01 MAYWEDNESDAY2024 11:17:19 AM
Nari

Dhanteras: भगवान धनवंतरि के बारे में कितना जानते है आप, जानें क्यों की जाती है इनकी पूजा ?

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 19 Oct, 2022 05:28 PM
Dhanteras: भगवान धनवंतरि के बारे में कितना जानते है आप, जानें क्यों की जाती है इनकी पूजा ?

रोशनी के पांच दिनों का त्यौहार दीपावली धनतेरस से शुरू हो जाता है। इस साल धनतेरस 22 और 23 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यता है कि धनतेरस से शुरू होने वाले इस पर्व के पहले दिन माता लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान धनवंतरि की पूजा का भी विधान है। वहीं धनतेरस के दिन की गई खरीददारी और पूजा आराधना कई गुना ज्यादा फलदायी मानी गई है। आईए जानते हैं भगवान धनवंतरि के बारे में , कैसे करें धनतेरस पर इनकी पूजा और खरीदारी का शुभ मुहूर्त।

ऐसे हुए भगवान धनवंतरि प्रकट

भगवान धनवंतरि को आरोग्यता का देवता कहा जाता हैं। उन्हें भारत में आयुर्वेद का जनक माना जाता है। पृथ्वी पर आरोग्यता और चिकित्सा के ज्ञान को फैलाने के लिए भगवान विष्णु ने धनवंतरि का अवतार लिया था। भगवान विष्णु के 24 अवतारों में 12वां अवतार धनवंतरि का था। पुराणों में भगवान धनवंतरि के प्राकट्य की कई कथाएं मिलती हैं। मान्यता है कि देवों और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन का प्रयास शुरू किया, जिसमें से 14 रत्नों की प्राप्ति हुई। इसके लिए मंदार पर्वत को मथानी और वासुकी नाग को मथानी की रस्सी के तौर पर इस्तेमाल किया गया था। इसी समुद्र मंथन से कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन भगवान धनवंतरि प्रकट हुए। कहा जाता है कि उनके हाथ में अमृत का कलश था।


मध्य प्रदेश में है भगवान धनवंतरि का 200 साल पुराना मंदिर 

आपने एक कहावत तो सुनी होगी - 'पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में माया।  कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाना वाला पर्व धनतेरस इसी कहावत को सही साबित करता है। मध्य प्रदेश की धरती पर भगवान धनवंतरि का 200 साल पुराना धाम है। जहां आज भी धरतेरस पर न केवल उनकी पूजा होती है बल्कि उनका अभिषेक कर आरोग्यता का वरदान भी लिया जाता है. धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरि के साथ-साथ भगवान कुबेर की भी पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन कुबेर भगवान का पूजन करने से और कुबेर यंत्र की स्थापना करने से जीवन भर पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

PunjabKesari

भगवान धनवंतरि की पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि 

शास्त्रों की माने तो भगवान धनवंतरि की पूजा करने का सबसे शुभ समय शाम का वक्त यानि प्रदोष काल होता है। कहते है कि इससे लक्षमी जी घर पर ही ठहर जाती हैं। क्योंकि 23 तारीक को प्रदोष काल शुरु होते ही खत्म हो जा रहा है तो पूजा 22 तारीक को शाम 7:10 - रात 08:24 के बीच ही करें।

सबसे पहले नहाकर साफ कपड़े पहनें। भगवान धन्वंतरि की मूर्ति या चित्र साफ स्थान पर स्थापित करें तथा स्वयं पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। 

 1. इसके बाद पूजा स्थल पर आसन देने की भावना से चावल चढ़ाएं। आचमन के लिए जल छोड़ें और भगवान धन्वंतरि को वस्त्र (मौली) चढ़ाएं।

2. भगवान धन्वंतरि की मूर्ति या तस्वीर पर अबीर, गुलाल पुष्प, रोली और अन्य सुगंधित चीजें चढ़ाएं। 

3. हो सके तो चांदी के बर्तन में खीर का भोग लगाएं।

4. इसके बाद आचमन के लिए जल छोड़ें। मुख शुद्धि के लिए पान, लौंग, सुपारी चढ़ाएं। शंखपुष्पी, तुलसी, ब्राह्मी आदि पूजनीय औषधियां भी भगवान धन्वंतरि को चढ़ाएं। 

PunjabKesari

धनतेरस में खरीदारी का शुभ मुहूर्त 

इस बार धनतेरस पर दोनों दिन 22 और 23 अक्टूबर सर्वार्थ सिद्धि का बहुत अच्छा योग है। यह योग 22 की रात को शुरु होकर 23 तारीक के पुरे दिन रहेगा तो आप 24 घटें का शुभ मुहूर्त  है। इस दिन आप सोना, चांदी, जमीन, वर्तन, वाहन आदि खरीद सकते है। यह मुहूर्त 22 अक्टूबर की शाम 06:02 से शुरु होकर 23 अक्टूबर की शाम 06:03 तक रहेगा।

Related News