिनकी शादी सिरमुर के राजा की बेटी पद्मिनी देवी से हुई और दिया कुमारी उन्ही की बेटी हैं। दिया पर भी गायत्री बहुत प्यार लुटाती थी। दिया ने किसी राजा से शादी नहीं की थी। उन्होंने नरेंद्र सिंह से शादी की थी जो अब टूट चुकी हैं। इस शादी से दिया को तीन बच्चे हैं पद्मनाभ, लक्ष्यराज और गौरवी। भवानी ने अपने ही नाती पद्मनाभ सिंह को गोद लिया और उसे उत्तराधिकारी घोषित किया था।
बेटी प्रेम कुमारी जिनकी शादी बैरिया के महारावल से कर दी गई। इस शादी से उन्हें एक बेटी हुई।
मान सिंह की दूसरी पत्नी किशोर कुँवर के दो बेटे थे। जय सिंह और पृथ्वीराज सिंह। जय सिंह की शादी जुब्बल के राजा की बेटी विद्या सिंह से हुई। उनका एक बेटा है अजय सिंह। जय सिंह को झालाई के राजा की उपाधि और उपांग में झालाई की संपत्ति दी गई थी।
जबकि पृथ्वीराज सिंह ने भगवतगर्थ के राजा की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने त्रिपुरा की राजकुमारी देविका देवी से शादी की थी। पृथ्वीराज सिंह जीवन भर अपनी सौतेली माँ के करीब रहे। पृथ्वी और देविका का एक बेटा था विजित सिंह और आगे उनके तीन बच्चे हुए। बेटे वेदांत सिंह-सिद्धांत सिंह और एक बेटी मोक्षिता हैं। राजमाता ने अपने सारे ही बच्चों को मां का प्यार दिया। महारानी गायत्री की मृत्यु 90 साल की उम्र में 29 जुलाई, 2009 को हुई।