29 DECMONDAY2025 2:20:34 PM
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माता-पिता की इन 4 गलतियों से बच्चा बन जाता है जिद्दी, जानें उन्हें कैसे करें डील

  • Edited By Monika,
  • Updated: 29 Dec, 2025 12:44 PM
माता-पिता की इन 4 गलतियों से बच्चा बन जाता है जिद्दी, जानें उन्हें कैसे करें डील

नारी डेस्क : बच्चे अक्सर छोटी-छोटी चीजों पर जिद करने लगते हैं। कभी सड़क पर लेट जाते हैं, कभी किसी चीज़ को पाने के लिए खाना-पीना तक छोड़ देते हैं। ऐसे में अक्सर माता-पिता सोचते हैं कि बच्चा “ऐसा ही है”, लेकिन असल में इसके पीछे पैरेंटिंग की कुछ गलतियां जिम्मेदार होती हैं। डॉक्टरों के अनुसार, अगर आप इन 4 गलतियों से बचते हैं, तो बच्चे की जिद्दी प्रवृत्ति कम की जा सकती है।

क्यों बनता है बच्चा जिद्दी?

डॉक्टर बताते हैं कि बच्चे का व्यवहार पूरी तरह से माता-पिता की परवरिश पर निर्भर करता है। अक्सर माता-पिता अनजाने में कुछ ऐसी आदतें अपनाते हैं जो बच्चे को जिद्दी बनाती हैं।

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बहुत ज्यादा कमांड देना

जब माता-पिता बच्चे को हर बात पर “मत करो”, “वहां मत जाओ” या “अभी सुनो” जैसी कमांड देते हैं, तो यह बच्चे पर दबाव डालता है। बच्चे का दिमाग तुरंत किसी नियंत्रण को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं होता, इसलिए वह स्वाभाविक रूप से विरोध करने लगता है और जिद्दी व्यवहार दिखाता है।

अपनी बात पर टिके न रहना (Inconsistency)

जब माता-पिता कभी किसी बात को हां कह देते हैं और कभी उसी बात पर गुस्सा करते हैं, तो यह बच्चों को भ्रमित कर देता है। अगर आप अपने मूड के हिसाब से नियम बदलते रहते हैं, तो बच्चा और अधिक परेशान और जिद्दी हो जाता है।

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इमोशंस को इग्नोर करना

जब बच्चा दुखी या नाराज़ होता है और आप सिर्फ उसका व्यवहार सुधारने पर ध्यान देते हैं, तो बच्चा आपकी बात सुनना बंद कर देता है। इसलिए बच्चे की भावनाओं को समझना और उन्हें महत्व देना बहुत जरूरी है।

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बहुत ज्यादा स्क्रीन टाइम

जब बच्चे को बहुत ज्यादा स्क्रीन टाइम दिया जाता है, जैसे टीवी, मोबाइल या टैबलेट पर लंबे समय तक ध्यान देना, तो वह काल्पनिक दुनिया में खो जाता है। इससे बच्चा वास्तविक जीवन को बोरिंग और धीमा महसूस करने लगता है, नॉर्मल गतिविधियों में रुचि कम हो जाती है और जिद्दीपन बढ़ने लगता है।

जिद्दी बच्चे से कैसे करें डील

सुनें, बहस न करें: बच्चे की बात समझने की कोशिश करें।
समझने की कोशिश करें: जिद क्यों कर रहा है यह जानने की कोशिश करें।
ऑप्शन दें, कमांड नहीं: “ऐसा करो या वैसा करो” जैसी सीमित विकल्प दें।
शांत रहें: बच्चे पर चिल्लाएं नहीं।
इमोशनल कनेक्शन बनाएं: बच्चे से प्यार और समझदारी से जुड़ें।

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