फिल्मों में एक्टिंग करना आज ना जाने कितने ही लोगों का सपना होता है, खासकर लड़कियों का। हालांकि आज बॉलीवुड इंडस्ट्री में कई ऐसी एक्ट्रेस हैं, जिन्होंने ना सिर्फ अपने एक अलग पहचान बनाई बल्कि कई लोगों की इंस्पिरेशन भी बनी। मगर, एक दौर ऐसा भी था जब फिल्मों में काम करने के लिए लड़कियों को समाज से बाहर कर दिया जाता था। साइलेंट फिल्मों के उस दौर में महिलाओं का किरदार भी पुरुष ही निभाया करते थे।
जब दादासाहेब फाल्के अपनी पहली फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' (1913) बना रहे थे तो उन्हें हरिश्चंद्र की पत्नी तारामती की भूमिका निभाने के लिए कोई महिला नहीं मिली। तब उन्होंने अन्ना सालुंके नाम के एक्टर से यह किरदार करवाया। मगर, महिला के बिना उनकी वास्तविकता को पर्दे पर दिखा पाना मुश्किल था। जब दादासाहेब ने फैसला किया कि वो अपनी फिल्म में किसी महिला को ही लेंगी।
दादासाहेब फाल्के की दूसरी फिल्म थी 'मोहिनी भस्मासुर', जिसमें पार्वती और मोहिनी के किरदार के लिए उन्हें 2 एक्ट्रेसेज की जरूरत थी। तब एक मां-बेटी की जोड़ी दादासाहेब की फिल्म में काम करने के लिए तैयार हुई। मां इंडियन सिनेमा की पहली महिला एक्ट्रेस बनी और बेटी पहली फीमेल चाइल्ड एक्ट्रेस।
हम बात कर रहे हैं दुर्गाबाई कामत और उनकी बेटी कमला बाई गोखले की...
दुर्गाबाई कामत (1899 - 17 मई 1997) एक मराठी थिएटर अभिनेत्री थीं, जो भारतीय सिनेमा की पहली अभिनेत्री बनीं। उन्होंने 7वीं कक्षा तक पढ़ाई की और फिर मुंबई के जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स में इतिहास के शिक्षक आनंद नानोस्कर से शादी कर ली लेकिन उनकी शादी चल नहीं पाई इसलिए वो 1903 में अलग हो गए। तब दुर्गाबाई ने अपनी बेटी को अकेले पालने का फैसला किया।
बेटी के लिए चुना अभिनय का रास्ता
उस समय महिलाओं के लिए रोजगार के बहुत कम विकल्प उपलब्ध थे और एक अकेली मां के लिए नौकरी कर पाना और भी मुश्किल था क्योंकि 1900 के दशक की शुरुआत में फिल्म या थिएटर में अभिनय करना महिलाओं के लिए एक वर्जित था। मगर, दुर्गाबाई को अपने साथ-साथ बेटी का भी ध्यान रखना था। कब उन्होंने अभिनेत्री बनने का फैसला किया।
ट्रैवलिंग थिएटर कंपनी से की शुरूआत
दुर्गाबाई सबसे पहले एक ट्रैवलिंग थिएटर कंपनी से जुड़ीं, जो घूम-घूम कर अभिनय करती थी। कमला तब 5 साल की थी और उन्होंने पढ़ना-लिखना, गाना और नाचना स्टेज शो के दौरान ही सीखा। चूंकि अभिनय को एक महिला के लिए 'सम्मानजनक' नौकरी के रूप में नहीं देखा जाता था इसलिए ब्राह्मण समुदाय ने दुर्गाबाई को बहिष्कृत कर दिया। मगर, दुर्गाबाई अभिनय के रास्ते से हटी नहीं।
दादासाहेब ने दिया फिल्मों में पहला ब्रेक
तब उन्हें दादासाहेब की दूसरी फिल्म में अभिनय करने का प्रस्ताव लिया और उन्होंने हिंदी सिनेमा में अपनी शुरुआत की। दिलचस्प बात यह है कि दुर्गाबाई फिल्म में काम करने के लिए घोर विरोध का सामना करना पड़ा, जो महिलाओं नहीं बल्कि पुरुषों से था कयोंकि उन दिनों, केवल पुरुष ही महिला की भूमिकाएं निभाते थे। उस समय ज्यादातर कंपनिया महिलाओं को काम पर रखती ही नहीं थी। यह उनके नियमों के खिलाफ था।
पहली फिल्म के लिए महिला नहीं पुरुषों से करनी पड़ी लड़ाई
हालांकि, दुर्गाबाई डटी रही और फिल्मों में काम करके इतिहास रचा। 15 साल की होते-होते कमलाबाई भारतीय सिनेमा में काफी मशहूर हो गई। इसके बाद उनके परिवार से कई लोग भारतीय सिनेमा में काम करने आए। बता दें कि दुर्गाबाई अनुभवी मराठी अभिनेता चंद्रकांत गोखले की नानी है, जिन्होंने अपनी मां कमलाबाई से ही नृत्य और अभिनय सीखा। वहीं, दुर्गाबाई अभिनेता विक्रम गोखले व मोहन गोखले की परदादी भी है। फिल्म 'हम दिल दे चुके सनम' में ऐश्वर्या राय के पिता का किरदार निभाने वाले विक्रम गोखले कमलाबाई के ही पोते हैं।
इनकी हिम्मत ने भारतीय सिनेमा में महिलाओं की मौजूदगी का आगाज किया। दुर्गाबाई और उनकी बेटी कमलाबाई ने फिल्मों में काम कर यह साबित किया कि भले ही पुरुष उस समय उन्हें नायिका बनते नहीं देखना चाहते थे लेकिन आने वाला दौर महिलाओं के लिए भी उतना ही होगा, जितना मर्दों का है। 17 मई, 1997 को महाराष्ट्र के पुणे में उनकी मृत्यु हो गई।
हालांकि दुख की बात है कि उनका नाम काफी हद तक भुला दिया गया है। दुर्गाबाई कामत एक अविश्वसनीय महिला थीं जिन्होंने आग और रोष में अपना पेशा बनाया। वह एक अकेली मां थीं जिन्होंने महिलाओं के लिए बनाई गई पितृसत्तात्मक सीमाओं को तोड़ने का फैसला किया।