डॉक्टर्स को लगा शायद उसके पास पैसे नहीं। मगर पैसे होने के बावजूद बुजुर्ग व्यक्ति रो पड़ा।
डॉक्टर्स के अलावा व्यक्ति के साथ उसका Grandson भी था, रोने की वजह पूछने पर बुजुर्ग ने कहा कि मैं पैसों की वजह से महीं रो रहा, पैसे मैं भर सकता हूं। मैं रो इसलिए रहा हूं क्योंकि 93 साल तक भगवान ने सांस देने के बदले हमसे कभी पैसे नहीं मांगे। तब भी जीवन में मैनें कभी भगवान का धन्यवाद नहीं किया।
पास खड़े बूढ़े व्यक्ति के ग्रैंडसन ने को दादा जी की बातें छू गई। जब तक हम खुली हवा में सांस लेते हैं हमें इसकी कद्र नहीं होती, मगर वही जब हमें अस्पताल जाकर इसका बिल अदा करना पड़ता है तो हमें अपनी सांस और हवा की अहमियत पता चलती है।
हमें कुदरत द्वारा मिली हर सांस का खुलकर मजा उठाना चाहिए।