आज मकर संक्रांति है जिसका सनातन धर्म में बहुत अधिक महत्व है। इस त्योहार का संबंध सूर्य व शनि देव से हैं। चलिए इस त्योहार से जुड़ी कुछ बातें मान्यताएं और इतिहास आपको बताते हैं।
इसी खास दिन सूर्य मिले थे पुत्र शनि से
मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से निकल कर अपने पुत्र शनि की राशि यानि की मकर राशि में प्रवेश करते हैं और माना जाता है कि इस दिन सूर्य खुद अपने पुत्र ने मिलने गए थे। इसी लिए यह दिन मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
मकर संक्रांति को कहते हैं तिल संक्रांति
गुस्से में सूर्य देव ने शनि के घर जिसे कुंभ कहा जाता है उसे जला दिया था जिससे शनि व उनकी माता छाया को कष्ट भोगना पड़ा था। पुत्र यमराज के समझाने पर सूर्य देव उनके घर कुंभ में पहुंचे थे। वहां सबकुछ जला हुआ था। उस समय शनिदेव के पास काले तिल के अलावा कुछ नहीं था इसलिए उन्होंने काले तिल से ही उनकी पूजा की। शनि की पूजा से प्रसन्न होकर सूर्यदेव ने शनि महाराज को आशीर्वाद दिया कि शनि के दूसरा घर मकर राशि में मेरे आने पर वह धन-धान्य से भर जाएगा।
तिल के कारण ही शनि महाराज को उनका वैभव फिर से प्राप्त हुआ था, इसलिए शनि महाराज को तिल काफी प्रिय हैं। इसी वजह से मकर संक्रांति के दिन तिल से सूर्य देव और शनि महाराज की पूजा का नियम शुरू हुआ और इसे तिल संक्रांति के नाम भी जाना जाने लगा।
मकर संक्रांति पर क्या करें?
- इस दिन किसी पवित्र नदी में या फिर गंगाजल से जरूर स्नान करें।
- भगवान सूर्य के साथ भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और भगवान शिव की भी पूजा करें।
- पिता का आशीर्वाद जरूर लें और उन्हें कुछ न कुछ गिफ्ट में दें।
- इस दिन तिल या गुड़ का दान करना शुभ माना जाता है।
- तिल और खिचड़ी का दान किसी निर्धन व्यक्ति या ब्राह्मण को अवश्य करें
- साथ में नमक, घी और अनाज दान करने का भी विशेष महत्व है।
- परिवार के साथ बैठकर खिचड़ी जरूर खाएं।
- इस दिन घर में झाडू लाने से देवी लक्ष्मी का घर में वास होता है।
क्या ना करें?
- किसी भी फसल, पेड़, पौधे को न तो काटे और न हीं उखाड़े
- किसी भी रूप में तुलसी दल को न तोड़े
- किसी को भी अपशब्द ना कहें
- काले रंग के वस्त्र ना पहनें
- घर में लहसून, प्याज और मांसाहार का प्रयोग बिल्कुल भी न करें
- भूलकर भी बासी अन्न का दान नहीं करना चाहिए