नारी डेस्क : छठ पूजा सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि सूर्य देव की आराधना, आस्था और आत्मसंयम का प्रतीक है। इस पर्व में महिलाएं कठोर व्रत रखकर अपने परिवार की सुख-समृद्धि और पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस दौरान उनके श्रृंगार में एक विशेष तत्व देखा जाता है। नाक से लगाया गया नारंगी सिंदूर, जिसे छठ पूजा का महत्वपूर्ण प्रतीक माना गया है। यह परंपरा न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से, बल्कि वैज्ञानिक और आध्यात्मिक रूप से भी गहराई रखती है।
नारंगी सिंदूर का महत्व
छठ पूजा में नारंगी सिंदूर का विशेष महत्व होता है। यह सिर्फ सजने-संवरने का प्रतीक नहीं, बल्कि आस्था, ऊर्जा और शुभता का प्रतीक माना जाता है। जहां लाल सिंदूर वैवाहिक जीवन, प्रेम और निष्ठा का प्रतिनिधित्व करता है, वहीं नारंगी सिंदूर सूर्य देव की उपासना और जीवनदायिनी शक्ति का प्रतीक है। छठ में महिलाएं इसे नाक से लगाकर सूर्य देव को समर्पित करती हैं ताकि उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे।

लाल और नारंगी सिंदूर में अंतर
लाल सिंदूर आमतौर पर विवाहिता महिलाओं का श्रृंगार होता है, जो प्रेम, समर्पण और वैवाहिक स्थिरता का प्रतीक है। नारंगी सिंदूर को आध्यात्मिकता, पवित्रता और ऊर्जा का रंग माना जाता है। छठ पूजा सूर्य देव की उपासना का पर्व है, और नारंगी रंग सूर्य की तेजस्विता और प्रकाश का प्रतिनिधित्व करता है। यही वजह है कि इस दिन महिलाएं लाल के बजाय नारंगी सिंदूर का प्रयोग करती हैं। ताकि सूर्य की आभा और सकारात्मक ऊर्जा उनके जीवन में बनी रहे।
नाक से सिंदूर लगाने की परंपरा
बिहार, झारखंड और पूर्वांचल के कई हिस्सों में छठ के दौरान महिलाएं सिंदूर को सिर्फ मांग में नहीं, बल्कि नाक से माथे तक लगाती हैं। यह परंपरा सदियों पुरानी है। माना जाता है कि नाक से सिंदूर लगाने से सूर्य देव की कृपा बनी रहती है और परिवार पर संकट नहीं आता। यह सूर्य देव को समर्पण और भक्ति की चरम अभिव्यक्ति है।
इसका वैज्ञानिक पक्ष भी है नाक से माथे तक का हिस्सा “आज्ञा चक्र (Ajna Chakra)” कहलाता है, जो मन और आत्मा के संतुलन से जुड़ा होता है। इसे सक्रिय करने से मानसिक शांति, आत्मबल और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

धार्मिक मान्यता और आध्यात्मिक अर्थ
छठ व्रत करने वाली महिलाएं इस दिन पूरी शुद्धता और आत्मसंयम के साथ पूजा करती हैं। नारंगी सिंदूर उनके व्रत की पवित्रता और शक्ति का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि इसे लगाने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और व्रती महिला को उनका आशीर्वाद मिलता है। इससे परिवार में सुख, समृद्धि और सुरक्षा बनी रहती है।
आज भी जीवित है यह परंपरा
समय भले ही बदल गया हो, लेकिन छठ पूजा की यह परंपरा आज भी उतनी ही श्रद्धा से निभाई जाती है। महिलाएं न सिर्फ पूजा की तैयारी में पूरी निष्ठा दिखाती हैं, बल्कि नारंगी सिंदूर से अपने श्रृंगार को पूर्ण करके अपने भक्ति, समर्पण और शक्ति का प्रतीक प्रस्तुत करती हैं। छठ पर्व में नारंगी सिंदूर न केवल सौंदर्य का हिस्सा है, बल्कि यह इस बात का भी प्रतीक है कि आस्था में सजावट नहीं, बल्कि समर्पण और सादगी का सौंदर्य छिपा है।