भारत में शादी के बाद हर महिला से यह उम्मीद की जाती है कि वह अपने परिवार और उनकी जरूरतों का पूरा ख्याल रखे। यहां पर परिवार को मतलब पति और बच्चे ही नहीं, बल्कि उसके ससुराल वाले भी हैं। पति के माता-पिता, भाई-बहन चाचा- चाची आदि भी आपकी जिम्मेदारी है। एक विवाहित महिला के लिए इन सब का ख्याल रखना आपके प्रमुख कर्तव्यों में से एक है। लेकिन जो महिला अपने ससुराल वालों के साथ नहीं रहना चाहती क्या उसे स्वार्थी मान लिया जाएगा?
समाज में पत्नी, मां, बहू की रूपरेखा बदल गई है
क्या उसे खुद को पहले रखने के लिए शर्मिंदा और अपमानित होना पड़ेगा? भले ही हमारे समाज में पत्नी, मां, बहू, भाभी की रूपरेखा बदल गई है, लेकिन
कर्तव्य कुछ हद तक वही रहते हैं। उनसे यह अपेक्षा की जाती है कि वह अपने घर के लोगों की जरूरतों को अपने से ऊपर रखे। आज भारत अपनी बेटियों को शिक्षित और आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने के लिए बड़ा कर रहा है। ऐसे में लड़कियां अपनी इच्छा से विवाह कर रही हैं ना की एक सहारे के लिए।
बदलावों को अपना रहे हैं पुरुष
पहले एक आदमी कमाता था और इसके बदले वह चाहता था कि उसकी पत्नी उसके परिवार की देखभाल करे। लेकिन अब जो पत्नियां आर्थिक रूप से निर्भर हैं, वह अपेक्षा करती हैं कि उनका पति भी घर के कामों में हाथ बटाए। पुरुष भी तेजी से इन बदलावों को अपना रहे हैं। हालांकि, एक बार जब आप शादी के बाद सुसरालवालों के साथ रहना शुरू करते हैं, तो पुराने मूल्यों और नए गुणों के बीच तकरार शुरू हो जाती है। जबकि महिलाएं अपना पक्ष रखती हैं, पुरुष अक्सर अपने माता-पिता को खुश करने के चलते कुछ बोल नहीं पाते हैं।
महिलाओं पर ही क्यों पड़ता है भार ?
कई महिलाओं ने देखा होगा, पुरुष अपने माता-पिता या परिवार के आसपास अलग तरह से व्यवहार करते हैं। ऐसे में सवाल यह है कि भारतीय माता-पिता उदार बेटियों की परवरिश तो कर रहे हैं, क्या वे उदार बहुओं का स्वागत कर रहे हैं? आज भी बहुत से घरों में एक बहू के लिए विचार खुले नहीं है। जब आप एक परिवार के साथ रहते हैं, तो निर्णय एक साथ लिए जाते हैं। लेकिन भार हमेशा घर की महिलाओं पर ही क्यों पड़ता है?
क्या बहुओं की है सिर्फ जिम्मेदारी ?
क्या बुजुर्गों की देखभाल की जिम्मेदारी केवल बहुओं पर ही आनी चाहिए? क्या सभी भारतीय परिवार अपनी बहुओं के साथ सम्मान, देखभाल और प्यार के साथ व्यवहार करते हैं जिसके वे हकदार हैं? क्या ऐसी स्थिति में फंसी महिला का अपने ससुराल वालों के साथ नहीं रहना अनुचित है?बहुत सी महिलाएं अपने आस-पास के घरों में इस तरह की समस्या को देखती चुकी हैं, शायद तभी वह अलग रहने का मन बना लेती है। दैनिक आधार पर वह मानसिक शांति और विवाह में खटास ना लाने के चलते ऐसा सोचती हैं, लेकिन हमारा समाज ऐसी महिलाओं के प्रति दयालु नहीं है।
ससुराल वाले खुद से करें सवाल
ऐसी महिलाओं के लिए ये सोच बना दी जाती है कि वह स्वार्थी और घर तोड़ने वाली है। वह बेटों को उनके माता-पिता के खिलाफ कर कर रही है, और दूसरी लड़कियों के लिए एक बुरा उदाहरण पेश कर रही है। किसी भी दंपत्ति का अपने बूढ़े माता-पिता से मुंह मोड़ने को न सिर्फ गैर जिम्मेदाराना बल्कि अनैतिक भी कहा जाता है। लेकिन महिलाओं को शर्मसार करने की बजाय हर घर को खुद से पूछना चाहिए कि बहू अलग क्यों रहना चाहती है?