कोरोना महामारी के कारण जहां लोगों को सेहत से जुड़ी हानि हुई वहीं कुछ लोगों को इस दौरान आर्थिक संकट भी झेलना पड़ा। बहुत से लोगों को तो कोरोना के चलते अपनी जान गंवानी पड़ी। हालांकि इस मुश्किल समय में सबसे बड़ा श्रेय फ्रंटलाइन वर्कर्स को जाता है, जिन्हें अपनी जान की परवाह ना करते हुए लोगों के लिए काम किया। ऐसे में इन्हीं फ्रंटलाइन वर्कर्स को ठंड से बचाने का काम कर रही हैं तरुणा सेठी। दरअसल, तरुणा ने एक ऐसा मूवमेंट शुरू किया है जिसके जरिए वह इन वर्कर्स को रजाईयां बांट रही हैं वो भी मुफ्त।
अब तक बांट चुकी हैं 100 मुफ्त रजाई
कोरोना महामारी के बीच अगस्त 2020 में तरुणा ने 'करूणा क्विल्ट मूवमेंट' शुरू किया, जिसके जरिए उन्होंने फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए ब्लॉक प्रिंट से लेकर पैचवर्क तक की रजाईयां बनाने शुरू की। 15 नवंबर से अब तक वह करीब 100 रजाई बनाकर कर्मचारी, आर्मी, पुलिस, नगर पालिका कर्मचारियों को मुफ्त बांट चुकी हैं।
कुछ समय पहले तरुणा अमेरिका में चली गई थी लेकिन साल 2015 में वह मुंबई लौट आई। इसके बाद उन्होंने 2016 में सिंपल पैचवर्क क्विल्टिंग पर ध्यान केंद्रित करते हुए 'सिंपली ब्यूटीफुल ऑलवेज' नाम से एक बिजनेस सेटअप किया। तरुणा और उनकी टीम में करीब 22 कारीगर हैं, जो तेजी से अपना काम कर रहे हैं, जो 12.5 x 12.5 इंच के ब्लॉक्स से लेआउट डिजाइन करके रजाई बनाते हैं।
फ्रंटलाइन वर्कर्स को फ्री बांट रही ब्लॉक प्रिंट से पैचवर्क वाली रजाईयां
बता दें कि तरुणा ने फ्लोरिडा से पैचवर्क रजाईयां बनाना सीखा था। उन्होंने देखा कि सामाजिक आंदोलन के जरिए वहां लोग ब्लॉक्स बनाकर रजाई बनाने वाली संस्था को दान देते हैं। जिसके बाद रजाई बनाने के लिए उनका यूज होता है। फिर क्या उनसे आइडिया लेकर तरुणा ने भी महामारी काल में पैचवर्क वाली रजाईयां बनाकर बांटना शुरु किया। तरुणा का कहना है कि कोई भी व्यक्ति उन्हें पैचवर्क ब्लॉक्स बनाकर डोनेट कर सकता है, जिन्हें बाद में रजाई बनाने के लिए यूज किया जाता है। ये ब्लॉक्स सिलाई, पैच वर्क, पेंट, कढ़ाई, बुनाई और क्रोकेट किसी भी तरह के हो सकते हैं।
15 अगस्त तक 1,000 रजाई बांटने की ख्वाहिश
तरुणा की ख्वाहिश है कि वो साल 2021, 15 अगस्त यानि स्वतंत्रता दिवस पर फ्रंटलाइन वर्कर्स को 1,000 रजाई बनाकर बांटे। सिर्फ फ्रंटलाइन वर्कर्स ही नहीं बल्कि कोरोना के कारण अपनी नौकरी खो चुके लोगों के लिए भी तरुणा ने मदद का हाथ बढ़ाया। वह हॉस्पिटल से लेकर ऑपरेशन थियेटर तक सामान पहुंचाने वाली ड्राइवर्स या लोगों की जान बचाने के लिए अन्य क्षेत्रों में काम रहे कर्मचारियों तक वह रजाईयां पहुंचाना चाहती हैं।
गांववासियों को सिखा रही कला ताकि उन्हें मिले रोजगार
फिलहाल तरुणा बिहार के दरभंगा जिले के बल्लाह गांववासियों इस कला के जरिए रोजगार दिला रही है। दरअसल, वह गांव के लोगों को रजाई बनाना सिखाती है, जिनसे ना सिर्फ गांव वालों को रोजगार मिला बल्कि तरुणा के प्रोजेक्ट में भी मदद हुई। अब वह कड़कड़ाती ठंड में तेजी और ज्यादा से ज्यादा रजाईयां लोगों को मुहैया करवा रही हैं। इसके अलावा वह NGO के लोगों को भी रजाई बनाने की ट्रेनिंग हैं। उनका कहना है कि जब तक हमारे पास सही दृष्टिकोण और फ्री माइंड है हम कुछ भी करने में सक्षम हैं।