भारतीय सेना में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के नतीजे घोषित कर दिए गए हैं। रिजल्ट के मुताबिक, भारतीय सेना ने महिला अधिकारों के स्थाई कमीशन (Permanent Commission) के लिए 422 महिलाएं फिट पाई गईं। बता दें कि सेना में स्थायी कमीशन देने के लिए 615 महिला अफसरों पर विचार-विमर्श किया जा रहा था, जिसमें से 422 महिला अफसर का सिलेक्शन हो गया है।
सेना ने नंबर 5 सेलेक्शन बोर्ड का किया था गठन
बता दें कि सेना ने नंबर 5 सेलेक्शन बोर्ड बनाई थी, जिसमें 14 से 25 सितंबर तक कार्यवाही करने के बाद यह नतीजे निकाले गए हैं। इस 5 सदस्यीय बोर्ड में आर्मी मेडिकल कोर की एक महिला ब्रिगेडियर भी थी। नतीजों के मुताबिक, अब शॉर्ट कमीशन वाली 422 महिला अफसर को स्थाई कमीशन दिया जाएगा। हालांकि बोर्ड के फैलसे को ना मानते हुए 57 महिला अफसर ने इसे लेने से मना कर दिया। वहीं 68 महिला अफसर को स्थाई कमीशन की बजाए पेंशन के साथ सेवा मुक्त किया जाएगा।
40 अधिकारियो के रिजल्ट पेंडिग
जिन 106 महिला अफसर का नाम इस लिस्ट में शामिल नहीं है उन्हें इस सेवा का लाभ उठाने के लिए 20 साल सेना की सेवा करनी होगी। हालांकि एक अस्थायी निम्न मेडिकल कैटेगरी के कारण 42 अधिकारियों ने अपनी उम्मीदवारी नहीं ली लेकिन उन्हें सोचने के लिए कुछ समय दिया गया है। वहीं, 6 अधिकारियो के रिजल्ट फिलहाल रोक दिए गए हैं क्योंकि अपेक्षित मेडिकल डॉक्यूमेंट्स नहीं मिले। मगर, प्रशासनिक आधार पर 40 अधिकारियो के रिजल्ट पेंडिग है।
कई महिला अफसर को नहीं मिला स्थायी कमीशन
अभी भी भारतीय सेना में ऐसी कई महिला अफसर हैं, जिन्हें स्थाई कमीशन नहीं मिला। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें शॉर्ट सर्विस कमीशन के मुताबिक पहले अपनी नियुक्ति की शर्तें पूरी करनी पड़ेंगी। स्थायी कमीशन के लिए चुनी गई 10 स्ट्रीम्स महिला अफसर में इंजीनियर (Engineers), सिग्नल (Signals), इंटेलिजेंस कोर (Intelligence corps), आर्मी एयर डिफेंस (Army Air Defence), आर्मी एविएशन कॉर्प्स (Army Aviation Corps), आर्मी ऑर्डिनेंस कॉर्प्स (Army Ordinance Corps), आर्मी सर्विस कॉर्प्स (Army Service Corps) और इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियरिंग (Electronics and Mechanical Engineers) शामिल है।
क्या है स्थायी कमीशन?
दरअसल, आर्मी में महिलाएं 14 साल की सर्विस के बाद ही सेवानिवृत्त कर दी जाती हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले अब वह भी स्थायी कमीशन के लिए आवेदन दे सकती है। इसमें सिलेक्ट होने वाली महिला अपनी ड्यूटी आगे जारी रख सकती है। उसे अपनी सर्विस पूरा करने के बाद ही रैंक के हिसाब से रिटायर किया जाएगा।
बता दें कि साल 2020, 17 मार्च को ही सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला करते हुए कहा था कि महिला और पुरुष अफसरों को बराबरी के अधिकार मिलने चाहिए। साथ ही सरकार ने फैसले को निपटाने के लिए 3 महीने का समय भी दिया था।