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दशहरा 2024: कितने तीर लगने के बाद मरा था रावण? जानिए धार्मिक कथा!

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 10 Oct, 2024 05:11 PM
दशहरा 2024: कितने तीर लगने के बाद मरा था रावण? जानिए धार्मिक कथा!

नारी डेस्क: दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, जब भगवान राम ने त्रेतायुग में राक्षस राजा रावण का वध किया था। इस साल दशहरा 12 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। यह पर्व हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है और यह न्याय, सत्य और धर्म की जीत का संदेश देता है।

रावण असुर और दैत्य

धार्मिक ग्रंथों में रावण को एक अत्याचारी असुर और दैत्य के रूप में वर्णित किया गया है, जिसने कई अधार्मिक कृत्य किए थे। लेकिन रावण केवल बुराई का प्रतीक नहीं था, वह एक महान पंडित, विद्वान, योद्धा और शिवभक्त भी था। उसे पराजित करना लगभग असंभव माना जाता था। फिर भी, भगवान राम के हाथों उसकी मृत्यु सुनिश्चित थी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रावण कितने तीर खाने के बाद मरा था?

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कितने तीरों के बाद मरा था रावण?

श्रीरामचरितमानस के अनुसार, भगवान राम ने रावण को मारने के लिए 31 बाण चलाए थे। इन तीरों में एक विशेष बाण रावण की नाभि पर लगा था, जिससे उसकी मृत्यु हुई। 10 बाणों ने उसके 10 सिरों को अलग कर दिया, जबकि शेष 20 बाणों ने उसके दोनों हाथों को शरीर से अलग किया। यह कहा जाता है कि जब रावण का विशालकाय शरीर पृथ्वी पर गिरा तो धरती कांप उठी थी।

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रावण की मृत्यु का रहस्य

रावण के अमरत्व का रहस्य उसकी नाभि में छिपा था, जहां अमृत मौजूद था। भगवान ब्रह्मा द्वारा दिया गया एक दिव्य अस्त्र, जिसे हनुमान जी लंका से लेकर आए थे, के द्वारा ही रावण का अंत संभव था। विभीषण ने भगवान राम को बताया था कि रावण को मारने का एकमात्र तरीका उसकी नाभि पर वार करना है, और राम ने ठीक ऐसा ही किया। दशहरे के दिन इस युद्ध की विजय को याद करते हुए, भगवान राम की विजय और रावण के विनाश का उत्सव मनाया जाता है।

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विजय का संदेश

रावण की मृत्यु केवल एक व्यक्ति के अंत का प्रतीक नहीं थी, बल्कि यह अधर्म और अत्याचार के खिलाफ धर्म और न्याय की जीत का संदेश भी देती है। दशहरे का यह पर्व हमें यह सिखाता है कि चाहे बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, सत्य और धर्म की जीत हमेशा होती है।

इस दशहरे पर हम सभी को भगवान राम के आदर्शों का अनुसरण करते हुए सत्य, धर्म और न्याय की राह पर चलने का संकल्प लेना चाहिए।


 

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