सर्दी का मौसम शुरु हो गया है। बदलता मौसम कई तरह की बीमारियों का कारण बनता है। ऐसे में माता-पिता बच्चे के स्वास्थ्य के लेकर चिंतित हो जाते हैं। ऐसे में आप स्वस्थ खान-पान के जरिए बच्चे को कई स्वास्थ्य समस्याओं से दूर रख सकते हैं। सर्दियों में पड़ने वाली इस कड़ाके की ठंड में आप बच्चों को शकरकंद खिला सकते हैं। शकरकंद स्वाद में मीठी होने के साथ-साथ पोषक तत्वों से भरपूर होती है। तो चलिए आपको बताते हैं कि इससे आपके बच्चे को क्या स्वास्थ्य लाभ होंगे....
शिशु को कब देना शुरु करें शकरकंद?
वैसे शिशु को छ: महीने के बाद आप ठोस आहार खिला सकते हैं। लेकिन यदि बच्चा आराम से शकरकंद खा लेता है तो आप उसे इसका सेवन करवा सकते हैं, लेकिन कोई जबरदस्ती आप बच्चे के साथ न करें। जोर जबरदस्ती के साथ आपका शिशु उसे खाएगा नहीं और खाने से दूर भी भागने लगेगा।
क्या होते हैं फायदे?
शकरकंद में विटामिन-ए की काफी अच्छी मात्रा पाई जाती है यह बच्चे को स्वस्थ रखने में और आंखों के लिए भी बहुत ही फायदेमंद होती है। इसके अलावा इसमें बीटा-कैरोटीन पाया जाता है। बीटा कैरोटीन शरीर में विटामिन-ए बनाने में मदद करता है। ऐसे में आप बच्चे को ऐसे आहार का सेवन करवाएं जिसमें विटामिन-ए की काफी अच्छी मात्रा पाई जाती हो। विटामिन-ए बच्चे के शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है।
कब्ज से दिलवाए राहत
शकरकंद में स्टार्च और डाइटरी फाइबर पाया जाता है। शरीर स्टार्च को शुगर में परिवर्तित करता है जो एक तरह की ऊर्जा के रुप में कार्य करता है। शकरकंद खाने से बच्चे एनर्जेटिक रहते हैं। इसके अलावा इसमें पाए जाने वाले डाइटरी फाइबर की मदद से बच्चे कब्ज की शिकायत से भी दूर रहते हैं। यदि आपके बच्चे भी कब्ज से परेशान हैं तो आप शकरकंद उन्हें जरुर खिलाएं। हालांकि शकरकंद का स्वाद मीठा होता है बच्चा इसे चाव से खा भी लेगा। यदि बच्चा शकरकंद नहीं खिलाता तो आप इससे तैयार स्वादिष्ट रेसिपीज भी बच्चे को बनाकर खिला सकते हैं।
अन्य फायदे
शरीर में मेटाबॉल्जिम के स्तर को ठीक रखने के लिए शकरकंद बहुत ही लाभदायक होती है। इसमें कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटेशियम, सोडियम और जिंक जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। यह पोषक तत्व शरीर के लिए बहुत ही उपयोगी होती है। इसमें सिर्फ विटामिन-ए नहीं बल्कि विटामिन-सी, विटामिन-ई, विटामिन-बी6, विटामिन-बी1, विटामिन-बी9 भी पाया जाता है। शकरकंद खाने से बच्चे का शरीर में विटामिन्स की सप्लाई काफी अच्छी मात्रा में हो पाएगी और बच्चे के अंग भी अच्छे से विकसित हो पाएंगे।