नारी डेस्क : भारत में आस्था और रहस्यों से जुड़े कई ऐसे मंदिर हैं, जो आज भी विज्ञान के लिए चुनौती बने हुए हैं। कहीं मंदिर के कपाट बंद होने के बाद देखने पर रोक है, तो कहीं भगवान स्वयं प्रकट होने की मान्यताएं हैं। इन्हीं रहस्यमयी स्थलों में से एक है तेलंगाना का छाया सोमेश्वर मंदिर, जहां भगवान शिव के शिवलिंग के पीछे इंसानी आकृति जैसी परछाई दिखाई देती है। यह परछाई न सिर्फ श्रद्धालुओं को हैरान करती है, बल्कि वैज्ञानिक भी इसके रहस्य को पूरी तरह सुलझा नहीं पाए हैं।
कहां स्थित है छाया सोमेश्वर मंदिर?
तेलंगाना के नालगोंडा जिले के पनागल गांव में स्थित यह प्राचीन मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इसे सोमेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है। दूर-दूर से भक्त यहां भगवान शिव के दर्शन के साथ-साथ गर्भगृह में दिखाई देने वाली रहस्यमयी परछाई को देखने आते हैं।

शिवलिंग के पीछे दिखती है इंसानी परछाई
मंदिर के गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग के ठीक पीछे दीवार पर मनुष्य की आकृति जैसी एक रहस्यमयी परछाई साफ दिखाई देती है। यह परछाई पूरी तरह स्थिर रहती है, न तो कभी हिलती है और न ही अपना आकार बदलती है। दिन के अलग-अलग समय में भी इसका रूप लगभग एक जैसा बना रहता है, जो इसे और भी हैरान करने वाला बनाता है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि गर्भगृह में ऐसी कोई वस्तु मौजूद नहीं है, जिसके कारण यह परछाई बन सके, इसी वजह से यह दृश्य आज भी आस्था और विज्ञान दोनों के लिए रहस्य बना हुआ है।
आस्था या वास्तुकला का चमत्कार?
विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों का मानना है कि यह परछाई मंदिर की हजार साल पुरानी उन्नत वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण हो सकती है। माना जाता है कि गर्भगृह के सामने मौजूद कई स्तंभ इस तरह बनाए गए हैं कि सूर्य का प्रकाश दिनभर एक खास कोण से भीतर प्रवेश करता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह परछाई किसी एक स्तंभ की नहीं, बल्कि कई स्तंभों की संयुक्त छाया से बनी एक आकृति हो सकती है। हालांकि अब तक इस सिद्धांत की पूरी तरह पुष्टि नहीं हो पाई है, जिससे यह रहस्य और भी गहरा हो जाता है।

1000 साल पुराना है मंदिर
इतिहासकारों के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में इक्ष्वाकु वंश के कुंदुरु चोडा शासकों द्वारा कराया गया था। मंदिर की दीवारों और मूर्तियों में उस समय की बेहतरीन शिल्पकला साफ झलकती है। मंदिर परिसर में भगवान शिव के साथ-साथ भगवान विष्णु और सूर्य देव की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं, जो इसे धार्मिक दृष्टि से और भी विशेष बनाती हैं।
गोपुरम की अनोखी बनावट
मंदिर का गोपुरम यानी मुख्य द्वार भी अपनी अनोखी बनावट के लिए जाना जाता है। गोपुरम पर आठों दिशाओं के देवताओं की सुंदर आकृतियां उकेरी गई हैं, जो दिशाओं की रक्षा का प्रतीक मानी जाती हैं। इसके साथ ही भगवान शिव को नटराज रूप में नृत्य करते हुए दर्शाया गया है, जो सृष्टि के निर्माण, संरक्षण और संहार का संदेश देता है। यह शिल्पकला उस दौर की गहरी धार्मिक आस्था और उच्च कोटि की कलात्मक सोच को साफ तौर पर दर्शाती है।

चंद्रमा से जुड़ी है पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस स्थान का संबंध चंद्र देव से है। कहा जाता है कि चंद्रमा ने यहीं भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव स्वयं यहां प्रकट हुए थे, जिसके कारण इस मंदिर को विशेष आध्यात्मिक महत्व प्राप्त है।
आस्था और विज्ञान का अनोखा संगम
छाया सोमेश्वर मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह विज्ञान और अध्यात्म के अद्भुत मेल का प्रतीक भी है। शिवलिंग के पीछे दिखाई देने वाली रहस्यमयी परछाई आज भी लोगों के लिए जिज्ञासा का विषय बनी हुई है और यही कारण है कि यह मंदिर सदियों बाद भी उतना ही आकर्षक और रहस्यमय बना हुआ है।