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चमकी बुखार ले चुका है अब तक 25 बच्चों की जान, आप भी हो जाएं सावधान

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 13 Jun, 2019 04:32 PM
चमकी बुखार ले चुका है अब तक 25 बच्चों की जान, आप भी हो जाएं सावधान

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में चमकी बुखार यानि कि दिमागी बुखार के चलते अब तक 25 बच्चों की मौत हो चुकी है। हालात इतने खराब हैं कि अस्पताल में बच्चों के वार्ड पूरे भर चुके हैं। एसकेएमसीएच हॉस्पिटल में इस बुखार से पीड़ित 100 से ज्यादा बच्चे भर्ती हैं। लगातार पीड़ित बच्चों की संख्या को बढ़ता हुआ देख हॉस्पिटल प्रशासन ने तीसरी यूनिट खोलने की तैयारी शुरु कर दी है। बिहार से सी.एम नीतिश कुमार ने लोगों को पूरी आश्वासन देकर इस बीमारी पर जल्द ही रोक लगाने की बात कही है।  चलिए अब जानते हैं चमकी बुखार के होने के कारण और लक्षण ।

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क्या होता है चमकी बुखार?

चमकी बुखार के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि कई बच्चों में रब्बिस वायरस, हर्पिस सिम्पलेक्स पोलियो वायरस, खसरे का विषाणु, और छोटी चेचक का विषाणु आदि के चलते यह बुखार हो जाता है। जिन बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, ऐसे बच्चे भी बहुत जल्द दिमागी बुखार का शिकार हो जाते हैं। चमकी बुखार एक बहुत ही खतरनाक जीवाणु इन्सेफेलाइटिस के संक्रमण को कारण होता है, जो शरीर में अपना वायरस बहुत तेजी से फैलाता है। 

चमकी बुखार के लक्षण

इससे पीड़ित बच्चों को तेज बुखार आता है और शरीर में ऐंठन होती है। इसके बाद बच्चे बेहोश हो जाते हैं। मरीज को उलटी आने और चिड़चिड़ेपन की शिकायत भी रहती है। दिमागी बुखार होने पर कुछ लोगों के मस्तिष्क मे सूजन हो जाती है, यह सूजन किसी भी घातक विषाणु के संक्रमण से होता है। घातक विषाणु जैसे जापानी इन्सेफेलाइटिस वायरस, सेंट लूसी वायरस, वेस्ट नील वायरस आदि वायरल के प्रमुख कारण हैं। इन सबके अलावा और भी कई लक्षण हैं जैसे कि...

- बहकी-बहकी बातें करना
- मांसपेशियों में तेज दर्द
- बोलने और सुनने की शक्ति का कमजोर होना
- बिना किसी बात के भ्रम उत्पन्न होना, इत्यादि।
- बच्चे का चिड़चिड़ा होना।

एसकेएमसीएच अस्पताल के शिशु रोग विभाग के मुख्य डॉक्टि, डॉ. गोपाल शंकर साहनी का कहना है कि इस तरह के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। अस्पताल के आंकड़ों के मुताबिक साल 2012 में इस बुखार से 120 बच्चों की मौत हुई थी।

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घरेलु उपचार

शरीर को पूरी तरह आराम दें

इस तरह के बुखार में बच्चों को पूरा आराम करवाएं। अगर आपका बच्चा बहकी-बहकी बातें कर भी रहा है तो बहुत प्यार से उसकी बातों का जवाब दें। उसके मानसिक संतुलन को बिगड़ने न दें। जितना हो सके उसे प्यार से सहलाए।

बच्चे को अंधेरे और शांत कमरे में रखें

आप जितना बच्चे को जितना शांत और थोड़ी कम रोशनी वाले कमरे में रखेंगे, बच्चा उतनी जल्दी ठीक होगा। बच्चे को टी.वी और मोबाइल से दूर रखें। ऐसा न करने पर बच्चे को सिर दर्द की समस्या हो सकती है।

लिक्विड फूड न लें

ओआरएस के घोल को गर्म पानी में घोलकर पीने के अलावा बच्चे को और कोई पेय पदार्थ न दें। हो सके तो किसी भी तरीके से बच्चे को लहसुन का सेवन करवाएं। लहसुन में मौजूद एलिकिन नामक औषधीय तत्व जीवाणुरोधी, एंटीवायरल, एंटीफंगल और एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होते हैं, जिनका सेवन चमकी बुखार में बहुत फायदेमंद होता है।

चमकी बुखार ज्यादातर 13 से 14 साल के बच्चों को होता है,मगर जरुरी नहीं हैं कि यह बुखार केवल बच्चों को ही हो, बल्कि बढ़े लोग खासतौर पर बुजुर्ग इस बुखार का शिकार जल्द हो जाते हैं, क्योंकि बच्चों की तरह बढ़े बुजुर्गों की भी इम्युनिटी पावर वीक होती है। इसलिए सभी लोगों को इस बुखार से सावधान रहने की जरुरत है। जितना हो सके घर का बना खाना खाएं। घर के खाने को भी अच्छी तरह ढककर ही रखें, आखिर इलाज से बेहतर परहेज होता है। 

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