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भगवान विष्णु को कैसे प्राप्त हुआ चमत्कारी सुदर्शन चक्र?

  • Edited By Harpreet,
  • Updated: 11 Jun, 2020 01:48 PM
भगवान विष्णु को कैसे प्राप्त हुआ चमत्कारी सुदर्शन चक्र?

हिंदू धर्म के मुताबिक इस सृष्टि की रचना करके इसकी देखभाल करने वाले भगवान विष्णु जी हैं। शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु जी की चार भुजाएं थी। जिसमें वह अपने नीचे वाले बाएं हाथ में कमल, नीचे वाले दाहिने हाथ में गदा, ऊपर वाले बाएं हाथ में शंख और अपने ऊपर वाले दाहिने हाथ में सुदर्शन चक्र धारण करते हैं। यह सुदर्शन चक्र उन्हें भगवान शिव जी ने भेंट किया था। आइए जानते हैं विष्णु जी के पास मौजूद सुदर्शन चक्र और अन्य शुभ चीजों के पीछे छिपे रहस्य...

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सुदर्शन चक्र

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु जी ने 1000 स्वर्ण कमल फूलों के साथ भगवान शिव जी की पूजा की थी। पूजा समाप्त होने के बाद भगवान शिव जी ने विष्णु जी को यह सुदर्शन चक्र भेंट किया था। इस सुदर्शन चक्र में इतनी शक्ति है कि जब धरती पर पाप का घड़ा भर गया तो विष्णु जी इस एक चक्र के साथ पूरी धरती का विनाश कर सकते हैं।

धरती पर भूल गए थे सुदर्शन चक्र

एक बार किसी युद्ध के चलते भगवान विष्णु जी स्वयं धरती पर पधारे थे, मन अशांत होने के कारण वह अपना सुदर्शन चक्र धरती पर ही भूल गए। मगर जब पाताल लोग में जाकर उनका मन शांत हुआ तो उन्हें याद आया कि वह अपना चक्र धरती लोक पर ही भूल आए हैं। तब भगवान शिव ने उन्हें एक और सुदर्शन चक्र भेंट किया। पहले सुदर्शन चक्र को भगवान शिव ने विष्णु जी को धरती पर ही रख देने की सलाह दी, ताकि लोगों का इससे उधार हो सके। 

मोर पंख

सुदर्शन चक्र के अलााव भगवान विष्णु जी के पास मोर पंख भी हमेशा रहता है। जो श्री कृष्ण जी के अवतार को दर्शाता है। यह मोर पंख विष्णु जी को भगवान श्री कष्ण जी ने स्वयं दिया था।

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शेषनाग

आपने अक्सर तस्वीरों में देखा होगा कि भगवान विष्णु शेषनाग पर विराजमान रहते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वह लोगों को जीवन में दुख और सुख दोनों संग जीने की प्रेरणा देते हैं। जब तक जीवन है, सुख और दुख चलायमान रहेंगे, व्यक्ति को इन सभी परिस्थियों का सामना हंसकर करना होगा।

कमल का फूल

विष्णु जी के पास कमल का फूल मां लक्ष्मी जी का प्रतीक है। जो व्यक्ति को जीवन में मान-सम्मान और धन-दौलत विद्दा से नवाजता है।

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शंख

भगवान विष्णु द्वारा धारण किया गया शंख नाद (ध्वनि) का प्रतीक है।  यह आवाज व्यक्ति को बुरे कर्म करते वक्त चेतावनी देती है। शंख की धुन व्यक्ति को चेतावनी है कि उसके द्वारा किए जाने वाले हर कर्म का फल उसे खुद ही भुगतना पड़ेगा। उसके हिस्से का सुख भले आपस में बंट जाए मगर दुख का सामना उसे अकेले ही करना पड़ेगा।

गदा

जिस प्रकार शंख व्यक्ति को बुरे कर्म करने से रोकता है, वैसे ही भगवान विष्णु जी की गदा उसे उसके बुरे कर्मों का दंड देता है। 

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