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Health Alert! 60% युवा हैं 'नोमोफोबिया' के शिकार, कारण सिर्फ स्मार्टफोन

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 11 Jun, 2020 03:42 PM
Health Alert! 60% युवा हैं 'नोमोफोबिया' के शिकार, कारण सिर्फ स्मार्टफोन

आज के समय में शायद ही कोई शख्स ऐसा होगा जो मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करता। बच्चा हो या बड़ा, जवान हो या बूढ़ा, आज मोबाइल का इस्तेमाल लगभग हर कोई कर रहा है, फिर चाहे इसका यूज काम के लिए हो या महज एंटरटेनमेंट के लिए। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि बहुत सारे लोग काम मोबाइल पर ही निर्भर है। भले ही फोन से घंटों का काम मिनटों में हो रहा हो और ये एंटरटेनमेंट भी कर रहा हो, लेकिन इसका जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल आपकी सेहत के लिए नुकसानदेह है। जी हां मोबाइल का हद से ज्यादा इस्तेमाल आपको नोमोफोबिया जैसी गंभीर बीमारी का शिकार बना रहा है।

क्या है नोमोफोबिया?

नोमोफोबिया एक तरह का फोबिया, जिसमें व्यक्ति को इस बात का रहता है कि कहीं फोन खो न जाए या आपको उसके बिना न रहना पड़े। वो भी इस कदर कि ये लोग जब टॉयलेट भी जाते हैं तो अपना मोबाइल फ़ोन साथ लेके जाते हैं और दिन में औसतन 30 से अधिक बार अपना फोन चेक करते हैं। इतना ही नहीं अगर फोन की बैटरी भी खत्म वाली हो तो भी वो उसे चार्जर पर लगाकर इस्तेमाल करते हैं।

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60% युवा हैं इसके शिकार

शोध के मुताबिक, 20 से 30 वर्ष की आयु के लगभग 60% भारतीय युवा इस फोबिया से ग्रसित हैं। 10 में से लगभग 3 व्यक्ति लगातार एक साथ एक से अधिक उपकरणों का उपयोग करते हैं और अपने दिन का 90% हिस्सा वह इन उपकरणों से साथ बिताता है। निष्कर्ष के मुताबिक, 50% लोग मोबाइल यूज करने के बाद फिर कंप्यूटर पर काम शुरू कर देते हैं। भारत में इस तरह स्क्रीन स्विच करना आम बात है लेकिन लंबे समय तक यूज गर्दन में दर्द, आंखों में सूखेपन, कंप्यूटर विजन सिंड्रोम और अनिद्रा का कारण बन सकता है।

होते हैं और भी कई नुकसान

समय से पहले बना रहा है बूढ़ा

शोध के अनुसार, लंबे समय तक मोबाइल के संपर्क में रहने से स्किन पिगमेंटेशन व त्वचा पर लाल धब्बे जैसी समस्याएं सामने आई हैं। यह ब्लू लाइट UVA किरणों जैसा इफेक्ट ही स्किन पर छोड़ती है, जो स्किन को झुर्रियों से मुक्त रखने वाले प्रोटीन (कोलेजन और एलिस्टिन) को प्रभावित कर नुकसान पहुंचाती है। इससे स्किन उम्र से पहले ही बूढ़ी होने लगती है। इसी तरह यह आंखों के लिए भी नुकसानदेह है। इसका अधिक इस्तेमाल आंखों के आस-पास काले घेरे, स्किन पर पड़े काले धब्बे, झाइयां व झुर्रियां की वजह बन सकता है।

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आंखों में खुजली व जलन

स्किन के साथ आपकी आंखों पर भी इस लाइट का बुरा प्रभाव पड़ता है। घंटों नजर गड़ाए रखने से आंखों की रोशनी उम्र से पहले कम हो रही है। बचपन में ही चश्मा लगने की एक वजह मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल है। साथ ही इससे आंखों के नीचे काले घेरे पड़ने लगते हैं। इसके अलावा इससे थकी आंखें, पफ्फी आईज ( आंखों के आस-पास सूजन) और आंखों में खुजली, जलन व लाली की वजह भी मोबाइल हो सकता है।

डिप्रेशन के लिए भी जिम्मेदार

आजकल लोगों को मोबाइल की लत इतना लग चुकी है कि वो घंटों इसका यूज करते हैं, जिससे उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती। इससे वह दिनभर थके-थके रहते हैं, जिससे स्वभाव में चिड़चिड़ापन व अकेलापन आने लगता है जो डिप्रेशन का रूप ले लेता है।

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समझदारी से करें यूज

-स्मार्टफोन की सेटिंग्स में जाकर नोटिफिकेशन बंद कर दें। इससे बार-बार आपका ध्यान फोन की नोटिफिकेशन बीप बजने पर नहीं जाएगा।
-दिन के कुछ घंटे आप अपना डाटा बंद रखें यानी कि इंटरनेट बंद रखें। इससे आपका बार-बार फोन नहीं देखेंगे और बैटरी की भी बचत होगी।
-अपने फोन को चेक करने का समय निश्चित करें, उसी दौरान आप सभी अपडेट्स देख लें।
-सुबह उठते ही कुछ घंटे फोन से दूर रहें और रात को सोने के कुछ घंटे पहले ही फोन को दूर रखें।
-जब आप फोन से थोड़ी दूरी बनाकर चलेंगे तो अपने आप ही आपका मन दूसरे कामों में लगेगा।
-बहुत सारे लोग सोने से पहले जमकर फोन यूज करते हैं। रात को इसका इस्तेमाल आपकी स्किन को दोगुना प्रभावित करता है, इसलिए सोने से पहले फोन से दूरी बना लें तो बेहतर है।

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