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कोविड से ठीक हुए मरीजों को अंधा कर रही ब्लैक फंगस, जानिए किन्हें अधिक खतरा

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 10 May, 2021 05:19 PM
कोविड से ठीक हुए मरीजों को अंधा कर रही ब्लैक फंगस, जानिए किन्हें अधिक खतरा

कोरोना वायरस भारत में अपना कहर मचा रहा है।  कोरोना के चलते लोग डरे हुए हैं वहीं इन दिनों भारत के कई राज्यों में ब्लैक फंगस नामक दुर्लभ इंफैक्शन भी फैल रहा है। यह फंगस इतना खतरनाक है कि व्यक्ति को अगर दो दिन तक इलाज ना मिले तो उसकी आंखों की रोशनी भी जा सकती हैं और मरीज की मौत भी हो सकती है।

दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में ब्लैक फंगस इंफ़ेक्शन यानी म्यूकॉरमाइकोसिस बीमारी का सबसे पहला मामला सामने आया है। दिल्ली के अन्य कई अस्पतालों में भी इसके केस आने शुरू हो चुके हैं जिसमें कई मरीजों की मौत भी हो चुकी हैं। इस नई समस्या को लेकर लोगों के बीच एक डर पैदा हो गया है, जहां लोग कोरोना वायरस से संक्रमित और ठीक हो रहे हैं। वहीं उन लोगों के लिए यह नई बीमारी खतरा बनकर सामने आ गई है। यह बीमारी तभी अटैक करती है जब व्यक्ति का इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर हो जाता है। 

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विशेषज्ञों के मुताबिक, ब्लैक फंगस या म्यूकॉरमाइकोसिस नाक, कान और गले ही नहीं, शरीर के अन्य अंगों को भी नुक़सान पहुंचाती है। जहां पहले यह बीमारी कीमोथेरेपी, अनियंत्रित डायबिटीज़, ट्रांसप्लांट मरीज़ों, आईसीयू मरीज और बुज़ुर्ग लोगों में देखने को मिलती थी लेकिन कोविड के बाद को-मॉर्बिडिटी और ज़्यादा स्टेरॉइड लेने वाले मरीजों में भी ये बीमारी नज़र आने लगी है। 

लक्षणों की बात करें तो नाक में फंगस जाने से 

· नाक की अंदरुनी दीवारों पर सूखापन आने लगता हैं। 

. नाक के अंदर काली और भूरे रंग की पपड़ियां जमना 

· नाक बंद होना शुरू हो जाना 

· ऊपर वाले होठों और गालों का सुन्न होना शुरू हो जाना 

· आंखे लाल और सूजन जाना

 अगर यह लक्षण दिखें तो डाक्टरी सलाह जरूर लें। 

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ब्लैक फंगस का कोविड के साथ क्या कनेक्शन? 

विशेषज्ञ का कहना है कि उनके पास ज्यादातर मरीज कोविड से ठीक होने के बाद ही आ रहे हैं। ब्लैक फंगस के मरीज या तो डायबिटीक मरीज है या वो स्टेरायड ले रहे हैं। इन मरीजों को आंख से धुंधला दिख रहा है। फंगस के चलते आंखों पर सूजन आ जाती है। एक-दो दिन में आंखों की रोशनी कम हो जाती है। ज़्यादातर मरीज़ तो अपनी आंखों की रोशनी खो चुके हैं। 

शरीर पर कैसे हमला करती है फंगस? 

विशेषज्ञों के मुताबिक, इस बीमारी में मृत्यु दर 50 प्रतिशत  है। हालांकि ये बीमारी छुआ छूत हो नहीं है लेकिन यह फंगस हवा में रहता है। यह फफूंदी की शक्ल में ब्रेड पर और पेड़ के तनों पर काले रूप में दिखती है। ये फंगस आपकी नाक के रास्ते बलगम से मिलकर आपकी नाक की चमड़ी में चला जाता है। इसके बाद ये बीमारी बहुत तेज़ी से फैलती हुई सब कुछ ख़राब करते हुए दिमाग़ तक चली जाती है। 

ब्लैक फंगस का किसे अधिक खतरा? 

कोविड संक्रमण के कारण इम्यून सिस्टम काफी कमजोर हो जाता है। डायबीटिज से पीड़ित कोरोना के मरीजों को स्टेरॉयड दिया जाता है। ऐसे मरीजों में ब्लैक फंगल इंफेक्शन का जोखिम अधिक रहता है। इसके अलावा कोविड से संक्रमित वीक इम्यूनिटी वाले मरीजों में भी इस बीमारी का जोखिम है। अगर लंबे समय तक इसका इलाज ना हो तो यह खतरनाक हो सकती है। 

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संक्रमण ठीक कैसे हो सकता है? 

ब्लैक फंगस के इलाज़ के लिए स्ट्रांग एंटी-फंगस दवाएँ देनी पड़ती हैं। अगर दवाई से ठीक हो जाता है तो सही है, नहीं तो शरीर के उस हिस्से को काटना पड़ता है जिसे फंगस ने नुकसान पहुंचा चुका होता है क्योंकि वो हिस्सा गैंगरीन जैसा हो जाता है जिसके पीछे फंगस छिपा होता है और शरीर के अन्य हिस्सों तक पहुँचने लगता है। इसका इलाज़ काफ़ी महंगा होता है।

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