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Covid-19 ने 2 साल तक घटाई लोगों की उम्र, इन बीमारियों का भी बढ़ा खतरा

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 26 May, 2024 06:41 PM
Covid-19 ने 2 साल तक घटाई लोगों की उम्र, इन बीमारियों का भी बढ़ा खतरा

कहने के लिए तो कोरोना महामारी को 4 साल बीत चुके हैं। इस दौरान इसका एक नया वैरिएंट भी सामने आया है, लेकिन महामारी हमारे स्वास्थ्य को काफी हानि पहुंचा गई है। विश्व स्वास्थ्य सगंठन (WHO) की मानें कोविड महामारी के कारण लोगों की लाइफ एक्सपेक्टेंसी में 2 साल तक की गिरावट आई है।  जी हां, ये चौंकाने वाली रिपोर्ट शुक्रवार को WHO की तरफ से प्राकाशित की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना के चलते लोगों में और भी कई तरह की बीमारियों विकसित हुई थीं। जिसने लाइफ एक्सपेक्टेंसी को भारी नुकसान पहुंचाा है।

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कोविड- 19 के कारण पूरी दुनिया भर में लाइफ एक्सपेक्टेंसी 1.8 साल से गिरकर अब 71.4 साल रह गई है। साल 2012 में भी ये इसी के आसपास थी।

कोविड-19 के चलते पड़ता है लोगों के स्वास्थ्य पर असर

WHO के एक्सपर्ट्स की मानें तो पिछली आधी सदी में किसी भी अन्य घटना की तुलना में कोविड- 19 ने संपूर्ण स्वास्थ्य और जीवन प्रत्याशा पर सबसे गहरा असर डाल रहे हैं। वहीं WHO के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेबियस ने इस बारे में बात करते हुए कहा कि वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूत करने और स्वास्थ्य के क्षेत्र में दीर्घकालिक निवेश को बढ़ावा देने के महत्व पर प्रकाश डालते हैं।

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कई लोगों की जान ले चुका है कोविड

WHO  की रिपोर्ट के अनुसार कोविड की शुरुआती दौर साल 2020- 2021 के दौरान 15.9 मिलियन से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थीं। महामारी के दौरान ये वायरस ही लोगों के मौत का मुख्य कारण था। 

कोराना ने बढ़ा दिया लोगों के स्वास्थ्य पर जोखिम

उन्होंने यहां पर ये भी कहा कि कोरोना ने सीधे तौर पर लोगों की सेहत को गंभीर तरह से नुकसान पहुंचाया है। इसे वायरस के चलते जो परिस्थितियां आईं, उससे लोग कुपोषण का शिकार हुए। वहीं, 2022 में 5 साल और उससे बड़े उम्र के 1 अरब से ज्यादा लोग मोटापे का शिकार हुए। ऐसा लोगों का महामारी में घर ज्यादा बैठने से हुआ। घर बैठे लोग खाना ज्यादा खा रहे थे। आपको जानकर हैरानी होगी की पहले आधे अरब से ज्यादा लोग कम वजन वाले थे। 

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बच्चों में कुपोषण भी गंभीर समस्या देखी जा रही है। ये सभी स्थितियां लोगों के स्वास्थ को प्रभावित कर रही हैं और समय से पहले मृत्यु के जोखिमों को बढ़ा रही हैं।

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