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हरिद्वार में दिवाली से पहले क्यों की जाती है गंगा बंदी? जानिए इसके पीछे का कारण

  • Edited By Monika,
  • Updated: 18 Oct, 2025 04:08 PM
हरिद्वार में दिवाली से पहले क्यों की जाती है गंगा बंदी? जानिए इसके पीछे का कारण

नारी डेस्क : हर साल दशहरे की मध्यरात्रि से दिवाली तक हरिद्वार के घाटों में गंगा बंदी की जाती है। इस दौरान गंगा का जल स्तर कम हो जाता है और किसानों और सिंचाई विभाग के लिए यह समय महत्वपूर्ण कार्यों का अवसर बन जाता है। हरिद्वार से कानपुर तक गंगा की धारा इस समय सूख जाती है, ताकि उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग नहर में वह सभी कार्य कर सके जो पानी बहते समय संभव नहीं होते।

गंगा बंदी का मुख्य उद्देश्य 

नहर की सफाई और मरम्मत करना

घाटों और नहर किनारे की संरचनाओं को मजबूत करना

जल संचरण प्रणाली को अगले साल तक सही बनाए रखना

इस दौरान नहर में जल नहीं होने के कारण यह सभी कार्य सुरक्षित और प्रभावी तरीके से किए जा सकते हैं।

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गंगा बंदी के दौरान किए जाने वाले प्रमुख कार्य

उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के सहायक के अनुसार, इस 18-20 दिनों की अवधि में निम्नलिखित कार्य किए जाते हैं।

गाद और सिल्ट की सफाई – नहर में जमा मिट्टी, रेत और अन्य मलबे को हटाना।

टाई लाइन और सी.सी. लाइन की मरम्मत – नहर की संरचना को मजबूत बनाना।

घाटों की मरम्मत और सफाई – घाटों को सुरक्षित और उपयोगी बनाना।

घास और जंगली पौधों की सफाई – नहर किनारे साफ-सफाई।

गेट और अन्य जल नियंत्रण संरचनाओं की मरम्मत – जल संचरण सुचारू बनाए रखना।

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विशेष कार्य योजना 2025

इस साल उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने विशेष योजना बनाई, जिसके तहत:

धनौरी क्षेत्र में करीब 10 टन सिल्ट और मलबा निकाला गया।

पिरान कलियर क्षेत्र में करीब 4 टन कपड़े, बोरी और अन्य मलबा साफ किया गया।

सभी कार्य योजना के अनुसार कई दिनों पहले तय कर लिए जाते हैं और नहर बंद होते ही शुरू कर दिए जाते हैं।

दिवाली से पहले हरिद्वार में गंगा बंदी सिर्फ जल रोकने का काम नहीं, बल्कि यह साफ-सफाई, मरम्मत और संरचना को मजबूत बनाने का अवसर है। इससे न केवल नहर सुरक्षित रहती है, बल्कि किसानों के लिए सिंचाई सुविधाएं भी सुनिश्चित होती हैं। यह परंपरा सुनिश्चित करती है कि गंगा और नहर दोनों अगले वर्ष तक सही स्थिति में रहें। जैसे लोग दिवाली से पहले घर की सफाई करते हैं, वैसे ही गंगा बंदी के दौरान नहर और घाटों की सफाई एवं मरम्मत होती है। यह नदी और समाज दोनों के लिए शुभ और जरूरी कार्य है।

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