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इस मंदिर में दूर- दूर से बप्पा को निमंत्रण देने पहुंचते हैं भक्त,  भगवान कृष्ण की शादी से है नाता

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 16 Sep, 2023 02:57 PM
इस मंदिर में दूर- दूर से बप्पा को निमंत्रण देने पहुंचते हैं भक्त,  भगवान कृष्ण की शादी से है नाता

भगवान गणेश को हर जगह प्रथम पूज्य माना जाता है, हर शुभ काम की शुरुआत गणपति वंदना से ही होती है। तभी तो विवाह पूजा और सभी शुभ कार्यों का आरंभ विघ्नहर्ता के नाम से ही होता है। हिन्दू धर्म में शादी के कार्ड पर सबसे पहले भगवान गणेश की फोटो छपवाई जाती है। आज हम ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां  शादी का कार्ड लेकर भक्त श्रीगणेश को निमंत्रण देने पहुंचते हैं। 

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हम बात कर रहे हैं सवाई माधोपुर के रणथंभौर किले में स्थित गणेश मंदिर की जहां रोज करीब 10 किलो शादी के कार्ड पहुंचते हैं। मान्यता है कि इस गणेश मंदिर में आशीर्वाद लेना काफी फसला फूलता है। याद हो कि कैटरीना कैफ और विक्की कौशल की शादी के दौरान यह खबरें सामने आई थी कि माधोपुर के लोगों द्वारा इस मंदिर का महत्व बताने पर कपल यहां जाना चाहता था। इसके बाद से ही मंदिर के खूब चर्चे होने लगे थे। 

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सवाई माधोपुर के रणथंभौर किले में 1500 फीट की ऊंचाई पर भगवान श्रीगणेश का यह मंदिर काफी प्राचीन  है। इस मंदिर को भारतवर्ष का ही नहीं विश्व का पहला गणेश मंदिर माना जाता है। यहां पर भगवान श्रीगणेश जी की प्रतिमा स्वयंभू प्रकट हुई थी। भगवान गणेश इस मंदिर में दो पत्नी- रिद्दि और सिद्दि और दो पुत्र- शुभ और लाभ के साथ विराजमान हैं, यानी कि यहां पूरे परिवार के दर्शन हो जाएंगे।

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 यहां सिर्फ गणेश के मुख की पूजा की जाती है। शरीर के अन्य अंग नहीं होने से ये प्रतिमा रहस्यमयी जान पड़ती है। शादी या किसी भी शुभ कार्य से पहले दुनियाभर के लोग पहला कार्ड सबसे पहले मंदिर भिजवाते हैं। रोजाना मंदिर में 15 से 20 किलो डाक आती है। इसमें निमंत्रण पत्र और गणेश भगवान के नाम खत होते हैं। जो अलग-अलग भाषाओं में भी होते हैं। बड़ी बात यह है कि पुजारी सभी कार्ड गणेश जी को पढ़कर सुनाते हैं।

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बताया जाता है कि 10वीं सदी में रणथंभौर के राजा हमीर ने ये मंदिर बनवाया था। तभी से भगवान गणेश जी को प्रथम निमंत्रण देने का सिलसिला चल रहा है। एक और मान्यता के अनुसार द्वापर युग में भगवान कृष्ण का विवाह रूकमणी से हुआ था। इस विवाह में वे गणेशजी को बुलाना भूल गए।  कृष्ण जी को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने गणेशजी को मनाया। तब से गणेशजी हर मंगल कार्य करने से पहले पूजे जाते हैं। 

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