करवा चौथ वो त्योहार है जो महिलाओं के दिल के सबसे करीब होता है। इस दिन पत्नी पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है और फिर रात को चांद देख कर ही व्रत खोलती है। प्यार से भरे इस त्योहार को महिलाएं खुशी खुशी मनाती हैं और अपने पति की सलामति की दुआ करती हैं।
देश भर में करवा चौथ के दिन महिलाएं व्रत रखती हैं लेकिन भारत की एक ऐसी जगह भी है जहां महिलाएं करवा चौथ नहीं मनाती है। इतना ही नहीं महिलाएं इस व्रत को पवित्र भी नहीं मानती है। हम बात कर रहे हैं मथुरा के सुरीर कस्बा मांट तहसील की। सुरीर के मोहल्ला वघा में ठाकुर समाज के सैकड़ों परिवारों में करवाचौथ और अहोई अष्ठमी का त्योहार मनाने पर सती के श्राप की बंदिश लगी हुई है । दरअसल ऐसा माना जाता है कि यहां सती का श्राप लगा हुआ है और इसी के डर से यहां की महिलाएं करवाचौथ का त्यौहार नहीं मनाती है। अगर वह ऐसा करती हैं, तो उनके पति की जान पर खतरा आ जाता है।
क्या है इसके पीछे की कहानी?
यहां रहते लोगों की मानें तो थाना सुरीर के कस्बा में एक ऐसा मोहल्ला है जहां जब नौहझील के गांव रामनगला का एक ब्राह्मण युवक यमुना के पार स्थित ससुराल से अपनी नवविवाहिता पत्नी को विदा कराकर सुरीर के रास्ते भैंसा बुग्गी से लौटा था तो रास्ते में सुरीर के कुछ लोगों ने बुग्गी में चल कर आ रहे भैंसे को अपना बता कर विवाद शुरू कर दिया था। इस विवाद में सुरीर के लोगों के हाथों गांव रामनगला के इस युवक की हत्या हो गई। उस दिन करवाचौथ का दिन था। पति की मौत से दुखी पत्नी ने श्राप दिया था कि अगर कोई भी महिला पति के लिए व्रत रखेगी, तो उसके पति की मौत हो जाएगी।
महिलाओं को दिया श्राप
पति को अपनी नजरों के सामने जाता देख कुपित नवविवाहिता ने इस मुहल्ले की महिलाओं को श्राप दे दिया और कहा जैसे मैं अपने पति के शव के साथ सती हो रही हूं। उसी तरह आप में से कोई भी महिला अपने पति के सामने यूं सज धज कर सोलह श्रृंगार करके नहीं रह सकती। स्थानीय लोगों की मानें तो इस घटना के बाद तमाम विवाहितायें विधवा हो गयीं । उस समय बुजर्गों ने इसे सती के कोप का असर माना। सती का श्राप मानते हुए लोगों ने क्षमा याचना की और मोहल्ले में मंदिर बना कर सती की पूजा-अर्चना शुरू कर दी।
पति के सुहाग के लिए नहीं रखती व्रत
खबरों की मानें तो इस मंदिर में पाठ पूजा से बेशक मौतें कम हो गई हों लेकिन फिर भी महिलाएं आज भी व्रत नहीं रखती हैं। यहां के लोगों की मानें तो वह इस त्योहार पर बेटियों को भी करवा चौथ पर कुछ भेंट नहीं करते हैं। इसी श्राप से इस मुहल्ले के सैकड़ों परिवारों में कोई विवाहिता न तो सजधजकर श्रंगार करती है और न ही पति के लिए करवा चौथ का व्रत रखती है।