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गणपति को सपरिवार बुलावा देने इस मंदिर में जाएंगे कैफ- विक्की, यहां हर मुराद होती है पूरी

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 07 Dec, 2021 12:05 PM
गणपति को सपरिवार बुलावा देने इस मंदिर में जाएंगे कैफ- विक्की, यहां हर मुराद होती है पूरी

फैंस का  लंबा इंतजार अब खत्म हाेने जा रहा है। बॉलीवुड अभिनेत्री कैटरीना कैफ और अभिनेता विक्की कौशल जल्द ही शादी के बंधन में बंध जाएंगे। 7 से 9 दिसंबर के बीच संगीत से लेकर  मेहंदी सेरेमनी का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान यह जोड़ा  सवाई माधोपुर के रणथंभौर किले में स्थित गणेश मंदिर में आशीर्वाद लेने जाएगा।

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इस मंदिर में भेजा जाता है शादी का पहला कार्ड

मान्यता है कि इस गणेश मंदिर में आशीर्वाद लेना काफी फसला फूलता है। इस मंदिर की इतनी लोकप्रियता है कि हजारों लोग अपनी शादी का पहला कार्ड शुभ शुरुआत के संकेत के रूप में भेजते हैं। बताया जा रहा है कि  माधोपुर के लोगों द्वारा इस मंदिर का महत्व बताने पर कैटरीना- विक्की ने यहां जाने का फैसला लिया। तो चलिए बताते हैं कि यह मंदिर बाकी मंदिरों से अलग कैसे है। 

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पूरे परिवार के साथ विराजमान हैं गणेश जी

सवाई माधोपुर के रणथंभौर किले में 1500 फीट की ऊंचाई पर भगवान श्रीगणेश का प्राचीन मंदिर है।  इस मंदिर को भारतवर्ष का ही नहीं विश्व का पहला गणेश मंदिर माना जाता है। यहां पर भगवान श्रीगणेश जी की प्रतिमा स्वयंभू प्रकट हुई थी। भगवान गणेश इस मंदिर में दो पत्नी- रिद्दि और सिद्दि और दो पुत्र- शुभ और लाभ के साथ विराजमान हैं, यानी कि यहां पूरे परिवार के दर्शन हो जाएंगे।

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यहां होते है गणेश जी के मुख की पूजा 


 यहां सिर्फ गणेश के मुख की पूजा की जाती है। शरीर के अन्य अंग नहीं होने से ये प्रतिमा रहस्यमयी जान पड़ती है। शादी या किसी भी शुभ कार्य से पहले दुनियाभर के लोग पहला कार्ड सबसे पहले मंदिर भिजवाते हैं। रोजाना मंदिर में 15 से 20 किलो डाक आती है। इसमें निमंत्रण पत्र और गणेश भगवान के नाम खत होते हैं। जो अलग-अलग भाषाओं में भी होते हैं। बड़ी बात यह है कि पुजारी सभी कार्ड गणेश जी को पढ़कर सुनाते हैं।

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 गणेश जी को पढ़कर सुनाए जाते हैं कार्ड 

बताया जाता है कि 10वीं सदी में रणथंभौर के राजा हमीर ने ये मंदिर बनवाया था। तभी से भगवान गणेश जी को प्रथम निमंत्रण देने का सिलसिला चल रहा है। एक और मान्यता के अनुसार द्वापर युग में भगवान कृष्ण का विवाह रूकमणी से हुआ था। इस विवाह में वे गणेशजी को बुलाना भूल गए।  कृष्ण जी को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने गणेशजी को मनाया। तब से गणेशजी हर मंगल कार्य करने से पहले पूजे जाते हैं। 

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