हर साल भादपद्र की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का बाल रूप की पूजा की जाती है। वहीं जब भी प्रेम की मिसाल दी जाती है तो कृष्ण जी का साथ राधा का नाम आता है। ये बात तो सब को ही पता है कि श्रीकृष्ण के 15 दिन बाद राधा जी का जन्म हुआ था, आज हम आपको बताएंगे राधा जी की मृत्यु का रहस्या और आखिरी क्यों उन्होंने अपने बासुंरी तोड़ दी थी....
बता दें भगवान कृष्ण और राधा जी के अटूट संबंध को जोड़ने वाली बांसुरी ही थी। श्रीकृष्ण को अपनी बांसुरी और राधा जी से बहुत प्यार था, वहीं राधा को भी श्रीकृष्ण की बांसुरी और कृष्ण जी से बहुत प्यार था। बांसुरी बजाते ही राधा भगवान श्री कृष्ण की ओर खिंची चली आती थीं। राधा के बांसुरी प्रेम के कारण ही भगवान श्रीकृष्ण इसे हमेशा अपने साथ ही रखते थे।भगवान श्री कृष्ण और राधा एक दूसरे से मिल नहीं पाएं लेकिन इस बांसुरी ने उन दोनों को एक दूसरे से बांधे रखा था।
ऐसे बिछड़े थे राधा और कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण कंस का वध करने के लिए मथुरा गए थे तब पहली बार राधा जी से वो अलग हुए। कंस के वध से पहले वह राधाजी से मिलने गए थे और वह राधा जी के मन में उस वक्त उमड़ रही सारी बातों को आसानी से पढ़ लिए और उन्हें आश्वासन दिया कि वह अपना कार्य कर जल्दी ही लौटेंगे , लेकिन वो ऐसा कर नहीं पाए। वहीं बाद में भगवान श्री कृष्ण की शादी रुक्मिनी के साथ हो गई।
कृष्ण जी से दूर होकर राधा जी रहने लगी थी गुमसुम
भगवान श्री कृष्ण के नहीं लौटने से राधा गुमसुम हो गईं थीं। वहीं राधा के माता पिता ने भी जबरदस्ती उनकी शादी किसी और से कर दी, पर वो श्रीकृष्ण को भूल नहीं पाई। जब उनसे दूरी बर्दाश्त नहीं हुई तो एक बार रात के अंधेरें में घर से भागकर द्वारिका नगरी पहुंच गई। राधा को वहां देखते हीं भगवान श्री कृष्ण आनंदित हो उठें और दोनों एक दूसरे को बस देखते ही रहे। राधा को द्वारिका में कोई नहीं जानता था, इसलिए राधा ने भगवान से अनुरोध किया कि वह अपने राजमहल में उन्हें देविका के रूप में रख लें। भगवान ने उनकी बात मान ली और राधा जी महल के कामों को देखने लगीं और साथ ही श्रीकृष्ण दर्शन कर के ही वह खुश रहने लगीं।
राधा जी भगवान श्री कृष्ण के दर्शन सालों साल करती रहीं लेकिन उनके मन में भगवान से दूर होने का डर भी था। एक रात ऐसे ही डर इतना उनके ऊपर हावी हुआ कि वह महल छोड़ कर एक अनजान रास्ते पर रात के कूप अंधेरे में निकल पड़ीं।
राधा को मृत्यु करीब दिखने लगी तो वह भगवान कृष्ण को याद करने लगीं। भगवान कृष्ण को राधा की आवाज आई और वह वहां उनके सामने प्रकट हो गए। राधा ने भगवान से बांसुरी सुनाने की प्रार्थना की और भगवान उन्हें बांसुरी सुनाने लगे ओर राधारानी धुन सुनते-सुनते ही चीर निद्रा में सो गईं। राधा जी के प्राण त्यागते ही श्री कृष्ण ने अपनी बांसुरी को तोड़कर फेंक दिया।