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कल धूमधाम से मनाया जाएगा गुड़ी पड़वा का पर्व, जानिए आखिर कैसे हुई त्योहार की शुरुआत

  • Edited By palak,
  • Updated: 21 Mar, 2023 04:19 PM
कल धूमधाम से मनाया जाएगा गुड़ी पड़वा का पर्व, जानिए आखिर कैसे हुई त्योहार की शुरुआत

हिंदू पंचागों की मानें तो चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की दिन गुड़ी पड़वा का त्योहार मनाया जाता है। इस बार गुड़ी पड़वा और चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ एक ही दिन होने जा रहा है। गुड़ी पड़वा महाराष्ट्रियन लोगों के द्वारा बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसके अलावा तेलांगना कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में भी गुड़ी पड़वा काफी हर्षोल्लास देखने को मिलता है।  गुड़ी का अर्थ होता है विजय पताका ऐसे में इस दिन लोग अपने घरों में विजय पताका फहराते हुए सुख-समृद्धि की प्रार्थना करते हैं। तो चलिए आपको बताते हैं कि गुड़ी पड़वा की शुरुआत कैसे हुई इस बार शुभ मुहूर्त क्या है...

इसलिए फहराया जाता है गुड़ी पड़वा

इस त्योहार को हिंदू धर्म में बहुत ही खास माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन घर में गुड़ी पड़वा फहराने से घर की नेगेटिव शक्ति खत्म होती है। इसके अलावा इसी दिन से वसंत की शुरुआत भी हो जाती है। दक्षिण भारत के राज्यों में लोग इस त्योहार को सब फसल के उत्सव के रुप में मनाते हैं। इस दिन सोना और कार खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है। इसे संवत्सर, पड़वो, उगादि, उगादी, चेती, नवरेह भी कहा जाता है। 

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कैसे मनाया जाता है यह त्योहार? 

इस दिन घर की छत, आंगन या फिर मुख्य द्वार पर गुड़ी फहराई जाती है। मुख्य द्वार को रंग-बिरंगे रंगों से सजाया जाता है। इससे घर में नेगेटिव शक्ति घर में नहीं आती। इसके अलावा माना जाता है कि रंगोली मनाने से घर में सुख-समृद्धि और खुशियों का भी वास होता है। इस दिन मुख्य द्वार पर हल्दी और सिंदूर के साथ स्वास्तिक भी बनाया जाता है। महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा वाले दिन पूरन पोली नाम का व्यंजन बनाया जाता है। 

इस तरह तैयार की जाती है गुड़ी 

गुड़ी बनाने के लिए बांस को ऊपर उल्टा करके तांबे, चांदी और फिर पीतल का कलश लगाया जाता है। इसके बाद इसे सुंदर सी साड़ी डाली जाती है। फिर गुड़ी को आम और नीम के पत्तों और फूलों से सजाया जाता है। इसे घर के सबसे ऊंचे स्थान पर लगाया जाता है ताकि यह दूर से ही दिख सके। 

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ब्रह्मा जी ने की थी ब्रह्मांड की रचना 

इस दिन को लेकर यह भी मान्यता है कि इस दिन भगवान ब्रह्माजी ने ब्रह्मांड की रचना की थी। इसी दिन भगवान ब्रह्मा जी ने ध्वज फहराया था उसी दिन से गुड़ी पड़वा का त्योहार मनाया जाता है। इसे ब्रह्मध्वज भी कहते हैं। इसके अलावा इस दिन भगवान राम के 14 साल के वनवास से लौटने की खुशी में भी गुड़ी फहराकर मिठाईयां बांटकर खुशियां मनाई जाती है। 

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