एक्यूप्रेशर के बारे में तो सभी जानते हैं लेकिन एक्यूपंक्चर के बारे में शायद ही कोई जानता होगा। मेडिकल फील्ड में इन दिनों एक्यूपंक्चर खूब प्रचलित हो रहा है। लेकिन इन दोनों में क्या अंतर है यह शायद ही कोई जानता होगा। एक हेल्थसाइट के मुताबिक, एक्यूप्रेशर और एक्यूपंक्चर दोनों ही विधियां चीनी चिकित्सा पद्धति से आई हैं। इन दोनों विधियों का प्रयोग यहां करीब 6 हज़ार साल से भी ज्यादा किया जा रहा है। आज ये पद्धति पूरी दुनिया में प्रचलित हो चुकी है। आपकों यह जानकर हैरानी होगी कि एक्यूपंक्चर और एक्यूप्रेशर से कई बीमारियों का इलाज किया जा सकता है और इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता। तो आइए जानते हैं इनके बारे में-
जानिए, क्या है एक्यूपंक्चर
एक्यू चीनी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है पॉइंट। हमारे शरीर में कुल 365 एनर्जी पॉइंट होते हैं। इन पॉइंट्स पर बारीक सूई से पंक्चर कर इलाज किया जाता है, इस वजह से इसे एक्यूपंक्चर कहा जाता है। एक्यूपंक्चर को मेडिकल साइंस माना जाता है, इतना ही नहीं WHO ने भी एक्यूपंक्चर को प्रभावशील बताया है। लेकिन इसकी मदद से इलाज करने के लिए लाइसेंस का होना जरूरी है।
जानिए, क्या है एक्यू प्रेशर
एक्यू चीनी भाषा का शब्द है तो वहीं प्रेशर का अर्थ है दवाब। एक्यूप्रेशर में अंगूठों और उंगलियों की मदद से शरीर के खास पॉइंट्स को दबाया जाता है,ऐसा करने से अगर नर्व या नसों की समस्या है तो एक्यूप्रेशर से ठीक किया जाता है। आमतौर पर पांच से छह सेशन में इसका असर दिखने लगता है और 15 से 20 सिटिंग्स में पूरा आराम मिलता है।
एक्यूपंक्चर कैसे काम करता है-
एक्यूपंक्चर में शरीर के खास पॉइंट्स में बारीक सुई लगा कर इलाज किया जाता है। एक सेशन आमतौर पर 40-60 मिनट का होता है और एक बार में 15-20 पॉइंट्स पंक्चर किए जाते हैं। अच्छे डॉक्टर इलाज से पहले इलेक्ट्रो मेरिडियन इमेजिंग (ईएमआई) टेस्ट करते हैं, जिसमें एनर्जी लेवल और पॉइंट्स का टेस्ट होता है।
इन समस्याओं में बेहद असरदार है एक्यूपंक्चर-
एक्युपंक्चर माइग्रेन, तनाव से होने वाले सिरदर्द, एंग्जाइटी, साइनस, अस्थमा, ब्रॉन्काइटिस, पुराना जुकाम, चेहरे का लकवा, टॉन्सिल्स, आंख की बीमारी ऑप्टिक नर्व ऑट्रॉफी, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, आर्थराइटिस, बॉडी पेन, गैस, एसिडिटी, इनफर्टिलिटी और महिलाओं की दूसरी समस्याएं आदि में बहुत असरदार माना जाता है।
ध्यान देने योग्य बातें-
एक्युपंक्चर हमेशा क्वॉलिफाइड डॉक्टर से अच्छे और साफ क्लिनिक में कराएं। खुद की इस्तेमाल की हुई सूइयां भी दोबारा इस्तेमाल न करें।
शरीर के ये पॉइंट्स होते हैं खास-
GV 20 या DU 20
कहां पर: सिर के बीचों बीच-
उपयोग: याददाश्त बढ़ाता है, चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, हाइपर ऐक्टिविटी को कम कर मन को शांत करता है।
GB 20
कहां पर : कान के पीछले हीस्से के झुकाव में
उपयोग: डिप्रेशन, सिरदर्द, दिमागी असंतुलन, चक्कर और सेंस ऑर्गन यानी नाक, कान और आंख से जुड़ी बीमारियां इसके अलावा लकवा और यूटरस की बीमारियों में भी असरदार।
LI 11
कहां पर: कोहनी के बाहरी हिस्से पर।
उपयोग: कॉलेस्ट्रॉल, ब्लडप्रेशर, गले में इन्फेक्शन, यूरिन इन्फेक्शन, उलटी, डायरिया, हिचकी, पीलिया आदि में कारगर।
ST 36
कहां: घुटने से चार उंगली नीचे, बाहर की तरफ।
उपयोग: स्टैमिना,थकान और लंबी बीमारी के बाद ठीक होने में मदद करता है।
खास टिप्स-
-हमारे शरीर के कुल 365 पॉइंट्स में से कुछ ऐसे हैं जो काफी असरदार हैं।
- मिट्टी में रोजाना 10-15 मिनट नंगे पांव चलें, ऐसा करने पर तलवों में मौजूद पॉइंट्स दबते हैं जिससे खून का दौर बढ़ता है।
- हफ्ते में दो बार सिर में 15 मिनट तक तेल से मसाज करें ऐसा करने पर डिप्रेशन , मेमरी लॉसजैसी दिक्कतें दूर होती हैं।
- कान के इयर लोब की रोजाना पांच मिनट मालिश करें इससे याददाश्त बढ़ती हैं।
- जीभ रोजाना अच्छी तरह ब्रश या उंगलियों से रगड़ें, यहां हार्ट, किडनी आदि के पॉइंट होते हैं।
- रोजाना 5-7 मिनट तालियां बजाएं, इससे हाथों के एक्युप्रेशर पॉइंट दबते हैं और जिससे सेहत तंदरूस्त रहती हैं।