निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की फिल्म "द कश्मीर फाइल्स" 11 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी हैं, जिसे दर्शकों का खूब प्यार भी मिल रहा है। अनुपम खेर और मिथुन चक्रवर्ती अभिनीत, फिल्म 1990 में कश्मीर विद्रोह कॉन्सेप्ट पर बनाई गई है। इसमें उन लाखों कश्मीरी पंडितों की कहानियों को सामने लाया है, जिन्हें 1990 में घाटी में अपना सब कुछ छोड़ना पड़ा था। हालांकि फिल्म को पर्दे पर लाना आसान नहीं था। विवेक की पत्नी और निर्माता पल्लवी जोशी ने खुलासा किया कि शूटिंग के आखिरी दिन उनके खिलाफ एक फतवा जारी किया गया था।
शूटिंग के दौरान कई चुनौतियों का किया सामना
भले ही 'द कश्मीर फाइल्स' एक छोटे बजट की फिल्म हो लेकिन इसकी शूटिंग के दौरान टीम को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। मीडिया इंटरव्यू के दौरान पल्लवी जोशी ने बताया, "शूटिंग हमारी पूरी यात्रा का सबसे छोटा हिस्सा था। पूरा शोध, लोगों तक पहुंचना, फिल्म के लिए पैसा मिलना, अभिनेताओं को बोर्ड पर लाना, सब कुछ एक भारी चुनौती था।"
उन्होंने खुलासा करते हुए आगे कहा, "फिल्मांकन सबसे आसान हिस्सा था और शायद इसका सबसे छोटा हिस्सा। हमने इस फिल्म को जो 4 साल समर्पित किए, उसकी शूटिंग में केवल 1 महीना लगा। केवल एक चीज हुई थी जब हम कश्मीर में शूटिंग कर रहे थे, हमें हमारे नाम पर एक फतवा जारी किया गया था। जब ऐसा हुआ तो सौभाग्य से हम अपने आखिरी सीन पर थे। मैंने विवेक से कहा, 'चलो इस सीन को जल्दी खत्म करते हैं और एयरपोर्ट जाते हैं क्योंकि हमें वापिस आने का दूसरा मौका नहीं मिलेगा। हमने उस सीन को खत्म किया और मैंने कुछ लोगों को होटल भेजा और कहा, 'तुम लोग पैकिंग करना शुरू करो और बैग में सब कुछ डाल दो और सेट पर ले आओ और हम वहां से निकल जाएंगे।' यही एकमात्र चुनौती थी, जिसका हमने सामना किया।"
क्या होता है फतवा?
फतवा एक इस्लामी कानून या प्रथा पर एक कानूनी राय है। फतवा 1989 में एक बहुत चर्चित शब्द बन गया, जब अयातुल्ला खुमैनी ने उपन्यासकार सलमान रुश्दी को उनके शैतानी छंदों के लिए मारने के लिए इसे जारी किया, जिसने कथित तौर पर पैगंबर का अपमान किया था। आप इसे यूं समझ सकते हैं, जब इस्लाम में बताई गई बातों के आधार पर किसी के खिलाफ कोई हुक्म जारी किया जाए तो उसे फतवा कहा जाता है। इस फतवे मुफ्ती द्वारा ही जारी किया जा सकता है।
गौरतलब है कि यह फिल्म 1990 में कश्मीर विद्रोह के दौरान कश्मीरी पंडितों द्वारा सहे गए क्रूर कष्टों की सच्ची कहानी पर अधारित है। इसमें अनुपम खेर पुष्करनाथ, मिथुन चक्रवर्ती ब्रह्म दत्त, दर्शन कुमार कृष्ण पंडित, पल्लवी जोशी राधिका मेनन, भाषा सुंबली श्रद्धा पंडित और चिन्मय मंडलेकर फारूक मलिक उर्फ बिट्टा के मुख्य किरदार में हैं।