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प्री मैच्योर नवजात शिशु को कोविड से कैसे बचाएं?

  • Edited By Anu Malhotra,
  • Updated: 16 Jul, 2021 01:57 PM
प्री मैच्योर नवजात शिशु को कोविड से कैसे बचाएं?

पूरे भारत में कोरोना की दूसरी लहर अब थमती हुई नज़र आ रही है। वहीं एक्सपर्ट का मानना है कि देश में तीसरी लहर भी आ सकती है। जिसके चलते हमें पहले से ज्यादा एहतियात बरतने की जरूरत है। विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि तीसरी लहर सबसे ज्यादा बच्चों को प्रभावित कर सकती है वहीं  देश में चल रही कोरोना की दूसरी लहर में प्री-मैच्योर नवजात शिशुओं में कोविड संक्रमण भी देखा गया है, इसके साथ ही पैदा होने के तुरंत बाद नवजात शिशुओं के भी कोरोना से प्रभावित होने के कई मामले सामने आए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि तीसरी लहर  की संभावना को देखते हुए बच्‍चों को संक्रमण से बचाने के लिए कई उपाय को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है।

पीडियाट्रिक एक्सपर्ट के अनुसार, नवजात शिशुओं में इसकी तीव्रता अधिक नहीं देखी गई। ये बच्चे  हल्के या फिर एसिम्पटोमेटिक लक्षण के शिकार होते हैं लेकिन नवजातों को कोविड और लांग कोविड  की चपेट में आने से बचाने की जरूरत है।

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एक्सपर्ट के अनुसार, लांग कोविड के लक्षणों और नवजात शिशुओं को कोरोना से बचाने के लिए गर्भवती महिलाओं का वेक्सीनेटेज होना बहुत जरूर है। 

कोविड संक्रमण से किस तरह बचाव संभव है?
इस पर एक्सपर्ट का कहना है कि ऐसी गर्भवती महिलाएं जिन्हें कोविड संक्रमण हो चुका है या जो कोविड संक्रमित हैं, उनमें सामान्य गर्भवती महिलाओं के मुकाबले प्रसव संबंधी दिक्कतें बढ़ने का अधिक खतरा रहता है। इसलिए गर्भवती महिलाएं कोविड वैक्सीन जरूर लगवाए।  गर्भवती महिलाओं के माध्यम से गर्भस्थ शिशु में भी संक्रमण के प्रति एंटीबॉडी देखी गई हैं। गर्भस्थ शिशु की यह एंटीबॉडी उन्हें कई महीनों तक कोविड संक्रमण से सुरक्षा देती है।

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नवजात बच्चों में लांग कोविड लक्षणों को कैसे पहचानें
एक्सपर्ट का कहना है कि बच्चों में बड़ों की तरह की लांग कोविड लक्षण देखने को मिलते हैं, जिसके लक्षण भी बड़ो की तरह ही होते हैं।  हालांकि नवजात शिशुओं में लांग कोविड जैसे किसी तरह के लक्षण या ऐसे केस फिलहाल सूचित नहीं किए गए हैं।

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प्री मैच्योर नवजात शिशु को कोविड से कैसे बचाएं
एक्सपर्ट का कहना है कि नवजात शिशुओं में कोविड का संक्रमण देखा गया है, लेकिन नवजात शिशुओं में इसकी तीव्रता अधिक नहीं देखी गई, बच्चे  हल्के या फिर ए सिम्पमेटिक लक्षण के शिकार होते हैं। प्री- मैच्योर नवजात शिशुओं में भी कोविड संक्रमण देखा गया है, नवजात शिशुओं में भी कोविड संक्रमण का प्रबंधन नियोनेटल कोविड प्रबंधन के मानकों प्रोटोकॉल के अनुसार ही किया जाता है।

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कोरोना वायरस के दौरान नवजात शिशुओं का ऐसे रखें ख्याल
-इस दौरान मां को डबल मास्‍क लगाना है, और कोशिश करें की ब्रेस्‍ट फीडिंग के दौरान थोड़ा फिजिकल अंतर जरूर रखें। ताकि सांस के द्वारा इंफेक्‍शन नवजात बच्चे तक न पहुंच सकें।

-जब भी बच्‍चों को संभाले हाथ जरूर वाॅश करे, और उसे अपने गोदी में लेने से पहले साफ बेडशीट का ही इस्तेमाल करें। फीडिंग के बाद बच्चे को अपने पास नहीं रखें। उसे एक झूले में थोड़ी दूरी पर रखें। 

-समय से बच्चा होता है तो उसे सभी प्रकार के टीके लगवाए जो नवजात बच्‍चों को लगाए जाते हैं जैसे बीसीजी, हेपेटाइटिस बी का टीका और पोलियो की दो बूंद दवा पिलाएं।

-वहीं अगर प्रीमैच्योर बच्चा होता है तो उन्हें अलग से बेबी केयर रूम में रखा जाता है।


 

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