65 साल की एक दादी ने हमें बता दिया है कि शिक्षा की अहमियत क्या होती है। जिस उम्र में लोग रिटायर होकर आराम से जिंदगी बिताना चाहते हैं, उस उम्र में इस महिला ने नए सिरे से पढ़ाई शुरू की। इसीका नतीजा है कि अंगूठा लगाने वाली दादी आज अपना नाम साइन कर रही हैं।
हस्ताक्षर करने की थी इच्छा
यह कहानी है तमिलनाडु की धनाबकियाम अम्मल की। आंगनबाड़ी में काम करने वाली अम्मल पेंशन पाने के लिए अंगूठा लगाती थी, लेकिन उनकी इच्छा थी कि वह एक दिन अपने नाम का हस्ताक्षर करे। इसके लिए उन्होंने नियमित क्लास की शुरुआत की। आज वह अखबारों की सुर्खियां पढ़ सकती हैं, तीन अक्षर के शब्द लिख सकती हैं।
दिलचस्पी के साथ शुरू की पढ़ाई
कोरोना के चलते राज्य में सभी स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी बंद हैं। ऐसे में अम्मल स्कूल की प्रिंसिपल चित्रा रानी से मिलने गई और उनसे कहा कि वह पढ़ना चाहती है। चित्रा रानी ने बताया कि बुजुर्ग महिला बड़ी दिलचस्पी के साथ शिक्षा कार्यक्रम में शामिल हुईं। जब भी उन्हें समय मिलता वह पढ़ने के लिए स्कूल जाती थी।
हाथ से नहीं जाने दिया मौका
अम्मल की लगन और मेहनत को देखकर मणिकंदम प्रखंड शिक्षा अधिकारी ने उन्हे सम्मानित किया। बुजुर्ग महिला ने कहा कि वह हमेशा से पढ़ना चाहती थी लेकिन समय का प्रबंधन नहीं कर सकती थी। उसने यह भी सोचा था कि शायद बुढ़ापे में पढ़ाई शुरू होने में बहुत देर हो चुकी थी, लेकिन जब चित्रा रानी का साथ मिला तो मैंने सोचा की इस मौके को हाथ से नहीं जाने देना चाहिए।