महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कई बार कॉम्पलीकेशन होती हैं जिसके कारण बच्चे समय से पहले ही जन्म ले लेते हैं। ऐसे बच्चों को प्रीमेच्योर बेबी कहते हैं। प्रीमेच्योर बच्चों का विकास न्यू बॉर्न बच्चों की तुलना से कम होता है। यदि ऐसे बच्चों के अच्छे से देखभाल न की जाए तो उनका शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, एनआईसीयू से जब बच्चा प्रीमैच्योर घर में आता है तो उसे खास देखभाल की आवश्यकता पड़ती है। तो चलिए आपको बताते हैं कि कैसे आपका प्रीमेच्योर बच्चों की सेहत का ध्यान रख सकते हैं...
डॉक्टर की लें सलाह
जब भी आप प्रीमेच्योर बच्चे को घर में लेकर आए तो उसकी अच्छे से देखभाल करें। डॉक्टर से सलाह लें और उनके मुताबिक ही बच्चे की परवरिश करें। अगर फिर भी बच्चे को कोई दिक्कत आती है तो डॉक्टर से सलाह लेकर बच्चे को कोई इलाज दें।
साफ-सफाई का भी रखें ध्यान
आप बच्चे की साफ-सफाई का भी पूरा ध्यान रखें। प्रीमेच्योर पैदा हुए बच्चे को इंफेक्शन भी हो सकता है। इसलिए उसके आस-पास सफाई का विशेष रुप से ध्यान रखें। समय-समय पर उसका बिस्तर साफ करते रहें। साफ डायपर और नैपी का इस्तेमाल करें। बच्चे को उठाने से पहले अपने हाथ भी अच्छे से धो लें।
जरुर करवाएं ब्रेस्टफीडिंग
प्रीमेच्योर बच्चे के लिए मां को दूध सबसे जरुर होता है। क्योंकि इसमें कई सारे पोषक तत्व पाए जाते हों जो बच्चे के विकास में मदद करते हैं। इन सब पोषक तत्वों के साथ बच्चा बीमार नहीं होता। साथ ही यदि बच्चा कमजोर है तो स्तनपान करवाने से वह हैल्दी रहेगा।
कंगारु मदर केयर थेरेपी दें
आप प्रीमेच्योर बच्चे को कंगारु मदर केयर थेरेपी जरुर दें। यह एक ऐसी टेक्नीक है जिसमें बच्चे के शरीर को गर्मी की सहायता से हैल्दी रखा जाता है। इस थेरेपी की सहायता से बच्चे का वजन भी बढ़ता है। कंगारु थेरेपी एक पिता भी अपने बच्चे को दे सकता है।
अच्छा तापमान भी है जरुरी
प्रीमेच्योर बच्चे को एक अच्छे तापमान में रखना भी बहुत ही आवश्यक है। इस बात का ध्यान रखें कि यहां आपका बच्चा रह रहा है वहां का तापमान आरामदायक हो। बच्चे को न ज्यादा गर्म और न ज्यादा ठंडे तापमान में रखें। इसके अलावा सीधे पंखे, कूलर या एसी के नीचे भी न रखें।