कैंसर एक ऐसी जानलेवा बीमारी है, जिसका नाम सुनकर ही लोग सहम जाते हैं। दुनियाभर में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। वहीं हर साल कैंसर से पीड़ित महिलाओं की संख्या भी बढ़ती ही जाती है। भारतीय महिलाएं ज्यादातर 5 तरह के कैंसर का शिकार होती हैं, जो कि है स्तन, गर्भाशय, कोलोरेक्टल, अंडाशय और मुंह का कैंसर । एक सर्वे के मुताबिक भारत में सर्वाइकल कैंसर से हर आठ मिनट में एक महिला की मृत्यु हो जाती है। इसका प्रमुख कारण है कैंसर के बारे में जागरूकता की कमी। कैंसर को लेकर जागरुकता फैलाने के मकसद से हर साल 4 फरवरी को 'विश्व कैंसर दिवस' मनाया जाता है। तो आइए इस मौके पर जानते हैं महिलाओं में कैंसर होने के प्रमुख कारण , उनके प्रकार एवं उनके लक्षणों के बारे में...
महिलाओं में कैंसर होने का कारण
महिलाओं में कैंसर के कई कारण हैं। इसमें आतंरिक और बाहरी पहलू दोनों हैं। स्तन और ओवेरियन कैंसर के 6-8 प्रतिशत मामले आनुवंशिक (Heredity) होते हैं। वहीं लाइफस्टाइल से जुड़े कारणों में मोटापा, धूम्रपान व शराब का सेवन शामिल है। कई मामलों में पीरियड्स जल्दी शुरू होना या देर से बंद होना भी इसका कारण हो सकते हैं। वहीं वायु प्रदूषण,संक्रमित खाद्य पदार्थों का सेवन और प्रदूषित पानी भी कैंसर के जोखिम को ज्यादा बढ़ा देता है।
महिलाओं को होने वाले कैंसर
ब्रेस्ट कैंसर
शहरी महिलाओं में ये कैंसर सबसे ज्यादा पाया जाता है। आजकल कम उम्र में ही ब्रेस्ट कैंसर के मामले सामने आने लगे हैं। यह ब्रेस्ट में असामान्य रूप से कोशिकाओं के परिवर्तन और वृद्धि होने से होता है, यही कोशिकाएं मिलकर ट्यूमर बनाती हैं।
लक्षण
दूध जैसा सफेद पदार्थ या खून आना, स्तन की त्वचा पर नारंगी रंग के छिलके जैसी चीज़ दिखाई देना, स्तन या बगल में कोई गांठ, ब्रेस्ट के अग्रभाग का धंसा हुआ होना, आकार में बदलाव होना।
सर्वाइकल कैंसर
कर्विक्स की कोशिकाओं के फैलने पर ये कैंसर होता है। ज्यादातर सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पेपिलोमावायरस (HPV) के कारण होता है। ह्यूमन पेपिलोमावायरस (HPV) कई वायरस का समूह होता है, जो गर्भाशय ग्रीवा को संक्रमित करता है। ह्यूमन पेपिलोमावायरस 100 से भी ज्यादा प्रकार के होते हैं। ये वायरस शारीरिक संबंध बनाने से एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता है।
लक्षण
मासिक चक्र के बीच में खून दिखना, सामान्य से ज्यादा रक्तस्राव, असामान्य डिस्चार्ज चेतावनी के संकेत हैं।
कोलोरेक्टल कैंसर
महिलाओं में यह तीसरा सबसे आम कैंसर है। यह बड़ी आंत को प्रभावित करता है। ज्यादातर मामलों में इसकी शुरुआत कोशिकाओं के गैर कैंसर गुच्छे के रूप में होती है जिसे नज़रअंदाज़ किया जाए तो यह कैंसर बन सकता है।
लक्षण
डायरिया या कब्ज समेत पेट सम्बंधित परेशानी होना, चार हफ़्ते से ज्यादा समय तक मल में बदलाव, मलद्वार से खून आना, पेट में दर्द रहना, वजन घटना और कमजोरी या थकान।
अंडाशय का कैंसर
अंडाशय कैंसर (Ovarian cancer) 30 से 65 वर्ष की उम्र की महिलाओं में ज्यादा होता है। जिनके परिवार में पेट, अंडाशय, ब्रेस्ट, गर्भाशय के कैंसर का कोई इतिहास रहा हो उनमें कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है।
लक्षण
पेल्विस (पेडू) या पेट के निचले हिस्से में दर्द होना, अपच, बार-बार पेशाब आना, भूख न लगना, पेट में सूजन और फूलना।
मुंह का कैंसर
मुंह का कैंसर महिलाओं को भी उतना ही प्रभावित करता है जितना पुरूषों को। इसके प्रमुख कारण तम्बाकू या शराब का ज्यादा सेवन है।
लक्षण
मुंह में लाल या सफेद निशान, गांठ बनना, होंठों या मसूड़ों खराबी, सांस की बदबू, दांतों का कमजोर होना और वजन बेहद कम होना।
नोट- इनमें से कोई भी लक्षण आप महसूस करती हैं तो इसे हल्के में ना लें, तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लें।