
नारी डेस्क : सर्दियों में अक्सर मन भारी लगता है। दिन छोटे लगते हैं, सूरज कम निकलता है और मूड डाउन महसूस होता है। कई बार महिलाएं इसे सिर्फ “थकान या मौसम का असर” समझकर अनदेखा कर देती हैं। लेकिन हकीकत में यह सर्दियों का डिप्रेशन (Seasonal Affective Disorder – SAD) और हार्मोनल बदलाव का मिलाजुला असर होता है। मेनोपॉज़ कोच तमन्ना सिंह ने महिलाओं के मेनोपॉज और हार्मोन असंतुलन से जुड़ी बेहद महत्वपूर्ण जानकारी महिलाओं के साथ साझा की है चलिए इसके बारे में बताते हैं।
मेनोपॉज़ और हार्मोनल बदलाव (Menopause and hormonal changes)
जब महिलाएं 40 के दशक में पहुंचती हैं, तो शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर बदलने लगता है। ये हार्मोन हमारे दिमाग़ में “हैप्पी केमिकल्स” यानी सेरोटोनिन और डोपामिन को प्रभावित करते हैं। मूड स्विंग्स, थकान, नींद की कमी और कभी-कभी बिना वजह उदासी। सर्दियों की ठंडी हवा और कम रोशनी इस स्थिति को और बढ़ा देती हैं क्योंकि सूरज की रोशनी ही सेरोटोनिन को एक्टिव रखती है। यानी मेनोपॉज़ और सर्दियों का मेल कई बार “इमोशनल क्लाउड” बना देता है।

सर्दियों में मूड को बेहतर रखने के उपाय
प्राकृतिक रोशनी लें: सुबह की धूप में 15 मिनट बैठना सेरोटोनिन लेवल बढ़ाता है।
हॉट ऑयल मसाज और हल्का व्यायाम: हॉट ऑयल मसाज, हल्का योग या वॉक मूड सुधारने में मदद करता है।
हर्बल ड्रिंक्स का सेवन: अश्वगंधा, अदरक या गुड़हल की चाय पीने से शरीर और मन को आराम मिलता है।
पौष्टिक आहार और पर्याप्त नींद: संतुलित आहार और नियमित नींद हार्मोन और मूड दोनों को रीसेट करते हैं।
“Me-Time” और मानसिक स्वास्थ्य: खुद के लिए समय निकालना, छोटे-छोटे शौक और रिलैक्सेशन तकनीक मूड को स्थिर करने में मदद करते हैं।

मेनोपॉज़ और विंटर, दोनों ही ट्रांज़िशन का समय हैं और अगर मन को गर्माहट मिले, तो शरीर खुद ही संतुलन पा लेता है।