मौसम के बदलने से शरीर में भी बदलाव आता है। ऐसे में इस दौरान अपनी डाइट का भी खास ध्यान रखने की जरूरत होती है। आयुर्वेद में मौसम को कुल 6 भागों में बांटा गया है। ऐसे में इसका सीधा असर हमारे शरीर की पाचन शक्ति व शारीरिक बल से जुड़ा है। इसलिए हमें अपनी डाइट में भी मौसम के मुताबिक चीजों को शामिल करना चाहिए। तो चलिए मौसम के हिसाब से जानते हैं कि किस महीने में हमारी डाइट कैसी होनी चाहिए...
शिशिर ऋतु (मध्य जनवरी से मध्य मार्च)
इस समय के दौरान शरीर एर्जेटिक व पाचन क्रिया भी दुरुस्त रहती है। ऐसे में इस समय पर देरी से पचने वाली चीजों का सेवन करना चाहिए। साथ ही खाने में सभी पौष्टिक व गुणों से भरपूर चीजों को शामिल करें। खासतौर पर डायरी प्रॉडक्टस, देसी घी, लहसुन-अदरक की चटनी, मौसमी फल, सब्जियां, तिल आदि का सेवन करें। इसके अलावा ठंड की बजाए गुनगुना पानी पीएं। साथ ही फिट एंड फाइन रहने के लिए शिशिर ऋतु में ठंडी चीजों का सेवन व खाली पेट रहने से बचें। ऐसे में हो सके तो इस दौरान व्रत भी ना रखें।
बसंत ऋतु (मध्य मार्च से मध्य मई)
इस दौरान पाचन शक्ति धीमी गति से काम करने लगती है। ऐसे में सर्दी, खांसी, जुकाम व मौसमी बीमारियों के होने का खतरा अधिक रहता है। इसलिए इससे बचने के लिए पुराने अन्न, मूंग, मसूर, अरहर दाल व चना को डाइट में शामिल करें। जरूरत पड़ने पर शरीर की तेल मसाज या गुनगुने पानी से नहाएं। इस समय पर अधिक मसालेदार, तली-भुनी, मिठाई व ठंडी चीजों का सेवन करने से बचें। इसके अलावा बसंत ऋतु के समय दिन में सोना व रात को देरी तक जागने की गलती ना करें।
ग्रीष्म ऋतु (मध्य मई से मध्य जुलाई)
ग्रीष्म यानि गर्मी की ऋतु में पाचन क्रिया बहुत ही धीमी गति से काम करती है। ऐसे में इस दौरान तीखी, मसालेदार, अधिक नमकीन, खट्टे, ऑयली व गर्म चीजों का सेवन ना करें। इस समय शरीर में मौजूद गर्मी को दूर करने के लिए लस्सी, छाछ, सत्तु, मौसमी व रसीले फलों का सेवन करें। गर्मियों में सबसे ज्यादा शरीर में पानी की कमी महसूस होती है। ऐसे में डाइट में रसदार फल, नारियल पानी, नींबू पानी, गन्ने का रस, ठंडाई, लस्सी आदि को शामिल करें। इसके अलावा हफ्ते में 1-2 बार सिर की ठंडे तेल से मालिश करें।
वर्षा ऋतु (मध्य जुलाई से मध्य सितंबर)
वर्षा ऋतु के दौरान शरीर में वात बढ़ जाता है। ऐसे में पाचन गति कमजोर होने से इससे जुड़ी बीमारियों के होने का खतरा रहता है। ऐसे में इससे बचने व डायरी प्रॉडक्ट्स, देसी घी, गेंहू, टोफू, चुकंदर, ओट्स, चावल, सौंठ, तरबूज, नींबू, चने, मूंग दाल, ड्राई फ्रूट्स का सेवन करें। इसके साथ अधिक मसालेदार, ऑयली, दही, नॉन वेज व खट्टी चीजों को खाने से बचें। इसके अलावा बीमारियों की चपेट में आने से बचने के लिए पानी भी उबाल कर पीएं।
शरद ऋतु (मध्य सितंबर से मध्य नवंबर)
इस दौरान हल्का व जल्दी पच जाने वाला भोजन खाएं। शरीर में अधिक पित्त बनने से अपच, सूजन, हाई ब्लड प्रेशर की समस्या रहती है। ऐसे में इससे बचने के लिए मध्य सितंबर से मध्य नवंबर तक डाइट में कड़वी चीजें जैसे कि- करेला, नीम, सहजन आदि को शामिल करें। इसके अलावा लौकी, तुरई, त्रिफला, मुनक्का, खजूर, जामुन, परवल, आंवला, पपीता, अंजीर, छिलके वाली मूंग दाल,चने खाएं।
हेमन्त ऋतु ( मध्य नवंबर से मध्य जनवरी)
इस मौसम में सर्दी शुरू होने लगती है। इस दौरान शारीरिक गतिविधि कम होने से एनर्जी बचने लगती है। साथ ही दिन छोटे व रातें लंबी होने से सुबह नाश्ता स्किप करने की गलती ना करें। बात डाइट की करें तो सर्दी की ऋतु में देसी घी से तैयार चीजों का सेवन करें। आप तिल, अलसी, बेसन आदि के लड्डू का सेवन कर सकते हैं। मौसमी व हरि पत्तेदार सब्जियां, गाजर-चकुंदर जूस, हलवा, दाल, दलिया आदि खाएं। नॉन वेजिटेरियन लोग अंडे, चिकन, मछली का सेवन करने के बाद गुनगुना पानी जरूर पीएं। साथ ही गुनगुने तेल से सिर मसाज करने के अलावा कुछ देर धूप में भी बैठे।