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यशोदा मां क्यों लगाती थी लल्ला को मोर पंख, राधा रानी के प्रेम से भी जुड़ा रहस्य

  • Edited By neetu,
  • Updated: 09 Aug, 2020 11:51 AM
यशोदा मां क्यों लगाती थी लल्ला को मोर पंख, राधा रानी के प्रेम से भी जुड़ा रहस्य

भगवान श्रीकृष्ण का नाम लेते ही आंखों के सामने उनकी मनमोहक छवि दिखने लगती है। खासतौर पर उनके बाल रूप का चेहरा सभी के मन को लुभाने वाला होता है। वे पीले वस्त्र, बांसुरी और सिर पर मोर का पंख धारण किए बेहद ही सुंदर और अलौकिक नजर आते हैं। बात अगर उनके मुकुट पर धारण किे मोर पंख की करें तो वह उनके स्तक पर बेहद शोभायमान होता है। मोर पंख अति प्रिय होने से यह भगवान श्रीकृष्ण के श्रृंगार का एक अहम हिस्सा माना जाता है। मगर क्या आप जानते है कि श्रीकृष्ण को मोर का पंख इतना प्रिय क्यों हैं? तो चलिए आज हम आपको आपको बताते है कि आखिर वे कौन से कारण है, जिसके कारण मोर के पंख को श्रीकृष्ण के हार- श्रृंगार का एक मुख्य हिस्सा माना जाता है। 

यशोदा मां बुरी नजर से बचाने के लिए लगाती थी कान्हा को मोर का पंख

कहा जाता है कि मोर का पंख पास होने से बुरी नजर से बचाव होता है। ऐसे में माता यशोदा श्रीकृष्ण को बुरी नजर से बचाने के लिए उनके मस्तक पर मोर का पंख लगाती थी। 

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मोर पंख से जुड़ा है राधा- कृष्ण का प्रेम

कहा जाता है कि जब श्रीकृष्ण राधा रानी के महल में बहुत से मोर पाएं जाते थे। ऐसे में जब भगवान श्री कृष्ण के उनके महल में जाकर बांसुरी बजते थे तो उसकी मधुर आवाज सुन राधा नृत्य करती थी। राधा रानी के नाचने पर उनके साथ मोर भी नाचा करते थे। ऐसे में एक दिन किसी मोर का पंख नाचटते हुए जमीन पर गिर गया था। उसे श्री कृष्ण ने खुश होकर तुरंत उठा लिया और अपने मुकुट में धारण कर लिया। ऐसे में उनके सिर पर सजा स्थित मोर का पंख राधा जी के प्रेम की निशानी के रूप मे सुशोभित है। 

 

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पवित्र माना जाता है मोर

माना जाता है कि पूरी दुनिया में सिर्फ मोर एक ऐसा प्राणी है जो अपना सारा जीवन ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करता है। कहते है मोरनी मोर के आंसूओं को पीकर ही गर्भ धारण करती है। ऐसे में इस पवित्र पक्षी के पंख भगवान श्री कृष्ण अपने मष्तक पर धारण करना पसंद करते हैं। 

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भेदभाव से परे है श्रीकृष्ण

मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण को मोर का पंख इसलिए बेहद प्रिय था क्योंकि वे अपने मित्र और शत्रु में कोई भेदभाव नहीं करते थे। वे दोनों के प्रति समान भाव ही रखते थे। उद्धाहरण के तौर पर भागवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम शेषनाग के अवतार माने जाते थे। ऐसे में नाग और मोर में भयंकर दुश्मनी मानी जाती है। मगर श्रीकृष्ण ने इसे अपने मस्तक पर धारण कर मानवता का संदेश देते हुए सभी के प्रति समान भाव रखा। 

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सुख- दुख का प्रतीक

मोर के पंख में कई रंग होते हैं। इसी तरह हमारा जीवन भी बहुत से रंगों से भरा होता है। ऐसे में भगवान  श्री कृष्ण इसके जरिए मानव को यही संदेश देते है कि हम अपने जीवन में भी सुख, दुख, खुशी आदि पलों से होकर गुजरते हैं। ऐसे में हमें अपने जीवन के हर एक रंग या पहलू को खुश होकर अपनाना चाहिए। 

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