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Kajari Teej: 25 अगस्त को मनाई जाएगी कजरी तीज, जानिए पूजा विधि और महत्व

  • Edited By neetu,
  • Updated: 23 Aug, 2021 12:13 PM
Kajari Teej: 25 अगस्त को मनाई जाएगी कजरी तीज, जानिए पूजा विधि और महत्व

भारत में व्रत व त्योहारों का विशेष महत्व है। वहीं हरियाली तीज की तरह कजली तीज का पर्व भी धूमधाम से मनाया जाता है। इसे बूढ़ी तीज या सातूड़ी तीज भी कहा जाता है। यह व्रत हर साल भादो कृष्ण तृतीया को मनाया जाता है। यह उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार समेत कई राज्यों में पूर्वी जगह पर विशेष तौर पर मनाया जाने वाला त्योहार है। इसमें विवाहित महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र की कामना करने व कुंवारी लड़कियां मनचाहा वर पाने के लिए निर्जला व्रत रखती है। भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। चलिए जानते हैं व्रत का शुभ मुहूर्त, महत्व व पूजा विधि...

कजरी तीज शुभ मुहूर्त

कजरी तीज तृतीया तिथि आरंभ-24 अगस्त 2021, दिन बुधवार, शाम 04:04 बजे
तृतीया तिथि समापन- 25 अगस्त 2021, शाम 04:18 बजे तक
इस दिन की उदय तिथि 25 अगस्त है तो कजरी तीज का व्रत इसी दिन रखा जाएगा।

कजरी तीज व्रत खोलने का समय

कजरी तीज का व्रत 25 अगस्त 2021 को पड़ रहा है। साथ ही इस व्रत को इसी रात चंद्र देव को अर्घ्य देकर व पूजा करके खोला जाएगा।

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कजरी तीज का महत्व

इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की विशेष तौर पर पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से सुहागिन महिलाओं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। कुंवारी लड़कियों को मनचाहा साथी मिलता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती 108 जन्म लेने के बाद भगवान शिव जी से शादी करवाने में सफल हुई थी। ऐसे में इस शुभ दिन को निस्वार्थ प्रेम के तौर पर धूमधाम से मनाया जाता है। यह पार्वती माता की निस्वार्थ भक्ति ही थी जो भोलेनाथ ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया। इस दिन पकवान में जौ, चने, गेंहू के सत्तू बनाए जाने का विशेष महत्व है। इसमें घी और मेवा मिलाकर कई विशेष पकवान तैयार किए जाते हैं। रात को चंद्रमा की पूजा करके व्रत खोला जाता है। इसके साथ ही इस दिन गाय की पूजा का विशेष महत्व है। इस शुभ पर्व पर महिलाएं एक साथ मिलकर झूले झूलती, सोलह श्रृंगार करती, नाचती व गाती है।

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पूजा विधि

. सुबह उठकर नहाकर साफ कपड़े पहनें।
. घर की सफाई करके कोई सही दिशा चुनें।
. फिर दीवार के सहारे मिट्टी और गोबस से छोटा सा घेरा बनाकर तालाब बनाएं।
. तालाब में कच्चा दूध, जल भरकर किनारे पर दीपक जलाएं।
. एक थाली में केला, सेब, सत्तू, रोली, अक्षत (चावल), मौली आदि रखें।
. तालाब के पास एक नीम की डाल तोड़कर लगा दें।
. फिर इस नीम पर चुनरी ओढ़ाकर नीमड़ी माता की पूजा करें।
. दिनभर बिना कुछ खाए-पीएं रहिए।
. करवा चौथ की तरह रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा करें।
. माता नीमड़ी को मालपुए का भोग लगाएं।
. फिर पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोले।

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