
नारी डेस्क : न्यूयॉर्क के लॉन्ग आइलैंड में रहने वाली डेबोरा “डेबी” स्टीवेंस ने अपनी बॉस जैकी ब्रूसिया की जान बचाने के लिए अपना किडनी दान कर दिया। यह फैसला किसी भी इंसान के लिए बेहद बड़ा बलिदान होता है। इस दान से जैकी की जान तो बच गई, लेकिन डेबी की अपनी जिंदगी मुश्किलों से भर गई।
लंबी और दर्दनाक रिकवरी
किडनी डोनेशन के बाद डेबी को लंबी और बेहद दर्दनाक रिकवरी से गुजरना पड़ा। इस दौरान उन्हें लगातार कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिनमें नर्व डैमेज, पाचन संबंधी दिक्कतें, शरीर में तेज़ दर्द और मानसिक तनाव शामिल थे। इन सारी परेशानियों के बावजूद डेबी जल्द से जल्द अपने काम पर लौटने की कोशिश कर रही थीं, ताकि उनकी नौकरी सुरक्षित रह सके और जीवन सामान्य हो सके।
कंपनी ने दिया नकारात्मक जवाब
जब डेबी काम पर वापस लौटीं तो उन्हें सहयोग की जगह उल्टा ताने सुनने पड़े। उन्हें कहा गया कि वह “बहुत धीरे रिकवर” कर रही हैं और कंपनी की नजर में उनकी रिकवरी एक “समस्या” बन चुकी थी। कुछ ही समय बाद, अटलांटिक ऑटोमोटिव ग्रुप ने उन्हें नौकरी से हटा दिया। कंपनी ने इसे खराब प्रदर्शन बताया, जबकि डेबी का दावा है कि यह सज़ा उन्हें इसलिए मिली क्योंकि उन्होंने अपनी बॉस की जिंदगी बचाने के लिए किडनी दान दी और फिर रिकवरी में समय लगा।
मामला पहुंचा मानवाधिकार आयोग तक
मामला अब मानवाधिकार आयोग तक पहुंच चुका है। डेबी ने अपनी बर्खास्तगी को असंवैधानिक बताते हुए न्यूयॉर्क स्टेट ह्यूमन राइट्स कमीशन में शिकायत दर्ज कराई है। उनका आरोप है कि कंपनी का यह व्यवहार अमेरिकन डिसेबिलिटीज़ ऐक्ट (ADA) का स्पष्ट उल्लंघन है। जांच के बाद कमीशन ने उनकी शिकायत में “probable cause”, यानी प्रारंभिक रूप से सही और मजबूत आधार पाया है। इसके साथ ही, डेबी ने फेडरल कोर्ट में भी मुकदमा दर्ज कर दिया है, जिसमें उनका दावा है कि उन्हें अपनी जान बचाने वाले बलिदान और उसके बाद की रिकवरी अवधि के लिए अनुचित तरीके से दंडित किया गया।