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कोरोना के बाद ब्लैक फंगस की चपेट में आया महाराष्ट्र, सामने आए 2000 से अधिक केस

  • Edited By Anu Malhotra,
  • Updated: 12 May, 2021 05:37 PM
कोरोना के बाद ब्लैक फंगस की चपेट में आया महाराष्ट्र, सामने आए 2000 से अधिक केस

कोरोना के कहर के बीच अब महाराष्ट्र पर म्यूकोमायकोसिस यानी ब्लैक फंगस का प्रकोप मंडरा रहा है। दरअसल, पूरे राज्य में अब तक 2000 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, जबकि 8 लोगों की मौत हो चुकी है। इस नए खतरे को देखते हुए बीएमसी ने एक टास्क फोर्स की स्थापना की है।
 

इस टास्क फोर्स में मुंबई के बड़े सरकारी अस्पतालों नायर, सायन, केईएम और कूपर के डीन के अलावा आंख, नाक, कान और गला विभाग के प्रमुखों को शामिल किया गया है। बीएमसी के आला अधिकारियों के मुताबिक इस नियमावली के तैयार होने के बाद जरूरी दिशा-निर्देश सभी सरकारी और निजी अस्पतालों के लिए जारी किया जाएगा। इतना ही नही, इस बीमारी से ग्रसित मरीजों के इलाज के लिए बीएमसी लायपोझोमोल अंफोटेरीसीन दवा भी बड़ी मात्रा में खरीदेगी।


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 8-10 दिनों में हो जाती हैं मरीज की मौत-
जानकारी के मुताबिक अब तक मुंबई के सायन अस्पताल में एक महीने में ब्लैक फंगस के 32 मामले सामने आ चुके हैं बतां दें कि यह आंकड़ा बेहद हैरान करने वाला है, क्योंकि जितने मामले 3 सालों में आते थे, वो अब एक महीने में आ रहे हैं। इसमें से 9 मरीजों की एक-एक आंख निकालनी पड़ी, जबकि 2 मरीजों की दोनों आंखें। जानकारी के मुताबिक अगर ब्लैक फंगस एक बार नाक के अंदर आया, तो 8-10 दिनों में जान भी जा सकती है। 
 

ब्लैक फंगस का इलाज कराना आम आदमी के बस का नहीं-
ब्लैक फंगस का इलाज आम आदमी की जेब से कई गुना भारी है।  जानकारी के मुताबिक इस बीमारी के होने के बाद करीब 6 सप्ताह तक लगातार अंफोटेरीसिन बी इंजेक्शन लगवाना पड़ता है, एक इंजेक्शन की कीमत करीब 7 हजार रुपए आती है यानी एक मरीज को ठीक करने के लिए करीब 3 लाख का खर्च आता है।
 

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