हिंदू धर्म में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का खास महत्व है, जिसका महोत्सव 10 दिन तक चलता है। मगर, कोरोना महामारी के चलते इस बार सुप्रीम कोर्ट ने रथयात्रा को लेकर कई नियम जारी किए हैं। दरअसल, कोरोना काल को देखते हुए इस यात्रा में आम श्रद्धालुओं को शामिल होने की अनुमति नहीं मिली है।
कितने दिन तक चलती है रथ यात्रा?
रथयात्रा का शुभारंभ आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से होती है, जो शुक्ल पक्ष के 11वें दिन खत्म हो जाती है। इस महाआयोजन के दौरान भगवान कृष्ण, उनके भाई बलराम और बहन सुभद्रा को जगन्नाथ मंदिर से रथ पर सवार कर उनकी मौसी के घर यानी गुंडीचा मंदिर ले जाया जाता है। मान्यता है कि इस यात्रा में शामिल होना या इसका दर्शन करने के अत्यंत पुण्य लाभ होता है।
कहां से शुरू होती है रथयात्रा?
रथ यात्रा उड़ीसा के पुरी में स्थित 800 वर्ष पुराने मंदिर भगवान जगन्नाथ से शुरू होती है। यह पवित्र मंदिर भारत के चारों पवित्र धामों में से एक माना जाता है। यहां विष्णु अवतार भगवान श्रीकृष्ण स्वयं जगन्नाथ रूप में विराजमान अपने बड़े भाई बलराम व बहन देवी सुभद्रा के साथ विराजमान है। रथ यात्रा में दौरान इन तीनों के ही अलग अलग रथ सजाए जाते हैं और भव्य यात्रा निकाली जाती है।
ऐसे हुई रथयात्रा की शुरूआत
कुछ लोग मानते हैं कि सुभद्रा अपने मायके आई हुईं थी तब उन्होंने भगवान कृष्ण और बलराम से नगर भ्रमण करने की इच्छा जताई थी, तब वह तीनों रथ में सवार नगर में घूमने गए थे। कुछ लोग ये भी मानते हैं कि भगवान कृष्ण, सुभद्रा और बलराम को उनकी मौसी ने घर आने का निमंत्रण दिया था इसलिए रथ में सवार तीनों 10 दिन के लिए वहां रहने जाते हैं।
यह भी है कहानी
ऐसा भी कहा जाता है कि जब भगवान कृष्ण के मामा कंस ने उन्हें मथुरा बुलाया था तब वह अपने भाई व बहन के साथ वहां गए थे, जहां से इस रथयात्रा की शुरूआत हुई थी। वहीं एक कथा यह भी है कि भगवान कृष्ण के द्वारा कंस का वध करने के बाद इस यात्रा की शुरूआत की गई।
कोरोना वायरस की वजह से रहेगी ये पांबधियां
. कोरोना वायरस के चलते यात्रा में आम लोगों को शामिल होने की अनुमति नहीं होगी।
. यात्रा में शामिल होने वाले लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा।
. हर किसी के लिए मास्क पहनना जरूरी होगा।