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दशहरे पर ना भूलें शमी पूजन, जानिए विजयदशमी की शुभ परंपरा

  • Edited By neetu,
  • Updated: 23 Oct, 2020 07:28 PM
दशहरे पर ना भूलें शमी पूजन, जानिए विजयदशमी की शुभ परंपरा

नवरात्रि के पावन दिन पूरे नौ दिन चलते है। उसके बाद दसवें दिन  विजयदशमी यानि दशहरा मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम ने राक्षसों के राजा लंकापति रावण का वध किया था। ऐसे में दशहरे का पावन त्योहार बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है। साथ ही उसी दिन से इसे मनाने की परंपरा शुरू हो गई। ऐसे में देश के विभिन्न शहरों में दशहरे का त्योहार अलग- अलग रीति- रिवाजों के साथ मनाया जाता है। दशहरे के दिन बहुत सी जगहों पर शस्त्र व शमी के पेड़ की पूजा होती है। तो चलिए जानते है इसके बारे में विस्तार से...

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महाभारत से संबंधित है शमी का पेड़ 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत के समय पर पांडवों ने अपने अस्त्र-शस्त्र को शमी के वृक्ष पर हीू छुपाया था। उसके बाद महाभारत का युद्ध कर उन्होंने कौरवों पर जीत हासिल की थी। ऐसे में दशहरे वाले दिन प्रदोषकाल में शमी के पेड़ की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। इसके साथ रोजाना इसकी पूजा करने से जीवन के संकटों से मुक्ति मिलने के साथ सुख- समृद्धि व शांति आती है।  

तो चलिए जानते है शमी की पूजा करने के नियम...

- सबसे पहले नहाकर साफ कपड़े धारण करें। 
- फिर प्रदोषकाल में शमी के पेड़ के पास जाकर सच्चे मन से प्रमाण कर उसकी जड़ को गंगा जल, नर्मदा का जल या शुद्ध जल चढ़ाएं। 
- उसके बाद तेल या घी का दीपक जलाकर उसके नीचे अपने शस्त्र रख दें। 
- फिर पेड़ के साथ शस्त्रों को धूप, दीप, मिठाई चढ़ाकर आरती कर पंचोपचार अथवा षोडषोपचार पूजन करें।
साथ ही हाथ जोड़ कर सच्चे मन से यह प्रार्थना करें। 

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'शमी शम्यते पापम् शमी शत्रुविनाशिनी।
अर्जुनस्य धनुर्धारी रामस्य प्रियदर्शिनी।।
करिष्यमाणयात्राया यथाकालम् सुखम् मया।
तत्रनिर्विघ्नकर्त्रीत्वं भव श्रीरामपूजिता।।'


इसका अर्थ है, हे शमी वृक्ष आप पापों को नाश और दुश्मनों को हराने वाले है। आपने ही शक्तिशाली अर्जुन का धनुश धारण किया था। साथ ही आप प्रभु श्रीराम के अतिप्रिय है। ऐसे में आज हम भी आपकी पूजा कर रहे हैं। हम पर कृपा कर हमें सच्च व जीत के रास्ते पर चलने की प्रेरणा दें। साथ ही हमारी जीत के रास्ते पर आने वाली सभी बांधाओं को दूर कर हमें जीत दिलाए। 

- यह प्रार्थना करने के बाद अगर आपको पेड़ के पास कुछ पत्तियां गिरी मिलें तो उसे प्रसाद के तौर पर ग्रहण करें। साथ ही बाकी की पत्तियों को लाल रंग के कपड़े में बांधकर हमेशा के लिए अपने पास रखें। इससे आपके जीवन की परेशानियां दूर होने के साथ दुश्मनों से छुटकारा मिलेगा। इस बात का खास ध्यान रखें कि आपकी पेड़ से अपने आप गिरी पत्तियां उठानी है। खुद पेड़ से पत्तों को तोड़ने की गलती न करें। 

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