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Nari

पैरों में दिखते हैं Lung Cancer के शुरुआती संकेत, इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 01 Nov, 2025 10:33 AM
पैरों में दिखते हैं Lung Cancer के शुरुआती संकेत, इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज

नारी डेस्क:  लंग कैंसर दुनिया भर में होने वाली जानलेवा बीमारियों में से एक है। आमतौर पर लोग इसे खांसी, छाती में दर्द और सांस लेने में कठिनाई जैसी लक्षणों से पहचानते हैं। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इस बीमारी के संकेत सिर्फ फेफड़ों तक सीमित नहीं रहते। शरीर के निचले हिस्सों, खासकर पैरों में भी कई संकेत दिखाई देते हैं, जो कैंसर की ओर इशारा कर सकते हैं। शुरुआत में इन्हें पहचानना मुश्किल हो सकता है, लेकिन समय पर पहचान कर इलाज शुरू करने से जीवन को लंबा और सुरक्षित बनाया जा सकता है। आइए जानते हैं पैरों के उन संकेतों के बारे में जो लंग कैंसर की चेतावनी दे सकते हैं।

 पैरों में सूजन (Peripheral Edema)

पैरों, टखनों और पंजों में लगातार सूजन होना लंग कैंसर का पहला और आम संकेत हो सकता है। इसे फेरीपरल एडिमा कहा जाता है। जब ट्यूमर शरीर में बढ़ता है, तो नसों और लिम्फेटिक वेसल्स में रुकावट आती है, जिससे फ्लूइड जमा होने लगता है। इसके अलावा, कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स के कारण भी पैरों में सूजन हो सकती है। शुरुआती अवस्था में यह हल्की सूजन के रूप में दिखाई देती है, लेकिन धीरे-धीरे बढ़ सकती है। लगातार होने वाली सूजन को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि यह संकेत देता है कि कैंसर अन्य अंगों में फैल सकता है।

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दर्द, लालिमा और गर्माहट

लंग कैंसर से पीड़ित लोगों में डीप वेन थ्रोम्बोसिस (Deep Vein Thrombosis - DVT) का खतरा बढ़ जाता है। यह एक गंभीर स्थिति है जिसमें पैरों की डीप वेंस में ब्लड क्लॉट बनने लगता है। इसके लक्षणों में पैरों में दर्द, कठोरता, लालिमा और गर्माहट शामिल हैं। यदि यह ब्लड क्लॉट फेफड़ों तक पहुँच जाए, तो पल्मोनरी एम्बोलिज्म जैसी जानलेवा स्थिति पैदा हो सकती है। इसलिए पैरों में लगातार दर्द या लालिमा महसूस होने पर इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए।

 सुन्नता, झुनझुनी और जलन

कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली कीमोथेरेपी दवाइयां पैरों और टखनों की नसों को प्रभावित कर सकती हैं। इसके कारण पैरों में झुनझुनी, सुई चुभने जैसा अनुभव, जलन और सुन्नपन जैसी समस्या पैदा होती है। इसे कीमोथेरेपी इंड्यूस्ड फेरीपरल न्यूरोपैथी कहा जाता है। इस स्थिति में पैरों और पंजों की संवेदनशीलता कम हो जाती है, चलने और संतुलन बनाए रखने में परेशानी आती है। ध्यान देने वाली बात यह है कि यह समस्या कई बार इलाज खत्म होने के बाद भी बनी रह सकती है।

स्किन का रंग बदलना

लंग कैंसर शरीर में ब्लड सर्कुलेशन और ऑक्सीजन डिलीवरी को प्रभावित करता है। इसके परिणामस्वरूप पैरों की त्वचा का रंग पीला, नीला या लाल पड़ सकता है। कभी-कभी यह स्थिति फ्लूइड रिटेंशन, टिशू डैमेज या कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स के कारण भी बढ़ जाती है। अगर समय रहते इसका इलाज नहीं किया गया, तो त्वचा पर अल्सर बनने का खतरा भी रहता है। अल्सर धीरे-धीरे ठीक हो सकता है या संक्रमण का कारण बन सकता है। इसलिए पैरों की रंगत में बदलाव को नजरअंदाज न करें।

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 कमजोर मांसपेशियां और क्रैंपिंग

लंग कैंसर और उसके इलाज के कारण शरीर की मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं। खासकर पैरों और टखनों की मसल्स कमजोर हो जाती हैं, जिससे दर्द, थकान और क्रैंपिंग जैसी समस्या होती है। लंबे समय तक सक्रिय न रहने, पोषण की कमी या ऑक्सीजन की कमी के कारण मांसपेशियों में लॉस हो सकता है। कीमोथेरेपी और स्टेरॉयड जैसी दवाइयां भी मांसपेशियों की कमजोरी में योगदान करती हैं। लगातार पैरों में थकान या मांसपेशियों में कमजोरी महसूस होने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

 पैरों की उंगलियों में क्लबिंग

क्लबिंग एक ऐसी स्थिति है जिसमें पैरों की उंगलियों के सिरे और नाखूनों का टिशू गोल और सफेद दिखाई देता है। यह लंबे समय तक ब्लड में ऑक्सीजन कम होने का संकेत है। डिजिटल क्लबिंग अक्सर फेफड़ों की गंभीर बीमारियों, विशेषकर लंग कैंसर के शुरुआती संकेत के रूप में देखी जाती है। यह लक्षण धीरे-धीरे बढ़ता है और शुरुआती अवस्था में पहचानना मुश्किल होता है, लेकिन समय पर ध्यान देने से इलाज में मदद मिल सकती है।

पैरों में दिखने वाले ये संकेत लंग कैंसर की शुरुआती चेतावनी हो सकते हैं। अगर आपको लगातार खांसी, छाती में दर्द या सांस लेने में कठिनाई के साथ पैरों में सूजन, दर्द, झुनझुनी, रंग बदलना, कमजोरी या क्लबिंग जैसी समस्याएं नजर आएं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। शुरुआती पहचान और समय पर इलाज से इस जानलेवा बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है और जीवन को लंबा और सुरक्षित बनाया जा सकता है।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। इसे किसी भी दवा या इलाज का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। सही सलाह और उपचार के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।  

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