क्या आपका बच्चा चॉक और मिट्टी खाता है? क्या वह सुस्त रहता है और बच्चे का शरीर ठंडा पड़ा रहता है या फिर उसका वजन और हाइट दोनों ही रूक गए हैं ? तो इसे नंजरअंदाज ना करें क्योंकि ये संकेत आपके बच्चे के शरीर में खून के कमी के संकेत हो सकते हैं अगर ऐसा है तो आपको इस ओर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है।
भारत में बहुत सी महिलाएं ऐसी हैं जिनके शरीर में खून की कमी पाई जाती है जिसे एनीमिया कहा जाता है वहीं ये कमी बच्चों में भी देखी जा रही है। इसके पीछे बहुत से कारण हो सकते हैं जैसे समय से पहले जन्म हो जाना, पौष्टिक आहार ना लेना, चोट की वजह से ज्यादा खून बह जाने से या फिर कोई आंनुवांशिक कारणों के चलते भी बच्चे के शरीर में खून की कमी हो सकती है।
बच्चे के शरीर में खून की कमी होगी तो आपको ये लक्षण दिखाई देंगे जैसे
1. बच्चे की रंगत आपको पीली और बेजान सी नजर आएगी। खासकर बच्चे की आंखों के नीचे और हाथों पर आपको ऐसे संकेत दिखेंगे।
2. बच्चा एक जगह पर बैठे रहे या फिर सामान्य दिनों की अपेक्षा ज्यादा सुस्त दिखे।
3. खून की कमी की वजह से शरीर में कमजोरी आ जाती है इसलिए वह खेलकूद या किसी अन्य काम में रूचि नहीं लेता।
4. बच्चे को भूख कम लगती है और खाने पीने में आना-कानी करता है और उसके स्वभाव में चिड़चिड़ापन सा रहने लगता है।
5. बच्चे का सांस फूलने लगता है और वह सांस सही से नहीं पाता। दिल की धड़कन तेज रहती है।
6. शरीर के अंगों में जैसे- हाथ पैरों और अन्य अंगों में सूजन आ जाती है।
7. बच्चे को चॉक पेंसिल के सिक्के, मिट्टी आदि खाने की बच्चे को आदत हो जाती है जिसे पिका कहा जाता है। ऐसा स्थिति में बच्चों के शरीर में पोषण तत्वों की कमी होती है।
8. बच्चे के शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी होने से कोशिकाओं के विकास के लिए पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है, जिसकी वजह से बच्चे का सिर, लंबाई और वजन सामान्य रूप से नहीं बढ़ पाते हैं।
9. बच्चों को आयरन युक्त आहार ना मिल पाने के चलते भी खून की कमी हो जाती है। वहीं जिन बच्चों का जन्म समय से पहले हो गया हो उनके शरीर में भी खून की कमी हो सकती है। समय से पहले पैदा होने वाले करीब 85 प्रतिशत बच्चों का वजन 1.5 किलो से कम होता है और इनको एनीमिया हो सकता है।
10. इसके अलावा जन्म के समय मां को डायबिटीज है या बच्चे का वजन कम होना भी हो सकता है।
कैसे करें बच्चे के शरीर में खूनी की कमी पूरी?
बच्चों में खून की कमी (एनीमिया) का इलाज उनकी आयु और स्वास्थय की स्थिति पर निर्भर करता है। इसलिए डॉक्टरी सलाह जरूर लें।
बच्चे को मिनरल्स और विटामिन युक्त आहार दें। बच्चे को चुकंदर, गाजर और शकरकंद खाने को दें। इसके अलावा उन्हें हरी सब्जियां पालक, मेथी व फल दें। केला, सेब, खाली पेट बच्चे को खजूर व दूध दें। उन्हें संतरे का जूस ब्रोकली, टमाटर, स्ट्रॉबेरी, पपीता, खरबूजा आदि खाने को दें।
अगर बच्चा जन्म से पहले हो गया है और उसका वजन कम है तो डाक्टरी सलाह के बाद उसे आयरन सप्लीमेंट्स दें।
बच्चा एक साल से कम आयु का है तो उसे गाय का दूध ना दें। बच्चे के लिए मां का दूध और बाहरी आयरन युक्त डिब्बे वाला दूध काफी होता है।
बच्चा अगर ठोस आहार खाता है तो उसे आयरन युक्त आहार ज्यादा से ज्यादा दें। उसे विटामिन सी युक्त आहार जैसे किवी संतरा देना शुरू करें। बच्चे को आयरन और विटामिन बी 12 सप्लीमेंट डाक्टरी परामर्श से दें।
अगर आयरन भरपूर आहार खाने के बाद भी बच्चे का खून ना बनें तो डाक्टरी चेकअप जरूर करवाएं।