जब व्यक्ति के मन में सकारात्मक या नकारात्मक विचार आते हैं तो इससे उसके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है. सोचना और बोलना दोनों का असर भी मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है. जब हम जरूरत से ज्यादा सोचते हैं या गलत भाषा का प्रयोग करते हैं तो इससे मन की शांति और आराम करने की क्षमता दोनों प्रभावित हो सकती हैं. हालांकि इससे जुड़े कुछ अध्ययन भी सामने आए हैं जिससे यह पता चलता है कि लंबे समय तक यदि व्यक्ति अपना वक्त सोचने में निकाले या बोलने में व्यतीत करें तो इससे उसे मानसिक बीमारी का सामना करना पड़ सकता है. अब आप सोच रहे होंगे कि सोचने और बोलने का मानसिक स्वास्थ्य से क्या संबंध है. तो बता दें कि जब हम जरूरत से ज्यादा सोचते हैं तो हमारा दिमाग उन विचारों का एक चक्रव्यूह तैयार करता है. इसे आम भाषा में स्थिति का आंकलन करना भी कहते हैं. यानी इंसान खुद का आंकलन नकारात्मक रूप से करता हैस जिसकी वजह से मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है. आपके विचार आपको किसी बड़ी बात की तरह महसूस होने लगते हैं. ऐसे में इन विचारों से बाहर निकल पाना आसान नहीं होता. जानते हैं गेटवे ऑफ हीलिंग साइकोथेरेपिस्ट डॉ. चांदनी (Dr. Chandni Tugnait, M.D (A.M.) Founder, Gateway of healing Psychotherapist, Lifestyle Coach & Healer) इस समस्या के बारे में..
अधिक सोचना कोई विकार नहीं है लेकिन इसके कारण कई गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं. उन समस्याओं में से एक है पीटीएसडी यानी post-traumatic स्ट्रेस डिसऑर्डर. इस समस्या के कारण व्यक्ति मानसिक बीमारी से ग्रस्त हो जाता है.
अधिक सोचने या बोलने से होने वाले नुकसान
1 - जब व्यक्ति जरूरत से ज्यादा सोचना या बोलना शुरू कर देता है तो ऐसा करना उसकी आदत बनने लगती है और वह हर वक्त वर्तमान में हो रही घटनाएं या भविष्य के बारे में चिंता करना शुरू कर देता है. ज्यादातर लोग इस चिंता में नकारात्मक विचारों के बारे में सोचते हैं जो व्यक्ति को उदास और निराश बना देती हैं.
2 - जब व्यक्ति ज्यादा सोचने या बोलने लगता है तो इसे सामाजिक समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं और आप लोगों से बचना शुरू कर देते हैं. इससे अलग आप उन चीजों के बारे में भी सोचना शुरू कर देते हैं जो असल में हुई ही नहीं है. ऐसे में यह आपका दायरा बांध देता है.
3 - अधिक सोचने और बोलने से आपके रोजमर्रा के कार्य प्रभावित हो सकते हैं. यदि आप नौकरी करते हैं तो आप अपने काम पर फोकस नहीं कर पाते. इससे अलग यह आदत है आपको आलसी बना सकती हैं.
4 - अधिक सोचने और बोलने का से आपकी भूख और नींद भी प्रभावित होती है. अधिक समय तक इस परिस्थिति में रहने से व्यक्ति के शरीर में भूख की कमी हो जाती है. वहीं उसे नींद भी कम आती है हालांकि कुछ परिस्थितियों में व्यक्ति को नींद ज्यादा भी आ सकती है.
अधिक सोचने या बोलने की आदत से कैसे निकलें
1- सबसे पहले अपना एक पैटर्न तैयार करें और अपने उस पैटर्न में सोचने और बोलने की आदत को धीरे धीरे कम करते जाएं. ध्यान रहे आपको वो पैटर्न स्ट्रिक्ली फोलो करना होगा.
2 - मेडिटेशन और योग भी आपको इस परिस्थिति से बाहर निकालने में मदद कर सकती है. पांचों इंद्रियों पर ध्यान लगाने से वर्तमान में वापस आने में काफी मदद मिल सकती है.
3 - लंबी और गहरी सांसें नियमित रूप से सुबह उठकर ली जाएं तो नकारात्मक विचारों से छुटकारा मिल सकता है.
4 - ज्यादा से ज्यादा समय दोस्तों और परिवार वालों के साथ बिता कर आप अपने विचारों को सकारात्मक बना सकते हैं. इससे अलग कुछ मोटिवेशन वीडियोज की मदद से भी आप इंप्रूवमेंट ला सकते हैं.
5 - यदि व्यक्ति को मानसिक समस्या से जुड़ी कोई भी दिक्कत महसूस हो तो तुरंत एक्सपर्ट से संपर्क करें.