नारी डेस्क : दिल्ली में दिन-ब-दिन बढ़ते प्रदूषण ने लोगों की जिंदगी मुश्किल बना दी है। 2022 से 2024 के बीच 2 लाख से अधिक लोग तेज सांस की बीमारी (ARI) के चलते अस्पताल पहुंचे हैं। यह अचानक बढ़ा हुआ ट्रेंड नहीं है, बल्कि लगातार प्रदूषित हवा का असर है। खासकर डायबिटीज और हार्ट के मरीज सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं, क्योंकि उनका शरीर पहले से ही अधिक मेहनत कर रहा होता है और जहरीली हवा उन पर दोहरी मार करती है।
सरकारी आंकड़े के अनुसार
सरकारी डेटा के अनुसार, 2022 में 67,054 ARI केस दर्ज हुए, जबकि 2024 में अस्पताल में भर्ती मरीज 10,800 से अधिक हो गए। इस साल दिल्ली में AQI 401+ दर्ज किया गया, जो ‘Severe’ कैटेगरी में आता है। हवा में मौजूद PM2.5, PM10, नाइट्रोजन ऑक्साइड, ओजोन और सल्फर डाइऑक्साइड जैसे कण सीधे फेफड़ों और खून में जाकर स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं।
डायबिटीज और हार्ट मरीज क्यों प्रभावित
डायबिटीज (Diabetes) : प्रदूषण शरीर में सूजन और तनाव बढ़ाता है, खून की नलियों में सिकुड़न आती है, फेफड़ों की टिश्यू धीमी रिकवरी करती हैं और शुगर लेवल अस्थिर हो जाता है।
हार्ट (Heart) : पॉल्यूटेड हवा नलियों में जलन पैदा करती है, ब्लड प्रेशर बढ़ता है, दिल को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है और धड़कन अनियमित हो सकती है। AQI 300+ में हार्ट मरीजों में छाती भारी होना, सांस फूलना और चक्कर आना तुरंत बढ़ जाता है।
डॉक्टरों की सलाह
सुबह-सुबह बाहर न जाएं, धुंध और प्रदूषक सुबह अधिक रहते हैं।
15 मिनट बाहर रहने के बाद 5 मिनट अंदर आराम लें।
खिड़की सिर्फ 1 इंच खोलें, दिन में 3 बार 10 मिनट।
गले को गर्म रखें, ठंडी हवा से ऐंठन कम होगी।
Indoor exercise करें—धीमी योग, स्टेशनरी साइकल, स्टेप वॉक इत्यादि।
सतर्क रहें, लक्षणों को हल्के में न लें
जल्दी सांस फूलना और 3 दिन से ज्यादा खांसी आना।
सुबह सिर भारी लगना और दोपहर तक थकावट होना।
बिना वजह शुगर बढ़ना और रूटीन काम में छाती भारी लगना ।
हार्ट या अस्थमा के मरीज अपनी दवाइयां और इनहेलर हमेशा साथ रखें। प्रदूषण वाले दिनों में दवा छोड़ना खतरनाक हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि छोटे-छोटे कदम और सतर्कता आपकी सेहत बचा सकते हैं।