आज पूरे भारत में शिक्षक दिवस (Teacher's Day) मनाया जा रहा है। यह दिन भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के मौके पर मनाया जाता है। शिक्षक दिवस गुरु को समर्पित है, जो सिर्फ स्कूल के टीचर्स ही नहीं बल्कि हर वो शख्स हो सकता है, जिनसे हमनें कुछ सीखा है। इस खास मौके पर हम आपको बॉलीवुड के कुछ ऐसे गानें बताने जा रहे हैं, जिनसे आप भी सीख ले सकते हैं। वहीं आप चाहे अपने टीचर को ये गाने डेडिकेट कर उनका आभार भी वयक्त कर सकते हैं।
आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं
फिल्म 'जागृति' (1954) का यह गाना देशभक्ति गीत है, जिसे सिंगर प्रदीप ने गाया। इसके जरिए शिक्षक अपने स्टूडेंट्स को भारत के किस्से सुनाते हैं।
खोलो खोलो
एक्टर आमिर खान स्टार्र फिल्म 'तारे जमीन पर' को भला कौन भूल सकता है। इसी फिल्म का यह गाना काफी प्रेरणादायक है, जिसे शंकर, एहसान और लॉय ने कंपोज किया है। वहीं, इसे आवाज रमन माधवन ने दी है।
इंसाफ की डगर पे
फिल्म 'गंगा जमुना (Ganga Jamuna)' के इस गाने के जरिए शिक्षक अपने स्टूडेंट्स को देशभक्ति की सीख दे रहे हैं।
हमको मन की शक्ति देना
फिल्म "गुड्डी" सिंगर वाणी जयराम द्वारा यह गाना भी बच्चों में नया उत्साह जगाता है।
इसके अलावा संत कबीर दास के दोहे भी शिक्षकों की महानता बताते हैं।
1. गुरु पारस को अन्तरो,
जानत हैं सब सन्त।
वह लोहा कंचन करे,
ये करि लये महन्त॥
व्याख्या:
गुरु में और पारस- पत्थर में अंतर है,
यह सब संत जानते हैं।
पारस तो लोहे को सोना ही बनाता है,
परंतु गुरु शिष्य को अपने समान महान बना लेता है।
2. गुरु बिन ज्ञान न उपजै,
गुरु बिन मिलै न मोष।
गुरु बिन लखै न सत्य को,
गुरु बिन मिटे न दोष॥
व्याख्या:
गुरु के बिना ज्ञान मिलना कठिन है
गुरु के बिना मोक्ष नहीं
गुरु के बिना सत्य को पह्चानना असंभव है
गुरु बिना दोष का (मन के विकारों का) मिटना मुश्किल है
3. गुरु आज्ञा मानै नहीं,
चलै अटपटी चाल।
लोक वेद दोनों गए,
आए सिर पर काल॥
व्याख्या:
जो मनुष्य गुरु की आज्ञा नहीं मानता है
और गलत मार्ग पर चलता है
वह लोक (दुनिया) और वेद (धर्म) दोनों से ही पतित हो जाता है
और दुःख और कष्टों से घिरा रहता है।
4. गुरु कुम्हार शिष कुंभ है,
गढ़ि गढ़ि काढ़े खोट।
अंतर हाथ सहार दै,
बाहर बाहै चोट॥
व्याख्या:
गुरु कुम्हार - शिष्य मिट्टी के घड़े के समान है
गुरु कठोर अनुशासन किंतु मन में प्रेम भावना रखते हुए शिष्य के खोट को दूर करता है
जैसे कुम्हार घड़े के भीतर से हाथ का सहारा देता है
और बाहर चोट मारकर घड़े को सुन्दर आकार देता है
5. गुरु समान दाता नहीं,
याचक सीष समान।
तीन लोक की सम्पदा,
सो गुरु दिन्ही दान॥
व्याख्या:
गुरु के समान कोई दाता (दानी) नहीं है
शिष्य के समान कोई याचक (माँगनेवाला) नहीं है
ज्ञान रूपी अनमोल संपत्ति, जो तीनो लोको की संपत्ति से भी बढ़कर है
शिष्य के मांगने से गुरु उसे यह (ज्ञान रूपी सम्पदा) दान में दे देते है