नारी डेस्क: आज के समय में वायु प्रदूषण फेफड़ों की सेहत के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका है। डॉक्टरों का कहना है कि प्रदूषित हवा में सांस लेना धीरे-धीरे फेफड़ों को कमजोर कर देता है और कई गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है। हाल ही में फेफड़े और हृदय विशेषज्ञ डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि वायु प्रदूषण भारत का कोविड महामारी के बाद सबसे बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन चुका है। देश में फेफड़ों और सांस की नली (एयरवे) से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। विशेषज्ञ इसे एक “लंग हेल्थ इमरजेंसी” बता रहे हैं, जो धीरे-धीरे महामारी का रूप ले रही है।

आखिर क्या है एयरवे डिजीज?
एयरवे डिजीज ऐसी बीमारियां होती हैं, जिनमें सांस की नलियां सिकुड़ जाती हैं या उनमें सूजन आ जाती है, जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है। इनमें शामिल हैं अस्थमा, क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस, COPD (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) और एलर्जी से जुड़ी सांस की समस्याएं
डॉक्टर क्यों दे रहे हैं चेतावनी?
फेफड़ों के विशेषज्ञों के अनुसार हर उम्र के लोगों में सांस फूलना, खांसी, सीने में जकड़न बढ़ रही है। पहले जो बीमारियां बुजुर्गों में दिखती थीं, अब युवाओं और बच्चों में भी नजर आ रही हैं। कई मरीजों को शुरुआती लक्षणों का पता ही नहीं चलता। इसी वजह से इसे “साइलेंट पैंडेमिक” कहा जा रहा है।
बढ़ती एयरवे डिजीज के मुख्य कारण
-वायु प्रदूषण, धूल, धुआं, PM2.5
-गाड़ियों और फैक्ट्रियों का धुआं
- सीधे फेफड़ों को नुकसान
-धूम्रपान और पैसिव स्मोकिंग
-सिगरेट, हुक्का, वेपिंग
-एलर्जी और बदलता मौसम जैसे पराग कण और ठंडी हवा
-कोविड के बाद का असर। कई लोगों में कोविड के बाद लंबे समय तक खांसी, सांस की कमजोरी देखी जा रही है।

प्रदूषण से होने वाली मुख्य फेफड़ों की बीमारियां
अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, COPD, फेफड़ों में इंफेक्शन और लंबे समय से लंबे समय में फेफड़ों का कैंसर तक प्रदूषण से होने वाली मुख्य बीमारियां हैं। बच्चों और बुजुर्गों पर इसका असर सबसे ज्यादा होता है। प्रदूषण चुपचाप फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। लक्षण दिखने का इंतजार न करें, क्योंकि सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव है।
नजरअंदाज न करें ये लक्षण
-सीढ़ियां चढ़ते समय सांस फूलना
-रात में खांसी या सीने में जकड़न
-सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज
-बार-बार छाती में इंफेक्शन
डॉक्टर कहते हैं, लक्षण हल्के हों तब भी जांच जरूरी है।
बचाव के लिए डॉक्टरों की सलाह
प्रदूषण वाले दिनों में मास्क पहनें, धूम्रपान से पूरी तरह दूरी बनाएं। घर में नियमित ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें। घर में वेंटिलेशन रखें। एलर्जी या अस्थमा हो तो दवा नियमित लें। समय-समय पर लंग फंक्शन टेस्ट कराएं। डॉक्टरों की चेतावनी साफ है कि फेफड़ों की बीमारी अब सिर्फ बुजुर्गों की समस्या नहीं रही। अगर अभी ध्यान नहीं दिया गया, तो यह एक बड़ी स्वास्थ्य महामारी बन सकती है। समय रहते जागरूकता, सही इलाज और लाइफस्टाइल बदलाव ही फेफड़ों को बचा सकते हैं।