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17,200 फीट ऊंचाई पर बना किन्नर कैलाश, यहां शिवलिंग का बदलता है रंग

  • Edited By neetu,
  • Updated: 14 Jul, 2020 02:18 PM
17,200 फीट ऊंचाई पर बना किन्नर कैलाश, यहां शिवलिंग का बदलता है रंग

सावन का पवित्र महीना चल रहा है। इस दौरान सभी लोग भगवान शिव से अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए अलग-अलग तरीकों से उनकी पूजा-अर्चना करते है। बहुत से लोग उनकी असीम कृपा पाने के लिए केदारनाथ, अमरनाथ की यात्रा करते है। भगवान शिव हिमालय का निवास स्थान बर्फीली पहाड़ों की चोटियों पर माना जाता है। इसके साथ हिमालय में बहुत से देव स्थान होने से इसे बहुत मान्यता दी जाती है। इनमें से ही एक भगवान शिन का अति प्रिय स्थान है किन्नर कैलाश पर्वत जो कि किन्नौर जिले में बसा है। इस पर्वत पर स्थित सिवलिंग बहुत ही खास और रहस्यमयी है। मान्यता है कि इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही दुखों का अंत हो जाता है। साथ ही इस शिवलिंग की सुंदरता के बारे में कहें तो बादलों और बर्फीली पहाड़ों की चोटियों से घिरा यह शिवलिंग बहुत ही सुंदर नजर आता है। अगर आप भी यहां जाने का प्लान बना रहें है तो आज हम आपको बताते है इससे जुड़ी कुछ बातें...

कहां स्थित है किन्नर कैलाश शिवलिंग?

भगवान शिव का यह शिवलिंग समुद्र तल से सगभग 17,200 फीट की ऊंचाई पर बना है। यह हिमाचल के दुर्गम स्थान बने होने से यह स्थान बहुत शांत और  भीड़- भाड़ से दूर है। यहां पर प्राकृति के सुंदर और आलौकिक दृश्यों को देखकर किसी का भी मन खुश हो जाएगा। 

 

कब जा सकते है?

अगर आप इस इस सुंदर और आलौकिक ट्रेक पर घूमने का प्लान बनाने की सोच रहें है तो यहां जाने के लिए मई से अक्टूबर तक के महीनों को बेस्ट माना जाता है। बात अगर सर्दियों की करें तो इस दौरान बहुत मात्रा में बर्फ पड़ने से यहां घूमने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इस जगह पर बारीश भी बहुत अधिक होने से मानसून के मौसम में भी जहां जाना सही नहीं रहता है। 

क्या है खासियत?

भगवान भोलेनाथ का यह शिवलिंग लगभग 79 फीट ऊंचा बना है। असल में यह एक पत्थर है जो शिवलिंग और त्रिशूल की तरह दिखाई देता है। यह पहाड़ की चोटी बना है और खुद को अच्छे से संभाल कर स्थापित है। इसके साथ ही इस शिवलिंग की एक और अदभूत बात है कि यह बार-बार रंग बदलता है। माना जाता है कि इस शिवलिंग का रंग हर पहर में बदलता है। सुबह के समय इसका रंग अलग होता है। फिर सूर्य की रोशनी पड़ने के बाद इसके रंग में बदलाव आ जाता है। साथ ही साम होने पर फिर नए और अलग रंग में आ जाता है। पार्वती कुंड के पास बने होने से भी यह बहुत पूजनीय है। 

 

क्या है मान्यताएं?

मान्यता है कि इसके पास स्थित पार्वती कुंड देवी गौरा माता ने खुद बनाया था। यह भगवान शिव और माता पार्वती के मिलने का मुख्य स्थान कै तौर पर जाना जाता है। इसके साथ ही यहां अक्तूबर के बाद सर्दियों इसलिए नहीं जाते क्योंकि इस समय सभी देवी-देवताएं यहां आकर निकास करते है। 

कैसे पहुंच सकते है?

किन्नर ट्रेक दिखने में जितना सुंदर है यहां पहुंच पाना उतना ही मुश्किल भरा काम होता है। यह 14 किलोमीटर लंबा ट्रेक है, जिसके आसपास बर्फ से ढके पहाड़ और चोटियां है। साथ में सेब के बगीचे बने है। इसकी खूबसूरती सांग्ला और हंगरंग वैली की तरह शानदार है। यह सतलुज नदी के पास बना गांव है। इस ट्रेक का सबसे अहम और पहला प्वाइंट तांगलिंग गांव माना जाता है। इस गांव से ही 8 किलोमीटर की दूरी तय कर मलिंग खटा तक ट्रेक कर जाना पड़ता है। फिर 5 किलोमीटर दूर पार्वती कुंड और उसके बाद 1 किलोमीटर की दूरी पर ट्रेक करने से किन्नर शिवलिंग आ जाता है। 

 

इन बातों का रखें खास ख्याल

- यह ट्रेक बहुत दूर होने पर किसी भी बीमार व्यक्ति को यहां जाने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए। 
- अपने साथ सर्दियों के यानि गर्म कपड़े लेकर जाना बेहतर होगा। 
- इस ट्रेक पर ऊंचे-ऊंचे पहाड़ चढने के कारण अच्छी ग्रिप वाले जूते पहन कर ही जाएं। 

 

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