नारी डेस्क: आज के समय में महिलाओं की सोच और प्राथमिकताएं तेजी से बदल रही हैं। पहले जहां महिलाओं के लिए घर-परिवार और बच्चों की देखभाल ही जीवन का मुख्य उद्देश्य माना जाता था, वहीं अब महिलाएं अपने करियर, आत्मनिर्भरता और व्यक्तिगत खुशी को भी उतना ही महत्व देने लगी हैं। इसी बदलाव के कारण कई महिलाएं अब मां बनने से पीछे हट रही हैं। कहते हैं कि मां बनना एक महिला के जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य होता है, लेकिन सच्चाई यह भी है कि बच्चे के आने से कपल्स की जिंदगी पूरी तरह बदल जाती है। जिम्मेदारियां कई गुना बढ़ जाती हैं और यही वजह है कि आज कई महिलाएं सोच-समझकर यह फैसला ले रही हैं कि उन्हें बच्चा चाहिए या नहीं।
यह बदलाव सिर्फ किसी एक वजह से नहीं हो रहा है, बल्कि इसके पीछे सामाजिक, आर्थिक और व्यक्तिगत कारण हैं। अब वह दौर खत्म हो रहा है जब मातृत्व को महिला की पहचान से जोड़ दिया जाता था। आज महिलाएं अपनी जिंदगी को अपने तरीके से जीना चाहती हैं, चाहे उसमें बच्चा हो या न हो।
करियर को प्राथमिकता देना
आज की महिलाएं पढ़ाई करने, करियर बनाने और प्रोफेशनल लाइफ में आगे बढ़ने पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं। नौकरी और कामकाज के बीच बच्चे की जिम्मेदारी निभाना आसान नहीं होता। कई बार महिलाओं को अपने करियर से समझौता करना पड़ता है। इसी वजह से कई महिलाएं पहले अपना करियर सेट करना चाहती हैं और बच्चे के फैसले को टाल देती हैं या फिर पूरी तरह छोड़ देती हैं।
अपनी आज़ादी बनाए रखना
जब किसी महिला पर बच्चे की जिम्मेदारी नहीं होती, तो उसे ज्यादा आज़ादी और लचीलापन मिलता है। वह घूम-फिर सकती है, अपनी हॉबीज़ पूरी कर सकती है और अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जी सकती है। कई महिलाएं अपनी मेंटल हेल्थ, फिटनेस और पर्सनल ग्रोथ को प्राथमिकता देती हैं, और इसके लिए बच्चा न करना उनके लिए एक बेहतर विकल्प लगता है।
आर्थिक दबाव से बचना
बच्चे की परवरिश में काफी खर्च आता है चाहे वह उसकी देखभाल हो, पढ़ाई हो या भविष्य की जरूरतें। इस बढ़ते खर्च के कारण कई कपल्स और खासकर महिलाएं खुद को आर्थिक दबाव में महसूस करती हैं। इसलिए कई महिलाएं बच्चा पैदा करने के बजाय पैसे बचाने, निवेश करने और अपने भविष्य को सुरक्षित करने पर ध्यान देना चाहती हैं।
पार्टनर का पूरा सहयोग न मिलना
बच्चे की परवरिश तभी आसान होती है, जब दोनों पार्टनर बराबर जिम्मेदारी निभाएं। लेकिन कई महिलाओं को लगता है कि उन्हें इस मामले में अपने पार्टनर का पूरा सहयोग नहीं मिलेगा। अगर महिला को यह महसूस हो कि सारी जिम्मेदारी उसी पर आ जाएगी, तो वह बच्चा न करने का फैसला ले सकती है।
यह एक निजी फैसला है
कुछ महिलाएं बस मां बनना नहीं चाहतीं, और यह पूरी तरह उनका व्यक्तिगत निर्णय होता है। जरूरी नहीं कि हर महिला में मातृत्व की भावना हो। ऐसी महिलाएं अपनी जिंदगी के दूसरे पहलुओं जैसे करियर, रिश्ते, आत्म-संतुष्टि और आज़ादी को ज्यादा महत्व देती हैं।
आज महिलाएं अपने जीवन के फैसले खुद लेना चाहती हैं। मां बनना या न बनना अब मजबूरी नहीं, बल्कि चॉइस बन चुका है। यह बदलाव समाज के लिए नया हो सकता है, लेकिन महिलाओं के लिए यह उनकी सोच, जरूरतों और इच्छाओं का प्रतिबिंब है।