नारी डेस्क : छठ पूजा भारत का एक ऐसा व्रत है जो शुद्धता, आस्था और समर्पण का प्रतीक है। यह व्रत सूर्य देव और छठी मैया की आराधना के लिए किया जाता है। इस पूजा में व्रती महिलाएं और पुरुष 36 घंटे का निर्जला उपवास रखते हैं और पूरे विधि-विधान से पूजा करते हैं। छठ पूजा में हर वस्तु का विशेष महत्व होता है। चाहे वह फल हो, सब्जी हो या प्रसाद। इसलिए यह जानना बहुत जरूरी है कि इस व्रत में कौनसे फल अर्पित किए जाते हैं और कौनसे नहीं।
कटे या छीले हुए फल चढ़ाना वर्जित
छठ पूजा में कभी भी कटे या छीले हुए फल नहीं चढ़ाए जाते। ऐसे फल अशुद्ध माने जाते हैं क्योंकि यह अपने प्राकृतिक रूप में नहीं रहते। छठ व्रत में शुद्धता सबसे अहम होती है, इसलिए पूरे फल को ही प्रसाद के रूप में चढ़ाना शुभ माना गया है। छठ पूजा में उपयोग किए जाने वाले फल को न धोने या काटने के बाद लंबे समय तक खुला न रखें। ऐसा करने से वह अपवित्र माना जाता है।

काले अंगूर नहीं चढ़ाए जाते
छठ पूजा में काले अंगूर का उपयोग नहीं किया जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार यह तामसी फल माना जाता है और इसका रंग भी अंधकार का प्रतीक है। सूर्य देवता प्रकाश और ऊर्जा के देवता हैं, इसलिए उनके व्रत में ऐसे फल अर्पित नहीं किए जाते जो तामसी स्वभाव के हों। इस कारण से काले अंगूर या बहुत गहरे रंग के फलों से परहेज़ किया जाता है।
नारियल का छिलका उतारना अशुभ
छठ पूजा में नारियल का विशेष महत्व होता है, लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि नारियल का छिलका कभी नहीं उतारा जाता। पूरे नारियल को ही पूजा सामग्री में शामिल किया जाता है क्योंकि यह पूर्णता, समर्पण और शुद्धता का प्रतीक है। छिलका उतारकर चढ़ाया गया नारियल अधूरा और अशुद्ध माना जाता है।

पॉलिश और मिलावटी फल से बचें
आजकल बाजारों में पॉलिश किए हुए या आर्टिफिशियल रूप से चमकाए गए फल आसानी से मिल जाते हैं। लेकिन छठ पूजा में इनका उपयोग नहीं किया जाता क्योंकि ये रासायनिक पदार्थों से युक्त होते हैं और शुद्ध नहीं माने जाते। ऐसे सेब या फल जो अत्यधिक चमकदार दिखें या जिनकी खुशबू अस्वाभाविक लगे, उन्हें पूजा में शामिल न करें।छठ में हमेशा प्राकृतिक, बिना पॉलिश और ताजे फल ही अर्पित किए जाते हैं।
विदेशी फलों का उपयोग वर्जित
छठ पूजा भारत की मिट्टी और संस्कृति से जुड़ा त्योहार है। इसलिए इसमें विदेशी फल जैसे कीवी, एवोकाडो, स्ट्रॉबेरी या ब्लूबेरी नहीं चढ़ाए जाते। इस पर्व में केवल देशी और पारंपरिक फल जैसे केला, अमरूद, नारियल, शरीफा, गन्ना, मौसमी, नींबू और सिंघाड़ा अर्पित किए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह पूजा सिर्फ उन फलों और वस्तुओं से की जानी चाहिए जो धरती माता की देसी उपज हों।

छठ पूजा का हर नियम आस्था, शुद्धता और प्रकृति से जुड़ा हुआ है। इस व्रत का उद्देश्य केवल पूजा नहीं बल्कि मन, वचन और शरीर की पवित्रता बनाए रखना है। इसलिए व्रत के दौरान हर फल, हर सामग्री का चयन बहुत सोच-समझकर करना चाहिए।